पटना में ट्रक ने युवक को कुचला, दर्दनाक मौत, विरोध में लोगों ने हाईवे किया जाम

पटना। जिले के घोसवरी थाना क्षेत्र में मोकामा–सरमेरा हाईवे पर शनिवार को हुए दर्दनाक सड़क हादसे ने स्थानीय लोगों को गहरे आक्रोश और पीड़ा में डाल दिया है। शहरी गांव के पास एक युवक को तेज रफ़्तार ट्रक ने कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना ने जहां एक परिवार को असमय दुख दे दिया, वहीं सैकड़ों यात्रियों और ग्रामीणों की जिंदगी भी घंटों तक अस्त–व्यस्त रही। ग्रामीणों का कहना है कि हाईवे से रोड ब्रेकर हटा दिए गए थे, जिससे आए दिन वाहन तेज रफ्तार से गुजरते हैं और दुर्घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया कि सुरक्षा उपायों की अनदेखी के कारण ये हादसा हुआ। यही वजह है कि हादसे के बाद लोग गुस्से में आकर हाईवे को जाम कर सड़क पर बैठ गए। पिछले तीन घंटे से ये जाम जारी है, और सैकड़ों गाड़ियाँ, जिनमें स्कूल बस, एंबुलेंस और यात्री वाहन शामिल हैं, सड़क के दोनों ओर फंसी हुई हैं। जाम की वजह से यात्री भीषण गर्मी में बेहाल हो गए हैं। स्कूली बच्चों, बीमार लोगों और आम राहगीरों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों की स्कूल बसें और मरीजों की एंबुलेंस घंटों तक फंसी रही, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा पर भी असर पड़ा। सूचना मिलते ही कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची और लोगों को समझाने की कोशिश की। किंतु अभी तक स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाई है और तनाव कायम है। ग्रामीणों की मांग है कि जब तक खुद जिलाधिकारी घटनास्थल पर नहीं आएंगे और पीड़ित परिवार को मदद का आश्वासन नहीं मिलेगा, तब तक वे जाम नहीं हटाएँगे। प्रशासनिक अधिकारियों का भी कहना है कि हरसंभव मदद दी जाएगी और परिवार को न्याय दिलाने की कोशिश होगी। पुलिस ग्रामीणों से लगातार बातचीत करके जाम हटवाने का प्रयास कर रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि पिछली बार भी जब ऐसे हादसे हुए थे, उन्हें मुआवज़ा नहीं मिला था। वे इस बार मुआवज़ा और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि सड़क सुरक्षा के उपाय बगैर प्रशासनिक हस्तक्षेप और जवाबदेही के सुधर नहीं सकते। इस हादसे ने न सिर्फ एक जान ली, बल्कि पूरे इलाके को दुःख और असंतोष से भर दिया। प्रशासन को चाहिए कि सुरक्षा उपायों पर ध्यान दे, पीड़ित परिवार को मदद मुहैया कराए और भविष्य में ऐसी घटनाएँ रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। ग्रामीणों का आक्रोश और स्थिति की गंभीरता बताती है कि सड़क सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारी को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
