सीएम साहब,आप के राज में बुजुर्ग पर किस कारण बरसी लाठियां,जान लेना जरूरी है आपके लिए भी…..

》》बेगूसराय के 75 वर्षीय बुजुर्ग गिरीश प्रसाद ने मुख्यमंत्री से मांगा न्याय

》》आरटीआई एक्टिविस्ट गिरीश प्रसाद में प्रशासनिक अधिकारियों को खड़ा कर दिया है कटघरे में
बेगूसराय।(बन बिहारी)बेगूसराय जिले के बरौनी के एक 75 वर्षीय सूचना अधिकार कार्यकर्ता गिरीश प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखकर बेरहमी से पिटाई के आरोप के साथ पूरे बेगूसराय जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। बेगूसराय के पुलिस ने एक 75 वर्षीय किडनी के मरीज गिरीश प्रसाद को उनके घर से उठाकर जबरन तीन घंटे फुलवरिया थाना में रखकर प्रताड़ित किया।बकौल गिरीश प्रसाद पुलिस ने प्रशासनिक अधिकारियों के साजिश में शामिल होकर इस जघन्य कार्य को अंजाम दिया है। आरटीआई एक्टिविस्ट के तौर पर बार-बार जिला प्रशासन से सवाल पूछते रहने वाले गिरीश प्रसाद को लॉक डाउन के नियमों का फायदा उठाकर पहले तो पुलिस घर से उठा कर थाना ले जाती है। फिर थाना में बंद कर कर बेरहमी से उनकी पिटाई की जाती है।गिरीश प्रसाद ने इस घटनाक्रम के संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर बताया है कि किस तरह तेघड़ा के अनुमंडल पदाधिकारी डॉ निशांत,प्रखंड विकास पदाधिकारी परमानंद पंडित, अंचलाधिकारी आदित्य विक्रम,प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी ललन कुमार ने सुनियोजित साजिश के तहत फुलवरिया थाना की पुलिस के सहयोग से गत 15 अप्रैल को रात्रि 8:00 बजे घर से जबरन उठा लिया।थाने में उपरोक्त अफसरों की मौजूदगी में खड़ा रखकर तीन घंटे तक मानसिक तथा शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।बाद में पीआर बांड भरवा कर छोड़ा गया। गिरीश प्रसाद ने मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में कहा है की वे वर्ष 2006 से सूचना अधिकार के कार्यकर्ता हैं। आरटीआई के तहत उनके द्वारा मांगे गए सूचनाओं से जिले के प्रशासनिक अधिकारी चिढ़े रहते हैं।इसलिए लॉक डाउन के नियमों का नाजायज लाभ उठाते हुए तेघड़ा के अनुमंडल पदाधिकारी ने एक सुनियोजित साजिश के तहत अपनी खुन्नस निकाली है और मनगढ़ंत प्राथमिकी दर्ज कराई है।गिरीश प्रसाद ने अपने लिखे पत्र में बताया है कि वह 75 वर्षीय बुजुर्ग है तथा लॉक डाउन के दौरान सरकार के द्वारा घोषित निर्देशों का पूरी तरह पालन करते हुए घर में ही रहते हैं। मगर सूचना अधिकार कार्यकर्ता होने के नाते उनके द्वारा मांगी गई सूचनाओं से नाराज रहने वाले प्रशासन ने पुलिस के सहयोग से उन पर इतना अत्याचार किया है।उन्होंने मुख्यमंत्री से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करा कर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।गिरीश प्रसाद के शरीर पर बने जख्म को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आखिर 75 वर्षीय इस बुजुर्गों को किस गुनाह के तहत पुलिस ने यह सजा दी है। गिरीश प्रसाद के जख्म नीतीश सरकार के लोकतांत्रिक मूल्यों पर एक काला धब्बा की तरह प्रतीत हो रहा है।