एक महिला का दर्द : अस्पताल के पूरे सिस्टम को कटघरे में लाकर खड़ा करने के लिए है काफी
भागलपुर (गौतम सुमन गर्जना)। बिहार के भागलपुर जिले के जगदीशपुर स्थित गोनू धाम की कंचन कुमारी काफी परेशान और चिंतित होकर कभी इस दफ्तर तो कभी उस दफ्तर का लगातार चक्कर लगा रही है, लेकिन कहीं कोई कुछ बताने वाला नहीं है। कंचन थक- हारकर कार्यालय के बाहर बैठ जाती है, सिर पर हाथ रखकर कभी अपनी किस्मत को कोसती तो कभी सिस्टम को। उनकी परेशानी को देखकर निजी गार्ड उनके पास आता है और उनका हालचाल पूछता है।
यह वाक्या रविवार की दोपहर 2:45 बजे का है और यह दृश्य सदर अस्पताल के ओपीडी के पास की है। जब हमारे संवाददाता ने कंचन कुमारी का हाल-चाल लिया तो, वह अपनी किस्मत पर रोते हुए वह फफक-फफक कर अपने दर्द और पीड़ा को बताई और कहा कि उसके पति दिलीप यादव कुछ दिनों से बीमार चल रहे हैं। एक सप्ताह पहले भागलपुर स्थित एक निजी डॉक्टर के यहां उनका इलाज कराया गया। दो दिन बाद तबीयत में सुधार हुआ, तत्पश्चात तबीयत फिर बिगड़ गई। इन्हें लेकर जब निजी चिकित्सक के यहां दुबारा पहुंचे तो वहां मौजूद कंपाउंडर ने इलाज के पहले उनका कोरोना जांच कराने की बात कही। उन्होंने रोते हुए बताया कि तब से वह लगातार दो दिनों से सदर अस्पताल का चक्कर लगा रही है, लेकिन उनके पति की जांच नहीं हो पा रही है। वह अब क्या करें, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। वह लड़की इतना बोलने के बाद फिर रोने लगी। यह लड़की कंचन का दर्द अस्पताल के पूरे सिस्टम को कटघरे में लाकर खड़ा करने के लिए काफी है।
स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह लाचार
भले ही स्वास्थ्य विभाग तरह-तरह के दावे कर रहा हो, लेकिन स्थिति ठीक उलट है। जिले में व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। इसे कोई देखने वाला नहीं है। न अस्पताल में चिकित्सक है और न स्वास्थ्य कर्मी। एक तरह से ऐसा कहे कि सभी लोग घरों में संडे छुट्टी मना रहे हैं। अगर इमरजेंसी में कोई फोन भी कर दे तो चिकित्सक फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझते। सिविल सर्जन भी कार्रवाई की बात करते हैं। लेकिन हकीकत में कुछ नहीं दिखता। रविवार को सदर अस्पताल में चिकित्सक और न स्वास्थ्य कर्मी नजर आए। हालांकि, क्षेत्रीय जांच घर खुला हुआ था। अंदर में लैब टेक्नीशियन अपने काम में व्यस्त थे। लेकिन, बाहर खड़े करीब आधा दर्जन जांच कराने वालों को देखने वाला कोई नहीं था।


