December 23, 2025

दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर विश्व हिंदू परिषद का प्रदर्शन, हिंदू युवक की हत्या का विरोध, भारतीय उच्चायुक्त को किया तलब

नई दिल्ली। बांग्लादेश में एक हिंदू युवक की हत्या के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच माहौल एक बार फिर तनावपूर्ण हो गया है। इसी घटना के विरोध में विश्व हिंदू परिषद ने नई दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन केवल एक आपराधिक घटना के विरोध तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों पर भी असर डाला है। वीएचपी कार्यकर्ताओं का कहना है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं के खिलाफ लगातार हिंसा हो रही है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है।
दीपू चंद्र की हत्या और शुरुआती जांच
बांग्लादेश के मैमन सिंह जिले में 18 दिसंबर की रात हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या कर दी गई। शुरुआत में यह दावा किया गया कि दीपू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणी की थी, जिसके बाद गुस्साई भीड़ ने उसकी हत्या कर दी। हालांकि, शुरुआती जांच में इस तरह की किसी पोस्ट या टिप्पणी के कोई ठोस सबूत नहीं मिले। इससे यह मामला और भी संवेदनशील हो गया, क्योंकि अब यह सवाल उठने लगा कि क्या यह हत्या पूर्व नियोजित थी और क्या अल्पसंख्यक होने के कारण युवक को निशाना बनाया गया।
विश्व हिंदू परिषद का प्रदर्शन
दीपू चंद्र की हत्या के विरोध में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली स्थित बांग्लादेश हाई कमीशन का घेराव किया। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की। उनका कहना था कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय लगातार असुरक्षित महसूस कर रहा है और वहां की सरकार को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे ताकि किसी तरह की अप्रिय स्थिति न उत्पन्न हो।
देश के अन्य हिस्सों में विरोध
यह विरोध केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहा। अहमदाबाद में भी वीएचपी कार्यकर्ताओं ने दीपू चंद्र की हत्या के खिलाफ प्रदर्शन किया, जहां पुलिस ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया। कोलकाता में भी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं और सरकार इस पर आंख मूंदे हुए है।
भारतीय उच्चायुक्त को तलब करना
इन घटनाओं के बीच बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत में तैनात भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया। यह एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार था जब उन्हें बुलाया गया। बांग्लादेश सरकार ने भारत में अपने राजनयिक मिशनों पर हुए प्रदर्शनों और कथित हमलों पर गहरी चिंता जताई। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया कि नई दिल्ली और सिलीगुड़ी में हुई घटनाएं अस्वीकार्य हैं और इससे राजनयिक कर्मचारियों की सुरक्षा पर खतरा पैदा हुआ है।
बांग्लादेश की सुरक्षा संबंधी चिंताएं
बांग्लादेश ने भारत सरकार से अपील की कि वह अपने अंतरराष्ट्रीय और कूटनीतिक दायित्वों के तहत बांग्लादेशी दूतावासों और संबंधित संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हिंसा और डराने-धमकाने की ऐसी घटनाएं आपसी सम्मान, शांति और सहिष्णुता जैसे मूल्यों को कमजोर करती हैं। बांग्लादेश का कहना है कि भारत में स्थित उसके राजनयिक मिशनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी मेजबान देश की होती है।
शेख हसीना के बयानों पर विवाद
बांग्लादेश सरकार ने यह आरोप भी लगाया कि भारत में रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना लगातार ऐसे बयान दे रही हैं, जिन्हें वह भड़काऊ मानती है। इसी मुद्दे को लेकर 14 दिसंबर को भी भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया गया था। बांग्लादेश का कहना है कि ऐसे बयान वहां की आंतरिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं और दोनों देशों के संबंधों में और तनाव पैदा कर सकते हैं।
वीजा सेवाओं पर असर
इन सुरक्षा चिंताओं के चलते बांग्लादेश ने दिल्ली और सिलीगुड़ी में अपनी वीजा सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दी हैं। बांग्लादेश सरकार का कहना है कि जब तक सुरक्षा स्थिति सामान्य नहीं होती, तब तक यह कदम जरूरी है। इससे आम लोगों, छात्रों और व्यापारियों पर भी असर पड़ने की संभावना है, जो दोनों देशों के बीच आवाजाही करते हैं।
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर प्रभाव
दीपू चंद्र की हत्या, उसके बाद हुए विरोध प्रदर्शन और राजनयिक स्तर पर उठाए गए कदमों ने भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बढ़ा दिया है। एक ओर भारत में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश अपनी संप्रभुता और राजनयिक सुरक्षा को लेकर चिंतित है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देश संवाद और कूटनीति के जरिए इस तनाव को कैसे कम करते हैं और क्षेत्रीय शांति बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

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