पटना में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाली युवती ने की आत्महत्या, तनाव में आकर उठाया कदम

पटना। राजधानी पटना से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है, जहां प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही एक 23 वर्षीय युवती ने आत्महत्या कर ली। यह घटना पटना के जक्कनपुर थाना क्षेत्र की है और रविवार देर रात को घटी। मृतका मूल रूप से बिहार के सिवान जिले की निवासी थी और पटना में एक किराए के मकान में रहकर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही थी। स्थानीय लोगों ने जब उसे बेहोशी की हालत में देखा तो तुरंत पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने युवती को पास के अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना ने न केवल उस परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, बल्कि समाज के सामने एक गंभीर सवाल भी खड़ा कर दिया है – क्या प्रतियोगी परीक्षाओं का दबाव हमारे युवाओं को मानसिक रूप से तोड़ रहा है। परिजनों के अनुसार, युवती पढ़ाई में शुरू से ही मेधावी थी और उसका सपना था कि वह एक प्रतिष्ठित सरकारी पद हासिल कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाए। वह कई वर्षों से कोचिंग क्लासेस और स्व-अध्ययन के जरिए मेहनत कर रही थी। हालांकि, हाल के कुछ महीनों से वह तनाव में रहने लगी थी। उसे यह महसूस हो रहा था कि उसकी कड़ी मेहनत का कोई फल नहीं मिल रहा है।पुलिस जांच में अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, लेकिन प्रारंभिक तौर पर ऐसा माना जा रहा है कि मानसिक तनाव, निरंतर असफलता और प्रतिस्पर्धा का दबाव उसकी आत्महत्या का कारण बन सकते हैं। आज के दौर में जब सरकारी नौकरियों की संख्या सीमित है और प्रतिस्पर्धा चरम पर है, तब ऐसे में हजारों युवा सालों की मेहनत के बाद भी सफलता न मिलने पर मानसिक रूप से टूट जाते हैं। वहीं, अपने घर से दूर बड़े शहर में अकेले रहकर पढ़ाई करना भी युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने युवाओं को केवल परीक्षा और नौकरी की दौड़ में धकेल रहे हैं, बिना यह समझे कि उनका मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है। अब समय आ गया है कि परिवार, समाज और सरकार मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाएं जिसमें युवाओं को केवल करियर ही नहीं, बल्कि जीवन के प्रति सकारात्मक सोच और भावनात्मक सहारा भी मिले। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और परिजनों ने न्याय की मांग की है। इस घटना को एक चेतावनी के रूप में लेकर हमें अपने शैक्षणिक और सामाजिक तंत्र पर पुनर्विचार करना होगा।

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