शतभिषा नक्षत्र व ध्रुव योग में अक्षय नवमी शनिवार को, स्नान-दान व पूजन से मिलेगा अक्षय फल

पटना। कार्तिक शुक्ल नवमी दिन शनिवार को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाएगा। कल नवमी तिथि सुबह 09:49 बजे तक ही है, लेकिन सूर्योदय नवमी में होने से पूरे दिन नवमी तिथि का ही मान रहेगा। आंवले के वृक्ष की जड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। इसीलिए उत्तम स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि व शांति का कामना से आंवला वृक्ष का पूजन किया जायेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि कल अक्षय नवमी पर शतभिषा नक्षत्र के साथ ध्रुव योग व कौलव करण का पुण्यकारी संयोग बन रहा है। कौलव करण श्रेष्ठ फल देने वाला ऊर्ध्व अवस्था का करण माना जाता है। संतान की कामना करने वाले श्रद्धालु विधि-विधान से भगवान नारायण की पूजा आंवला के पेड़ के नीचे करेंगे। कल के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना कर दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अन्य दिनों की तुलना में नवमी पर किया गया दान-पुण्य कई गुना अधिक लाभ दिलाता है।
सुख-समृद्धि व सौभाग्य हेतु आंवला पूजन
आचार्य राकेश झा ने कहा कि आंवला के वृक्ष को अक्षय शुभदायक, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। अक्षय नवमी से कार्तिक पूर्णिमा तक इस पेड़ की जड़ में देवताओं का वास होने से अक्षय नवमी पर पूजन तथा दुग्धाभिषेक के बाद संध्या काल में घी का दीपक जलाने से भक्तों को सभी पापों से मुक्ति, आरोग्यता, सौभाग्य व सुख-समृद्धि का लाभ मिलता है। कार्तिक मास में वैसे तो स्नान का अपना ही महत्व होता है, लेकिन इस दिन गंगा स्नान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। आंवला का पेड़ में कई औषधीय गुण विद्यमान है। आंवला को आयु और आरोग्य वर्धक भी माना जाता है। अक्षय नवमी की तिथि के दो दिन बाद यानि कार्तिक शुक्ल एकादशी को सृष्टि का पालनहार श्रीहरि विष्णु योगनिद्रा से जागृत होंगे, आज से ही त्रेता युग का आरंभ हुआ था।
सूर्य के दोष से मिलेगी मुक्ति
पंडित गजाधर झा के अनुसार विष्णु पुराण में आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और शिव का वास बताया गया है। जिनकी कुंडली में सूर्य ग्रह पीड़ित है अथवा सूर्य कमजोर या सूर्य शत्रु राशि में रहता है, उन जातकों को आंवले के पेड़ के नीचे दस दिन तक भगवान विष्णु को दीपक जलाना चाहिए। इससे दोषों से मुक्ति मिलती है। इस दिन आंवला के पूजन का पुण्यफल इस जन्म के साथ अगले जन्म में भी मिलता है। आंवला नवमी को भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक दैत्य का अंत किया था, इसीलिए इस दिन कुष्मांड या भतुआ में स्वर्ण, धातु या द्रव्य डालकर गुप्त रूप से दान किया जाता है।
मनोकामना पूर्ति के लिए आंवला की पूजा
अक्षय नवमी के दिन स्नान, पूजन, तर्पण, अन्न तथा वस्त्र दान करने से हर मनोकामना पूरी होती है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का नियम है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अतिप्रिय है, क्योंकि इसमें लक्ष्मी का वास होता है। इस दिन व्रत करने से शादीशुदा औरतों की सभी मनोकामना पूरी होती है। जिन दंपतियों का वैवाहिक जीवन कष्ट पूर्ण चल रहा हो, वह इस दिन प्रभु श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। इससे मधुरता आती है। आर्थिक संकटों और कर्ज से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु को हलवे का भोग लगाना चाहिए।
पूजन से सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि
इस दिन गुप्त दान करना बेहद शुभ माना जाता है। आंवला के पेड़ के नीचे 10 दिनों तक भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। परिक्रमा कर उसमे रक्षासूत्र बांधकर एवं दीप जलाकर मनोकामना मांगी जाती है। इसी पेड़ के नीचे बैठकर व्रती खाना भी खाती हैं। यह तिथि बहुत ही शुभ होती है। इसलिए इस दिन से कई शुभ काम शुरू किए जाते हैं। नवमी के दिन जगद्धात्री पूजा होती है। इस दिन जल में आंवले का रस मिलाकर नहाने से जातक के ईर्द-गिर्द जितनी भी नकारात्मक ऊर्जा होगी वह स्वत: नष्ट हो जाती है। सकारात्मकता ऊर्जा और पवित्रता में वृद्धि होती है।

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