भोजपुर में बुजुर्ग से अत्याचार: बेटों ने मारपीट कर घर से निकला, अस्पताल में भर्ती
आरा। भोजपुर जिले के बिहिया थाना क्षेत्र से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत और पारिवारिक रिश्तों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां संपत्ति विवाद के कारण एक बुजुर्ग पिता को उसके ही बेटों ने बेरहमी से पीटा और घर से बाहर निकाल दिया। यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है, बल्कि समाज में बुजुर्गों की स्थिति और पारिवारिक मूल्यों के क्षरण को भी उजागर करती है।
पीड़ित बुजुर्ग की पहचान और पृष्ठभूमि
पीड़ित बुजुर्ग की पहचान बिहिया नगर के राजा बाजार चौक निवासी 72 वर्षीय दुर्गा प्रसाद के रूप में हुई है। दुर्गा प्रसाद वर्षों तक मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते रहे। उन्होंने दवा की एक दुकान चलाकर अपने बेटों को बड़ा किया और परिवार को आर्थिक सहारा दिया। बुजुर्ग का कहना है कि उन्होंने जीवन भर अपने बच्चों की भलाई के लिए काम किया, लेकिन बुढ़ापे में वही बच्चे उनके लिए सबसे बड़ा संकट बन गए।
संपत्ति विवाद बना अत्याचार की वजह
दुर्गा प्रसाद के अनुसार, उनके दो बेटे हैं, जिन्होंने कथित तौर पर धोखे से उनकी संपत्ति अपने नाम लिखवा ली। शुरुआत में उन्होंने इसे पारिवारिक समझौते का हिस्सा समझा, लेकिन कुछ ही समय बाद बेटों का व्यवहार पूरी तरह बदल गया। संपत्ति अपने नाम होने के बाद उन्होंने पिता को घर में बोझ समझना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे उन्हें घर से बाहर निकालने की कोशिशें तेज हो गईं।
घर से निकाले जाने के बाद की पीड़ा
पीड़ित बुजुर्ग ने बताया कि घर से निकाले जाने के बाद वे कई दिनों तक इधर-उधर भटकते रहे। कभी किसी परिचित के यहां तो कभी मंदिर या सार्वजनिक स्थानों पर रात गुजारनी पड़ी। भोजन और दवा जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए भी उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ा। इस दौरान उनका स्वास्थ्य भी लगातार बिगड़ता चला गया, लेकिन बेटों की ओर से किसी तरह की मदद नहीं मिली।
मारपीट की पूरी घटना
घटना वाले दिन दुर्गा प्रसाद अपने ही घर के पास बैठकर समय बिता रहे थे। तभी उनके दोनों बेटे वहां पहुंचे और उन्हें गाली-गलौज करने लगे। उन्होंने बुजुर्ग को वहां से तुरंत हट जाने को कहा। जब दुर्गा प्रसाद ने विरोध किया और कहा कि यह उनका घर है, तो बेटों ने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया। आरोप है कि दोनों ने कुदाल के बेंट से उन पर हमला किया और फिर लात-घूंसे से बेरहमी से पिटाई की।
लोगों के हस्तक्षेप से बची जान
बुजुर्ग की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों ने किसी तरह बीच-बचाव कर दुर्गा प्रसाद को बचाया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यदि लोग समय पर नहीं पहुंचते तो घटना और भी गंभीर हो सकती थी। जाते-जाते बेटों ने बुजुर्ग को धमकी दी कि अगर वे दोबारा उस इलाके में दिखाई दिए तो उनकी जान ले ली जाएगी।
अस्पताल में इलाज जारी
घटना के बाद स्थानीय लोगों की मदद से घायल दुर्गा प्रसाद को आरा सदर अस्पताल पहुंचाया गया। अस्पताल में ऑन ड्यूटी चिकित्सक ने बताया कि बुजुर्ग के चेहरे और सिर पर गंभीर चोटें हैं। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया है। अंदरूनी चोटों की आशंका को देखते हुए एक्सरे और अन्य जांच कराई जा रही है। डॉक्टरों के अनुसार, फिलहाल उनकी हालत स्थिर है, लेकिन उम्र को देखते हुए विशेष निगरानी में रखा गया है।
पुलिस में दर्ज कराई शिकायत
अस्पताल में इलाज के दौरान ही दुर्गा प्रसाद ने बिहिया थाना में अपने बेटों के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है और कहा है कि अब उन्हें अपने बच्चों से नहीं, बल्कि कानून से उम्मीद है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आवेदन मिलने के बाद मामले की जांच शुरू कर दी जाएगी और तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सामाजिक सवाल और चिंता
यह घटना समाज में बुजुर्गों की सुरक्षा और सम्मान को लेकर गंभीर चिंता पैदा करती है। जिस उम्र में माता-पिता को सहारे और सम्मान की जरूरत होती है, उसी उम्र में यदि उन्हें हिंसा और अपमान का सामना करना पड़े, तो यह पूरे समाज के लिए शर्मनाक स्थिति है। संपत्ति विवाद में पारिवारिक रिश्तों का इस हद तक टूट जाना यह दर्शाता है कि नैतिक मूल्यों का क्षरण किस स्तर तक पहुंच चुका है। फिलहाल सभी की निगाहें पुलिस की कार्रवाई और न्यायिक प्रक्रिया पर टिकी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी बुजुर्ग इस तरह के अत्याचार का शिकार न हो। यह मामला केवल एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि बुजुर्गों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है।


