झारखंड में बड़े नक्सली हमले का अलर्ट, माओवादियों की मूवमेंट बढ़ी, अलर्ट मोड पर पुलिस विभाग
रांची। झारखंड में एक बार फिर नक्सलियों की गतिविधियों में तेजी देखी जा रही है और सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह अलर्ट मोड पर पहुंच गई हैं। भाकपा माओवादी संगठन द्वारा मनाया जाने वाला पीएलजीए सप्ताह दो दिसंबर की रात से शुरू हो चुका है, जो आठ दिसंबर तक जारी रहेगा। इस अवधि में नक्सलियों की गतिशीलता और गतिविधियों में उग्रता की संभावना को देखते हुए पुलिस मुख्यालय, विशेष शाखा और आइजी अभियान ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि इस सप्ताह के दौरान नक्सली कई बड़े हमलों को अंजाम देने की कोशिश कर सकते हैं और राज्य के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है।
पीएलजीए सप्ताह के दौरान नक्सलियों की रणनीति
पीएलजीए सप्ताह नक्सलियों के लिए हर वर्ष का सबसे सक्रिय और महत्वपूर्ण समय माना जाता है। इस दौरान वे अपनी संगठनात्मक शक्ति बढ़ाने, नए क्षेत्रों में प्रभाव स्थापित करने और सुरक्षा बलों के खिलाफ हमला करने की कोशिश करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, नक्सली अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देकर पुलिस और प्रशासन को चुनौतियां देने की रणनीति अपना सकते हैं। साथ ही वे उन इलाकों में भी पैठ बना सकते हैं, जहां पहले उनकी पकड़ कमजोर हो चुकी थी।
नक्सलियों द्वारा की जा सकने वाली संभावित कार्रवाई
रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है कि नक्सली निर्माणाधीन और नवनिर्मित पुलिस पोस्ट, पिकेट और सुरक्षा कैंपों को अपना प्रमुख निशाना बना सकते हैं। उनका उद्देश्य पुलिस की गतिविधियों को नुकसान पहुंचाना और सुरक्षा बलों को भयभीत करना होता है। इसके अलावा नक्सली अपने प्रभाव क्षेत्रों में सभा, बैठक और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं, जिससे वे अपने कैडरों को और अधिक सक्रिय और संगठित बना सकें। नक्सलियों की स्नाइपर टीम या छोटे हिट स्क्वाड भीड़-भाड़ वाले इलाकों में हमला कर सकते हैं। ऐसे हमले अचानक होते हैं और इनका उद्देश्य अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाना होता है। रिपोर्ट के अनुसार, नक्सली रेलवे ट्रैक, स्टेशन, पुलिस गश्ती वाहन, सुरक्षाबलों के कैंप, अंचल या प्रखंड कार्यालय, माइनिंग क्षेत्र और कोल डंप पर भी हमला कर सकते हैं। ये क्षेत्र पहले भी नक्सल हिंसा के शिकार रहे हैं और पुलिस ने इस बार इन क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा व्यवस्था के आदेश दिए हैं।
नक्सलियों की पुराने हमलों की रणनीति
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि नक्सली अक्सर छोटी-मोटी घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस को मौके पर बुलाते हैं और फिर बड़ी हिंसक कार्रवाई डालते हैं। यह उनकी पुरानी और प्रभावी रणनीति है, जिसके कारण कई बार सुरक्षा बलों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। इस रणनीति से निपटने के लिए भी विशेष निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि पुलिस बिना उचित तैयारी के ऐसे स्थानों पर न पहुंचे।
पुलिस और सुरक्षा बलों को दिए गए निर्देश
आइजी अभियान की ओर से नक्सल प्रभावित जिलों के एसपी को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि पीएलजीए सप्ताह के दौरान पूरे पुलिस बल को हाई अलर्ट पर रखा जाए। सुरक्षा अभियान के दौरान किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो और सभी टीमों की मूवमेंट मजबूत और संगठित तरीके से हो। सड़क पर वाहनों की आवाजाही के दौरान सुरक्षा उपायों को और मजबूत बनाने का निर्देश भी दिया गया है, ताकि किसी भी तरह के अचानक हमले से बचा जा सके। पुलिस को नक्सलियों और उनके समर्थकों की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखने को कहा गया है। इसके लिए खुफिया तंत्र को और सक्रिय किया जा रहा है। गांवों, जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष निगरानी रखी जा रही है, क्योंकि ये क्षेत्र नक्सलियों की चहलकदमी के लिए अनुकूल माने जाते हैं।
संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा बढ़ाई गई
हाट-बाजार, ग्रामीण मंडियां और अधिक भीड़-भाड़ वाले इलाकों में भी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। पुलिस ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर इन क्षेत्रों में अतिरिक्त बल तैनात किए हैं। सुरक्षा कैमरों, ड्रोन और विशेष जांच टीमों का उपयोग भी बढ़ा दिया गया है ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत पकड़ा जा सके। राज्य के कई हिस्सों में पुलिस ने फ्लैग मार्च भी शुरू कर दिया है, ताकि लोगों में सुरक्षा का भरोसा कायम रहे और नक्सली हिंसा की आशंका को कम किया जा सके। झारखंड में नक्सल हिंसा का इतिहास लंबा रहा है और पीएलजीए सप्ताह के दौरान नक्सलियों की गतिविधियां हमेशा बढ़ जाती हैं। ऐसे में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बेहद जरूरी है। रिपोर्ट के आधार पर राज्य के कई जिलों में सतर्कता बढ़ा दी गई है और व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सुरक्षा बल इन सतर्कता उपायों को कितनी प्रभावी ढंग से लागू कर पाते हैं और नक्सलियों की रणनीति को किस हद तक विफल कर पाते हैं।


