कोरोना महामारी के कारण गंगा दशहरा पर लोग हुए मायूस, नहीं लगा सके डुबकी
भागलपुर (गौतम सुमन गर्जना)। गंगा दशहरा का दिन बहुत विशेष होता है। इस दिन सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दुगुना फल प्राप्त होता है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान करने का भी बहुत अधिक महत्व है। माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन पवित्र गंगा में डुबकी लगाने मात्र से ही मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं।
लकिन इन बार श्रद्धालु मायूस हो गए। कोरोना संक्रमण और लॉक डाउन के कारण इस बार श्रद्धालुओं का गंगा नदी में स्नान नहीं हो सका, इस कारण हजारों श्रद्धालु मायूस हुए और ऐसे श्रद्धालुओं को पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर संतोष करना पड़ा। इन श्रद्धालुओं का मानना है कि ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’। लोगों ने कहा कि गंगा माई सब देख रही है इसलिए वह उनका उद्धार जरूर करेंगी। इससे लोग तन एवं मन दोनों से निर्मल महसूस करेंगे।
गौरतलब हो कि आज का दिन स्नान, दान का रूपात्मक व्रत होता है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इसमें स्नान और दान तो विशेष रूप से करें। माना जाता है कि आज के दिन यदि गंगा जी या अन्य किसी पवित्र नदी पर सपरिवार स्नान के लिए जाएं तो सर्वश्रेष्ठ है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते यह संभव नहीं हो सका, इसलिए इस बार लोगों ने घर पर ही गंगाजल को सम्मुख रखकर मां गंगा की पूजा-आराधना की। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जप-तप, दान, व्रत, उपवास और गंगा जी की पूजा करने पर सभी पाप जड़ से कट जाते हैं। आज के दिन परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से सवा सेर चूरमा बनाकर साधुओं, फकीरों और ब्राह्मणों में बांटने का भी रिवाज है।


