पटना में 870 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा, मसौढ़ी और बिहटा सबसे अधिक प्रभावित, जनवरी से चलेगा विशेष अभियान
पटना। जिले में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे की समस्या लंबे समय से प्रशासन के लिए सिरदर्द बनी हुई है। अब इस दिशा में ठोस कार्रवाई की तैयारी कर ली गई है। जिला प्रशासन ने जिले के 13 अंचलों में फैली जिला परिषद की जमीनों का सर्वे कर लगभग 870 एकड़ सरकारी भूमि को चिन्हित किया है, जिस पर वर्षों से अतिक्रमण है। इन जमीनों पर भू-माफियाओं और स्थानीय प्रभावशाली लोगों द्वारा कब्जा कर लिया गया है, जिससे न सिर्फ सरकारी संपत्ति को नुकसान हुआ है, बल्कि विकास योजनाओं में भी बाधा उत्पन्न हुई है।
332 स्थानों पर अवैध कब्जे की पहचान
प्रशासनिक रिपोर्ट के अनुसार, पटना जिले में कुल 332 अलग-अलग स्थानों पर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा पाया गया है। यह जमीन जिला परिषद के अधीन है और अलग-अलग अंचलों में फैली हुई है। अधिकारियों का कहना है कि कई जगहों पर अस्थायी नहीं, बल्कि पक्के निर्माण कर लिए गए हैं। दुकानों, गोदामों और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के जरिए इन जमीनों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे सरकारी राजस्व को भी नुकसान पहुंच रहा है।
मसौढ़ी और बिहटा सबसे अधिक प्रभावित
अतिक्रमण के मामले में मसौढ़ी और बिहटा अंचल सबसे अधिक प्रभावित बताए जा रहे हैं। इन दोनों इलाकों में सड़कों के किनारे स्थित सरकारी जमीनों पर बड़े पैमाने पर कब्जा किया गया है। खासकर बिहटा और पटना सदर क्षेत्र में सड़क किनारे की जमीनें भू-माफियाओं के निशाने पर रही हैं। इन स्थानों पर अवैध निर्माण के कारण सड़क चौड़ीकरण और यातायात सुधार जैसी योजनाएं वर्षों से अटकी हुई हैं।
सर्वे और मापी का कार्य तेज
अतिक्रमण हटाने से पहले प्रशासन ने पूरी प्रक्रिया को कानूनी और पारदर्शी बनाने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में जिला परिषद ने अपने अधीनस्थ सभी जमीनों की स्थिति स्पष्ट करने के लिए अंचलों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद जमीनों की मापी का कार्य शुरू कराया गया। कई अंचलों में मापी पूरी हो चुकी है, जबकि कुछ क्षेत्रों में यह काम तेजी से जारी है। अधिकारियों का दावा है कि जनवरी तक सभी चिन्हित जमीनों की मापी पूरी कर ली जाएगी।
1980 के बाद बढ़ता गया अतिक्रमण
प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1980 तक जिला परिषद की अधिकांश जमीनें सुरक्षित मानी जाती थीं। इसके बाद धीरे-धीरे इन जमीनों पर अवैध कब्जे शुरू हुए। 1990 के दशक में अतिक्रमण की रफ्तार और तेज हो गई। वर्ष 2020 तक स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि कई इलाकों में सरकारी जमीन पर पूरी तरह निजी कब्जा स्थापित हो गया। खासकर सड़क किनारे की जमीनें व्यावसायिक दृष्टि से अधिक लाभकारी होने के कारण तेजी से कब्जे में ली गईं।
कई अंचलों में फैला अतिक्रमण
पटना जिले के मनेर, फतुहा, बाढ़, दुल्हिनबाजार, विक्रम, मसौढ़ी, पटना सदर, बिहटा और पालीगंज अंचलों में बड़ी संख्या में सरकारी जमीनों को चिन्हित किया गया है। मनेर अंचल के सत्तर, खासपुर, छितवना और सराय जैसे गांवों में अतिक्रमण की पुष्टि हुई है। फतुहा अंचल के गोविंदपुर कुर्था, जेठुली और मौजीपुर में भी जिला परिषद की जमीन पर अवैध कब्जा सामने आया है। बाढ़ अंचल के बेढ़ना, नदावां, हासनचक और हाजीपुर इंगलिश जैसे इलाकों में भी स्थिति गंभीर बताई जा रही है।
जनवरी से शुरू होगा विशेष अभियान
प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि जनवरी महीने से अतिक्रमण हटाने का विशेष अभियान चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाएगा। पहले चरण में नोटिस जारी किए जाएंगे और अतिक्रमणकारियों को स्वयं कब्जा हटाने का अवसर दिया जाएगा। तय समय सीमा के बाद भी अगर अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो प्रशासन बलपूर्वक कार्रवाई करेगा। इस दौरान पुलिस बल और दंडाधिकारी की तैनाती की जाएगी, ताकि किसी भी तरह की कानून-व्यवस्था की समस्या न हो।
भू-माफियाओं पर होगी सख्ती
अधिकारियों ने साफ कहा है कि इस अभियान में किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। चाहे अतिक्रमण करने वाला व्यक्ति कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। भू-माफियाओं द्वारा किए गए अवैध कब्जे को हटाना प्रशासन की प्राथमिकता है। इसके साथ ही भविष्य में दोबारा अतिक्रमण न हो, इसके लिए निगरानी तंत्र को भी मजबूत किया जाएगा।
विकास योजनाओं को मिलेगी रफ्तार
प्रशासन का मानना है कि सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने से विकास कार्यों को गति मिलेगी। सड़क चौड़ीकरण, सार्वजनिक भवन, पार्क, बाजार और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण में यह जमीन उपयोगी साबित होगी। साथ ही सरकारी संपत्ति सुरक्षित रहने से आम जनता को भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
जिले का सबसे बड़ा अतिक्रमण विरोधी अभियान
जनवरी से शुरू होने वाला यह अभियान पटना जिले में अब तक का सबसे बड़ा अतिक्रमण विरोधी अभियान माना जा रहा है। प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि अगर यह अभियान सफल रहा, तो भविष्य में अन्य जिलों में भी इसी तरह की कार्रवाई की जा सकती है। इससे राज्यभर में सरकारी जमीनों को सुरक्षित करने की दिशा में एक मजबूत संदेश जाएगा।


