December 23, 2025

पटना पुलिस पर निर्दोष युवक को जेल भेजने का आरोप, परिजनों का दावा, रेप का आरोपी फरार, जल्दीबाजी में की कार्रवाई

पटना। मेहंदीगंज थाना क्षेत्र से सामने आए एक मामले ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नाबालिग से दुष्कर्म जैसे संवेदनशील अपराध में पुलिस पर बिना पूरी जांच किए एक निर्दोष युवक को जेल भेजने का आरोप लगाया गया है। परिजनों का कहना है कि वास्तविक आरोपी अब भी खुलेआम घूम रहा है, जबकि पुलिस ने जल्दबाजी में गलत व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। यह मामला न सिर्फ कानून व्यवस्था बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता को लेकर भी बहस का विषय बन गया है।
नाबालिग बच्ची दुष्कर्म का मामला, चाचा पर
यह मामला 14 दिसंबर का बताया जा रहा है। मेहंदीगंज थाना क्षेत्र की एक 13 वर्षीय नाबालिग बच्ची ने अपने मुंह बोले चाचा पर दुष्कर्म का गंभीर आरोप लगाया था। बच्ची की लिखित शिकायत के आधार पर पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की। प्राथमिकी में कहा गया कि आरोपी ने रिश्ते का भरोसा दिलाकर बच्ची को मौसी के घर ले जाने का बहाना बनाया और फिर सुनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। साथ ही जान से मारने की धमकी देकर उसे चुप रहने को कहा गया।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी बताए गए युवक को 16 दिसंबर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस का दावा था कि पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपी की पहचान की गई है और उसी के अनुसार गिरफ्तारी हुई। शुरुआती बयानों में पुलिस ने यह भी कहा था कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं और मामले की जांच की जा रही है।
परिजनों के गंभीर आरोप
आरोपी युवक के परिजनों ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनका बेटा निर्दोष है और उसे बिना ठोस जांच के जेल भेज दिया गया। परिजनों का दावा है कि घटना के समय युवक कहीं और मौजूद था, जिसका प्रमाण सीसीटीवी फुटेज में साफ तौर पर दिखता है। उनका आरोप है कि पुलिस ने न तो फुटेज को ठीक से देखा और न ही अन्य संभावित साक्ष्यों की जांच की। जल्दबाजी में की गई इस कार्रवाई के कारण एक निर्दोष युवक को जेल जाना पड़ा, जबकि असली आरोपी अब भी फरार है।
सीसीटीवी फुटेज को लेकर विवाद
परिजनों ने मामले में सीसीटीवी फुटेज को अहम सबूत बताते हुए कहा कि फुटेज में दिखाई देने वाला व्यक्ति गिरफ्तार किए गए युवक से अलग है। उनका कहना है कि अगर पुलिस ने फुटेज की बारीकी से जांच की होती, तो यह साफ हो जाता कि आरोपी कोई और है। वहीं, पुलिस का कहना है कि फुटेज में दिखाई देने वाले युवक का चेहरा स्पष्ट नहीं है, जिससे पहचान में दिक्कत हो रही है। इस बिंदु पर दोनों पक्षों के दावे आमने-सामने हैं।
थाना प्रभारी का पक्ष
मेहंदीगंज थाना प्रभारी पूजा कुमारी ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है कि पुलिस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है। उन्होंने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में युवक का चेहरा साफ नजर नहीं आ रहा है, इसलिए पहचान को लेकर संदेह की स्थिति बनी हुई है। उनका कहना है कि जांच के दौरान जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। थाना प्रभारी ने यह भी कहा कि किसी निर्दोष को फंसाने का सवाल ही नहीं उठता और पुलिस निष्पक्ष रूप से काम कर रही है।
वरिष्ठ अधिकारियों की प्रतिक्रिया
इस मामले पर सिटी एसपी पूर्वी परिचय कुमार ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बताया कि पूरे प्रकरण की जांच जारी है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जा रहा है। अगर जांच में कोई त्रुटि पाई जाती है या गलत व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है, तो उसे सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। वरिष्ठ अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि जांच में निष्पक्षता बरती जाएगी और सच्चाई सामने लाई जाएगी।
न्याय और कानून पर उठते सवाल
यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या गंभीर मामलों में त्वरित कार्रवाई के दबाव में जांच की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। दुष्कर्म जैसे संगीन अपराधों में पीड़िता को न्याय दिलाना बेहद जरूरी है, लेकिन साथ ही यह भी उतना ही जरूरी है कि किसी निर्दोष को सजा न मिले। परिजनों का कहना है कि अगर पुलिस ने जल्दबाजी में गलत व्यक्ति को जेल भेज दिया, तो यह न्याय व्यवस्था पर गंभीर आघात है।
आगे की राह
फिलहाल पूरा मामला जांच के अधीन है। पुलिस का कहना है कि वह हर पहलू की पड़ताल कर रही है, वहीं परिजन निष्पक्ष जांच और निर्दोष युवक की रिहाई की मांग कर रहे हैं। इस प्रकरण का निष्कर्ष जांच के बाद ही सामने आएगा, लेकिन तब तक यह मामला पुलिस की कार्यशैली, जांच प्रक्रिया और न्यायिक संतुलन को लेकर कई सवाल छोड़ जाता है। अब सभी की निगाहें जांच रिपोर्ट और आगे की कार्रवाई पर टिकी हैं, जिससे यह तय हो सके कि सच में गलती हुई है या नहीं और न्याय किस दिशा में जाता है।

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