December 10, 2025

गुवारीडीह पहुंचे CM नीतीश, कहा- पुरातात्विक अवशेषों के संरक्षण के लिए कोसी के धार को मोड़ा जाएगा

भागलपुर। बिहार चुनाव में जीत के बाद पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भागलपुर दौरे पर आए। वह रविवार को गुवारीडीह का निरीक्षण करने आए थे। मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर गुवारीडीह में कामा माता स्थान के पास बनाए गए हेलीपैड पर 1 बजे उतरा। मुख्यमंत्री यहां 2 बजकर 15 मिनट तक रहे। मुख्यमंत्री ने स्टॉल पर सजा कर रखे जिले के बिहपुर में जयरामपुर के गुवारीडीह बहियार में करीब तीन हजार पूर्व की प्राचीन सभ्यता के मिल रहे अवशेषों का अवलोकन किया। उन्होंने अधिकारियों को इन्हें सहेजने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री के निरीक्षण के बाद इन पुरातात्विक महत्व के प्राचीन अवशेषों को अब पूरा बिहार देख पाएगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि पुरातात्विक अवशेषों के संरक्षण के लिए कोसी के धार को मोड़ा जाएगा। स्थल का पूर्ण अध्ययन होगा।


उन्होंने स्थल निरीक्षण के बाद जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी के साथ कोसी धार का भी निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह लगभग ढाई हजार साल पुराना ऐतिहासिक स्थल है। पुरातत्व विभाग और जल संसाधन विभाग की पूरी टीम कोसी कछार के पूरे एरिया में उत्खनन कर अवशेषों को खोजेगी।  सीएम नीतीश ने कहा कि जल्द ही विशेषज्ञ की टीम पूरे इलाके का अध्ययन करने आएगी। सीएम ने कहा कि इससे पहले बांका जिले में भी ऐतिहासिक अवशेष मिले थे। बिहार के जमुई, बांका व भागलपुर जिले में पौराणिक अवशेषों का मिलना अपने आप में बड़ा महत्व रखता है। इन ऐतिहासिक स्थलों को डेवलप किया जाएगा। कल तक इस इलाके के बारे में मुझे भी नहीं पता था। बिहपुर विधायक ने कटाव में मिले अवशेष की जानकारी दी। इसके बाद देखने की इच्छा हुई। नीतीश ने कहा कि अध्ययन करने के बाद इन क्षेत्रों में जहां-जहां अवशेष मिलेंगे, उसके बाद कोसी के धारा को मुख्यधारा में जोड़ने का काम किया जाएगा। धार में परिवर्तन के बाद इस इलाके में कटाव की समस्या भी समाप्त हो जाएगी।
बांका में भी मिले थे प्राचीन अवशेष
इससे पहले बांका जिले के अमरपुर के भदरिया गांव में भी छठ पर्व के मौके पर घाट बनाए जाने के क्रम में चानन नदी में भवनों के अवशेष मिले थे। बताया जाता है कि चानन नदी की 333.67 डिसमिल जमीन में अवशेष मिले हैं, जिसकी सीमा खुदाई के बाद और अधिक बढ़ने की भी संभावना व्यक्त की गई है। मुख्यमंत्री के निरीक्षण के बाद महत्व के हिसाब से इन अवशेषों को पटना या स्थानीय संग्रहालय में सहेजा जाएगा।

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