PATNA : सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं पटना के अखंड वासिनी मंदिर के दर्शन से-108 वर्षों से अखंड ज्योति – मनोरथ पूर्ण करती है मां

पटना(बन बिहारी)। पटना की जागृत अखंडवासिनी मंदिर के बारे में जहां कामाख्या की ज्योति पिछले 108 वर्षों से जल रही है। अगर आप दुर्गा पूजा के मौके पर पटना में है। तो अखंड ज्योति वाले माता रानी के इस मंदिर का दर्शन जरूर करें। मनोकामना पूर्ण होने के साथ-साथ असीम शांति मिलती है। अखंड वासिनी मंदिर के अखंड ज्योत के दर्शन से। पटना के गोलघर के पास अवस्थित अखंड वासिनी देवी मंदिर में आज भी माता रानी भक्तों के उद्धार के लिए जागृत रहती है। बता दे की गोलघर के पास स्थित अखंडवासिनी मंदिर में 108 सालों से लगातार अखंड ज्योत जल रही है। यह ज्योत मामूली नहीं माता की ज्योत है। इसे असम के कामाख्या से यहां लाया गया है। एक में घी और दूसरे में सरसो के तेल का प्रयोग होता है। जो भक्त खास मनोकामना लेकर यहां आते हैं। सरसो का तेल और घी की व्यवस्था देते हैं। अखंडवासिनी मंदिर में मां काली की प्रतिमा के साथ माता की बंगलामुखी प्रतिमा स्थापित है। नवरात्र में यहां सात हल्दी, नौ लाल फूल व एक पॉकेट सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।

नवरात्र में सप्तमी, अष्टमी और नवमी मिलाकर यहां 50 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन-पूजन करने आते हैं। हर दिन त्रिकाल आरती होती है। वैसे हर मंगलवार को यहां पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। 1914 में झोपड़ीनुमा यह मंदिर आज पटना के प्रमुख शक्ति उपासना स्थलों में एक है। तीन पीढ़ियों से एक ही परिवार कर रहे हैं माता की सेवा, शायद पटना का यह पहला मंदिर होगा, जहां तीन पीढ़ियों से एक ही परिवार के लोग माता की सेवा में लगे हैं। मौजूदा व्यवस्थापक व पुजारी विशाल तिवारी ने बताया कि 1914 में उनके बाबा आमी स्थान निवासी आयुर्वेदाचार्य डॉ. विश्वनाथ तिवारी ने इस अखंड दीप को कामाख्या से लाकर यहां स्थापित किए थे। तब से 2 अखंड दीप मंदिर में लगातार जल रहे हैं। नवरात्र के नौ दिनों में यहां अखंड दीप में पांच से छह किलो घी और सरसों तेल की खपत होती है। मंदिर की स्थापना 150 साल पहले की गई थी। जानकारी के अनुसार अंग्रेजों के आतंक से बचने के लिए इस मंदिर को बनाया गया था। वही इस मंदिर को मनोकामना मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां भक्त मां को खड़ी हल्दी और फूल चढ़ाते हैं। जिनकी भी मन्नत पूरी होती है। वो अपनी सुविधानुसार घी और तेल का दीया जलातेमंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां जल रहा अखंड दीपक है। मंदिर में घी व तेल के दो दीये लगातार जल रहे हैं। माना जाता है कि मंदिर में ये दीये 108 वर्षों से जल रहे हैं। जिनकी भी मनोकामना पूर्ण होती है। वह दीया जलाते हैं। नवरात्र के मौके पर भी घी या तेल के नौ दीपक जलाने की परंपरा है। वही इस मंदिर में बारे में कहा जाता है कि यहां 108 सालों से भी ज्यादा समय से अखण्ड़ ज्योति जल रही और यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. इस मंदिर के पुजारी विशाल तिवारी बताते हैं कि वैसे तो साल भर यहां श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है लेकिन नवरात्रि के अवसर पर मंदिर में भक्त विशेष तौर पर यहां अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं।

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