पूर्व मध्य रेल मानसून को लेकर बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में आने वाले रेलमार्गों की सुरक्षा के लिए उठा रही एहतियाती कदम
हाजीपुर। पूर्व मध्य रेल क्षेत्राधिकार में ऐसे कई रेलमार्ग हैं, जहां भारी बारिश की स्थिति में रेल पटरियों अथवा रेल पुलों पर बाढ़ का पानी आ जाने के कारण परिचालन बाधित हो जाता है। इसके मद्देनजर रेल परिचालन कम से कम बाधित हो, इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। मानसून के दौरान होने वाली ऐसी परेशानियों से निपटने के लिए पूर्व मध्य रेल द्वारा बाढ़ पूर्व एहतियाती कदम उठाए गए हैं ताकि बाढ़ की स्थिति में जब रेल परिचालन बाधित हो तो जल्द से जल्द रेल परिचालन को पुर्नबहाल किया जा सके। बाढ़ की आपात स्थिति से निपटने के लिए बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में आनेवाले रेलमार्गों के निकट पत्थरों के बोल्डर, स्टोन डस्ट, सीमेंट की खाली बोरियां, बांस-बल्ली आदि पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
इस क्रम में पूर्व मध्य रेल के सभी मंडलों में कुल 19 हजार घनमीटर स्टोन बोल्डर ट्रैक के निकट रखा जा रहा है। इसके अलावा स्टोन बोल्डर के 150 वैगन भी तैयार रखे गए हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसे उपयोग में लाया जा सके। इसके अलावा 27 हजार घनमीटर स्टोन डस्ट रखे जा रहे हैं तथा इसके अलावा स्टोन डस्ट के 190 वैगन भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के लिए उपलब्ध किए जा रहे हैं। रेलवे ट्रैक को बाढ़ के पानी से बचाया जा सके इसके लिए लगभग 01 लाख 25 हजार सीमेंट की खाली बोरियां रखी जा रही हैं ताकि अगर जरूरत पड़े तो इसमें स्टोनडस्ट-बालू भरकर ट्रैक के बगल में रखकर ट्रैक को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सके।
संरक्षित रेलपरिचालन के उद्देश्य से बाढ़ पूर्व तैयारियां करते हुए पूर्व मध्य रेल के सभी मंडलों में 30 दिनों का सेफ्टी ड्राइव चलाया जा रहा है। यह सेफ्टी ड्राइव 10 जून को प्रारंभ किया गया जो है जो 10 जुलाई तक जारी रहेगा। इस दौरान यार्ड एवं ब्लॉक सेक्शन में जलनिकासी की व्यवस्था, समस्त रेलमार्गों में ओएचई तथा लोको पायलट को सिग्नल देखने में बाधा पहुंचाने वाले पेड़ों के डालों की छंटनी की जा रही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करते हुए इस क्षेत्र में आनेवाले रेलमार्गों पर पेट्रोलिंग के साथ-साथ वाचमैन भी तैनात किए जा रहे हैं, जो रेलवे ट्रैक के आसपास के जलस्तर की निगरानी करेंगे। वैसे जगहों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जहां मिट्टी के धंसने अथवा बहने की आशंका बनी रहती है। विद्युत एवं सिग्नल से जुड़े उपकरणों के आसपास पर्याप्त मिट्टी की व्यवस्था की जा रही है ताकि वहां बरसात का पानी नहीं पहुंच सके। वहीं बाढ़ की अद्यतन स्थिति की जानकारी हेतु राज्य सरकार के आपदा नियंत्रण कार्यालय एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग से समन्वय स्थापित किया जा रहा है, ताकि भारी बारिश की सटीक जानकारी प्राप्त हो सके और समय पूर्व एहतियाती कदम उठाया जा सके।


