ज्ञात हो कि हमारे इलाको में अगहन माह में ही धान की फसलों की कटाई की जाती है। वही किसान धान की फसल तैयार होते ही अपने खेतों में कटनी करने में जुट गए है। ज्यादा किसान अपनी धान की फसलों को खेतों में काटकर घर लाने के लिए छोड़ दिये है। उन खेतो में रवि की फसले धान के नीचे दवी हुई है। जबकि सरसो व धनिया मसालों की फसलों में फूल आने लगे है। वही आलू की फसलें भी विकास में है। ऐसी स्थिति में अचानक तूफान का आना फसलों के लिए नुकसान दायक हो सकता है।
पालीगंज के बृद्ध व अनुभवी किसान ने बताया कि डेढ़ माह से पानी के अभाव में इलाके के अधिक खेतो में दरारें पड़ चुकी है। इस बूंदाबांदी से उन खेतो को कोई लाभ नही होगी। यहां तक कि उन खेतो की न तो जुताई की जा सकती है न खेतो में बीजो की बुआई बल्कि अन्य कुछ खेतो में लगी फसलों को नुकसान जरूर होगी। वे बताते है कि तूफान के कारण खेतो में लगे आलू की फसलों में पाला गिरने की संभावना बढ़ गयी है। वही इस बूंदाबांदी से खेतों में फूल लगे सरसो व धनिया मशालों की फुले नष्ट हो जाएगी जिससे फल नही के बराबर लगेंगे। अभीतक खेतो में धान की फसल लगी होने के कारण गेंहू की फसलें नही लगाई गई है। वही अधिक खेतो में पानी की अभाव से दलहन फसलों की भी बुआई नही हो पाया है। कुछ किसान पम्प सेट से पानी उपलब्ध कर बुआई किये भी तो धान के फसलों के नीचे दबी है। बूंदाबांदी से भींग जाने के कारण धान की फसलों को हटाने में कठिनाई होगी जिससे दबी हुई फसलें नष्ट हो जाएगी।
वही बहेरी के सड़को से होते हुए पालीगंज ट्यूशन पढ़ने जा रहे रितेश राज ने बताया कि ठण्ड इतनी बढ़ गयी है कि शरीर मे कपकपी महसूस हो रही है। यदि ट्यूशन नही जाऊंगा तो मेरी अध्याय छूट जायगा।
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