बिहार में आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका का मानदेय बढ़ा, सीएम नीतीश ने सोशल मीडिया से की घोषणा

- चुनावी साल में महिलाओं की बल्ले बल्ले, आंगनबाड़ी सेविका को 9 हजार, तथा सहायिका को 4500 रुपए मिलेंगे
पटना। बिहार सरकार ने चुनाव से पहले महिलाओं से जुड़ा बड़ा और स्वागत योग्य निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं के मानदेय में वृद्धि की घोषणा की। यह कदम बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण तथा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के योगदान को सम्मान देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
मानदेय में वृद्धि का ऐलान
मुख्यमंत्री ने बताया कि अब आंगनबाड़ी सेविकाओं का मासिक मानदेय 7,000 रुपये से बढ़ाकर 9,000 रुपये कर दिया गया है। वहीं, आंगनबाड़ी सहायिकाओं का मानदेय 4,000 रुपये से बढ़ाकर 4,500 रुपये किया गया है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से सेविकाओं और सहायिकाओं का मनोबल बढ़ेगा और वे बेहतर तरीके से अपने कार्यों का निर्वहन कर सकेंगी।
सेविकाओं और सहायिकाओं की भूमिका
सीएम नीतीश कुमार ने अपने पोस्ट में लिखा कि आंगनबाड़ी सेविकाएं और सहायिकाएं बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा माताओं के पोषण और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं। उनके प्रयासों से समेकित बाल विकास परियोजना के तहत छह प्रकार की सेवाएं आम लोगों तक पहुँचती हैं। ये सेवाएं बच्चों का पोषण, टीकाकरण, शिक्षा की प्रारंभिक सुविधाएं और महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वपूर्ण सेवाओं को शामिल करती हैं।
पहले से चल रहे प्रयास
नीतीश कुमार ने बताया कि नवंबर 2005 में बिहार सरकार बनने के बाद से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े पैमाने पर सुधार किया गया है। समेकित बाल विकास योजना के तहत राज्य भर में आंगनबाड़ी केंद्रों को सक्रिय किया गया है, जिससे लाखों लाभुकों को सेवाएं मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि सेविकाओं और सहायिकाओं के योगदान के बिना इन योजनाओं को सफल बनाना संभव नहीं होता।
महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा
मानदेय में वृद्धि का उद्देश्य न केवल सेविकाओं और सहायिकाओं का सम्मान बढ़ाना है, बल्कि महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण को भी प्रोत्साहित करना है। ग्रामीण इलाकों में काम कर रही ये महिलाएं सीमित संसाधनों के बावजूद बच्चों और महिलाओं की सेवा में जुटी रहती हैं। सरकार का यह कदम उनके कार्य को मान्यता देने के साथ-साथ महिलाओं की स्थिति को मजबूत बनाने की दिशा में भी बड़ा प्रयास है।
चुनावी साल में बड़ा फैसला
यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब राज्य में आगामी चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं। इसे महिलाओं को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। आंगनबाड़ी सेविकाएं और सहायिकाएं ग्रामीण समाज में प्रभावशाली भूमिका निभाती हैं, इसलिए उनके मानदेय में वृद्धि से महिला वर्ग में सकारात्मक संदेश जाएगा। इससे महिलाओं का समर्थन मिल सकता है, जो चुनावी राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आगे की योजना
सरकार ने विभाग को निर्देश दिया है कि मानदेय वृद्धि का कार्य जल्द लागू किया जाए। इससे जुड़ी प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की भी कोशिश की जाएगी ताकि अधिक से अधिक सेविकाओं और सहायिकाओं को इसका लाभ मिल सके। अधिकारियों ने कहा है कि इस कदम से न केवल सेविकाओं का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि समेकित बाल विकास सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। बिहार सरकार द्वारा आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं के मानदेय में वृद्धि का निर्णय स्वागत योग्य है। यह न केवल महिलाओं के योगदान का सम्मान है, बल्कि बच्चों और महिलाओं की सेवा में उनके प्रयासों को नई ऊर्जा प्रदान करेगा। चुनावी साल में यह घोषणा महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है। इससे आंगनबाड़ी सेवाओं की प्रभावशीलता बढ़ेगी और राज्य में पोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उम्मीदें और मजबूत होंगी।
