December 3, 2025

सहरसा में मां-बाप की डांट से नाराज होकर किशोरी ने खाया जहर, इलाज के दौरान हुई मौत

सहरसा। सहरसा जिले के सौरबाजार थाना अंतर्गत कांप गांव से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जहां महज 16 वर्ष की एक किशोरी ने मां-बाप की डांट से आहत होकर जहरीला पदार्थ खा लिया। गुरुवार देर रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मृतका की पहचान नरेश भगत की बेटी वंदना कुमारी के रूप में हुई है, जो अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। घटना बीते 20 मई की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, दोपहर करीब 12 बजे वंदना की मां ने उसे मोबाइल पर किसी अनजान व्यक्ति से बात करते हुए देख लिया। पूछताछ करने पर वंदना ने बताया कि वह पड़ोसी का मोबाइल है, लेकिन जब यह पूछा गया कि वह किससे बात कर रही थी, तो वह चुप हो गई। इस बात से चिंतित माता ने शाम को पति को इस बारे में जानकारी दी। शाम को जब वंदना के पिता घर लौटे, तो दोनों माता-पिता ने बेटी को बैठाकर समझाया। उन्होंने कहा कि अनजान लोगों से मोबाइल पर बात करना उचित नहीं है और इससे घर की इज्जत व समाज में प्रतिष्ठा प्रभावित हो सकती है। परिजनों का इरादा उसे केवल समझाने का था, लेकिन वंदना इस बात को सहन नहीं कर सकी। बताया गया कि समझाने के महज आधे घंटे बाद वंदना लड़खड़ाते हुए घर के अंदर आई और अचानक जमीन पर गिर पड़ी। परिजनों ने तत्काल स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उसे सहरसा के लॉर्ड बुद्धा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों द्वारा इलाज जारी रहा, लेकिन गुरुवार की देर रात उसकी मौत हो गई। बैजनाथपुर थाना प्रभारी दिनेश ठाकुर ने इस दुखद घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि मौत जहरीला पदार्थ खाने की वजह से हुई है। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और कानूनी प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। स्थानीय लोगों के अनुसार, वंदना शांत स्वभाव की लड़की थी और गांव के प्राथमिक विद्यालय में पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की थी। वह घर की इकलौती बेटी थी और अपने माता-पिता की बहुत लाड़ली थी। उसकी असमय मौत ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि अभिभावकों द्वारा दी गई सामान्य फटकार ने एक मासूम जान को लील लिया, जिससे हर किसी की आंखें नम हैं। यह घटना समाज में किशोरों की मानसिक स्थिति और अभिभावकों के साथ उनके संवाद के महत्व पर गंभीर सवाल खड़े करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि किशोरावस्था में बच्चों को समझाने के तरीके में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए, क्योंकि इस उम्र में भावनात्मक असंतुलन की आशंका अधिक रहती है। इस हृदयविदारक घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने भी लोगों से अपील की है कि वे अपने बच्चों के साथ संवाद करते समय संयम बरतें और किसी भी असामान्य व्यवहार को नजरअंदाज न करें। साथ ही, समाज को भी इस दिशा में अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाएं न दोहराई जाएं।

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