बंगाल चुनाव के लिए अमित शाह ने संभाली कमान, प्रदेश नेताओं के साथ की बैठक, ममता के खिलाफ बनी रणनीति
कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव भले ही अभी कुछ महीने दूर हों, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इस बार पार्टी ने चुनावी रणनीति की कमान सीधे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाथों में सौंप दी है। बुधवार को अमित शाह कोलकाता पहुंचे और उन्होंने राज्य के वरिष्ठ नेताओं, सांसदों, विधायकों और संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की। यह बैठक कोलकाता के साल्ट लेक स्थित एक होटल में आयोजित की गई, जिसे आगामी विधानसभा चुनाव की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अमित शाह की सक्रिय भूमिका
आमतौर पर भाजपा बड़े राज्यों में चुनाव की जिम्मेदारी केंद्रीय नेतृत्व के किसी वरिष्ठ नेता को सौंपती है, लेकिन पश्चिम बंगाल के मामले में अमित शाह का खुद मैदान में उतरना इस बात का संकेत है कि पार्टी इस राज्य को लेकर बेहद गंभीर है। वर्ष 2021 में बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे 2 मई को आए थे और माना जा रहा है कि 2026 के चुनाव भी अप्रैल-मई के आसपास हो सकते हैं। ऐसे में अमित शाह ने अभी से रणनीतिक स्तर पर तैयारियों की शुरुआत कर दी है।
प्रदेश नेतृत्व के साथ मंथन
बैठक में नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। इसके अलावा पार्टी के सभी सांसदों, विधायकों और कुछ प्रमुख नगर निगम प्रतिनिधियों को भी इस बैठक में बुलाया गया था। संगठन से जुड़े प्रभावशाली पदाधिकारियों की भी इसमें भागीदारी रही। सूत्रों के अनुसार, बैठक में उन्हीं नेताओं को प्राथमिकता दी गई, जिन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने की संभावना है या जिन्हें प्रचार की अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
दिलीप घोष की मौजूदगी बनी चर्चा का विषय
इस बैठक की सबसे खास और चर्चित बात बंगाल भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की मौजूदगी रही। उनकी उपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे दिया। कुछ समय पहले तक यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि दिलीप घोष पार्टी से नाराज हैं। वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भी नजर आए थे, जब वे भगवान जगन्नाथ मंदिर के लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल हुई थीं। उस समय यह चर्चा भी जोरों पर थी कि वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, अमित शाह द्वारा दिलीप घोष से मुलाकात और बातचीत ने इन तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है। इससे साफ संकेत मिलता है कि भाजपा नेतृत्व उन्हें फिर से सक्रिय भूमिका में लाना चाहता है।
दिलीप घोष की राजनीतिक अहमियत
दिलीप घोष को बंगाल भाजपा के सबसे सफल प्रदेश अध्यक्षों में गिना जाता है। उनके नेतृत्व में ही वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीती थीं, जबकि 2014 में पार्टी को महज 3 सीटों पर ही सफलता मिली थी। इसके बाद 2021 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने 70 सीटें जीतकर खुद को राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में स्थापित किया। ऐसे में दिलीप घोष की राजनीतिक पकड़ और संगठनात्मक क्षमता को नजरअंदाज करना भाजपा के लिए मुश्किल है। सूत्रों की मानें तो पार्टी 2026 के विधानसभा चुनाव में दिलीप घोष को एक बार फिर अहम जिम्मेदारी दे सकती है और उन्हें फ्रंटलाइन में लाने की रणनीति पर काम हो रहा है।
एकजुटता का संदेश
इस बैठक के जरिए अमित शाह ने पार्टी के भीतर एकजुटता का स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है। उन्होंने यह संकेत दिया कि भाजपा बंगाल में किसी भी तरह के अंदरूनी मतभेद को बर्दाश्त नहीं करेगी और सभी वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलेगी। पार्टी का मानना है कि ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ मजबूत चुनौती तभी खड़ी की जा सकती है, जब संगठन पूरी तरह एकजुट होकर मैदान में उतरे।
चुनावी रणनीति और फोकस क्षेत्र
बैठक में आगामी चुनाव को लेकर कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार, महिलाओं की सुरक्षा, बेरोजगारी और केंद्र सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन जैसे विषयों को चुनावी मुद्दा बनाने पर मंथन हुआ। इसके साथ ही यह भी तय किया गया कि पार्टी जमीनी स्तर पर संगठन को और मजबूत करेगी और बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया जाएगा। भाजपा की यह भी रणनीति है कि राज्य सरकार की नीतियों और कार्यशैली के खिलाफ जन आंदोलन को तेज किया जाए, ताकि जनता के बीच एक वैकल्पिक नेतृत्व का भरोसा पैदा किया जा सके।
ममता सरकार के खिलाफ तैयारी
अमित शाह की इस बैठक को ममता बनर्जी के खिलाफ एक सुनियोजित रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि 2021 के चुनाव में पार्टी ने मजबूत प्रदर्शन किया था, लेकिन कुछ रणनीतिक चूक के कारण सत्ता तक नहीं पहुंच पाई। अब उन कमियों को दूर करने और संगठनात्मक कमजोरियों को मजबूत करने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। आने वाले महीनों में बंगाल की राजनीति और गरमाने की संभावना है। अमित शाह की सक्रियता और वरिष्ठ नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश यह संकेत देती है कि भाजपा इस बार पश्चिम बंगाल में सत्ता परिवर्तन के लक्ष्य के साथ पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है।


