December 24, 2025

विजय सिन्हा पर पप्पू यादव का हमला, कहा- केवल बातें करने से क्या होगा, पूर्णिया के सीओ को बताया सबसे बड़ा भू-माफिया

पटना। बिहार की राजनीति में इन दिनों जमीन और भूमि सुधार से जुड़े मुद्दे एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गए हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री और राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा लगातार अधिकारियों की कार्यशैली पर सख्ती दिखा रहे हैं। वे जमीन से जुड़े मामलों में लापरवाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर बोलते नजर आ रहे हैं। इसी बीच पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने विजय सिन्हा पर तीखा हमला करते हुए न केवल उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि पूर्णिया के एक अंचल अधिकारी को सबसे बड़ा भू-माफिया करार देकर सियासी हलचल और तेज कर दी है।
विजय सिन्हा का सख्त रुख और एक्शन मोड
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा हाल के दिनों में भूमि सुधार से जुड़े मामलों को लेकर पूरी तरह एक्शन मोड में दिख रहे हैं। वे विभिन्न जिलों में डीसीएलआर, सीओ और अन्य राजस्व अधिकारियों की बैठकें कर रहे हैं और खराब प्रदर्शन पर फटकार भी लगा रहे हैं। उनका साफ संदेश है कि जमीन से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और समयबद्ध कामकाज सुनिश्चित किया जाए। दाखिल-खारिज, परिमार्जन और अन्य भूमि सेवाओं में लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अधिकारियों को दी गई चेतावनी
भूमि सुधार जनकल्याण वर्कशॉप के दौरान विजय सिन्हा ने सभी अंचल अधिकारियों को 31 दिसंबर तक अपने कामकाज में सुधार लाने की स्पष्ट चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि इसके बाद किसी भी तरह की ढिलाई को स्वीकार नहीं किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री ने यह भी साफ कर दिया कि मेडिकल लीव लेकर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जाएंगे। यहां तक कि जरूरत पड़ने पर ऐसी छुट्टियों को स्थायी छुट्टी में बदलने की बात भी कही गई थी।
पप्पू यादव का तीखा हमला
इसी सख्त रुख के बीच पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा पर तीखा तंज कसा है। पप्पू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि केवल बड़ी-बड़ी बातें करने से जमीन से जुड़े भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा। उनके मुताबिक, जमीनी हकीकत इससे कहीं ज्यादा गंभीर है और खुद प्रशासनिक अधिकारी इसमें लिप्त हैं।
सीओ पर गंभीर आरोप
पप्पू यादव ने अपने पोस्ट में पूर्णिया के केनगर अंचल के सीओ दिवाकर कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने लिखा कि यही अधिकारी बिहार का सबसे बड़ा भू-माफिया है। पप्पू यादव के अनुसार, यह सीओ जमीन के म्युटेशन के लिए खुलेआम 50 लाख रुपये की घूस मांगता है। इतना ही नहीं, अगर कोई व्यक्ति घूस देने से इनकार करता है तो पहले से किए गए म्युटेशन को भी रद्द कर दिया जाता है। पप्पू यादव का दावा है कि एक साल पहले जिस जमीन का म्युटेशन किया गया था, उसे भी बाद में रद्द कर दिया गया।
सोशल मीडिया के जरिए उठा मुद्दा
पप्पू यादव द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से लगाए गए इन आरोपों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उनका कहना है कि अगर सरकार सच में भू-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करना चाहती है तो पहले अपने ही सिस्टम में बैठे ऐसे अधिकारियों पर शिकंजा कसना होगा। उन्होंने यह भी इशारा किया कि सिर्फ अधिकारियों को डांटने या चेतावनी देने से काम नहीं चलेगा, बल्कि ठोस और उदाहरणात्मक कार्रवाई जरूरी है।
भूमि सुधार बनाम जमीनी सच्चाई
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भूमि सुधार के सरकारी दावे और जमीनी सच्चाई में बड़ा अंतर है। एक ओर उपमुख्यमंत्री अधिकारियों पर सख्ती दिखाकर सुधार का संदेश दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष और कुछ सांसद यह आरोप लगा रहे हैं कि असली समस्या सिस्टम के भीतर छिपी हुई है। अगर आरोप सही हैं, तो यह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
राजनीतिक रणनीति या जनहित का मुद्दा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पप्पू यादव का यह हमला केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं है। यह मुद्दा सीधे आम लोगों से जुड़ा है, जो जमीन से संबंधित मामलों में वर्षों तक दफ्तरों के चक्कर लगाते हैं। जमीन का म्युटेशन, दाखिल-खारिज और सुधार जैसे काम आम आदमी के लिए बेहद जरूरी होते हैं, लेकिन इन्हीं प्रक्रियाओं में भ्रष्टाचार की शिकायतें सबसे ज्यादा सामने आती हैं।
सरकार के लिए अगला कदम
अब सवाल यह है कि सरकार इस आरोप पर क्या कदम उठाती है। यदि उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा सच में भूमि सुधार को लेकर गंभीर हैं, तो पप्पू यादव द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कराना उनके लिए एक अहम परीक्षा होगी। इससे यह भी तय होगा कि सरकार की सख्ती सिर्फ बयान तक सीमित है या वास्तव में सिस्टम को साफ करने का इरादा रखती है।
बिहार की राजनीति में बढ़ता टकराव
इस मुद्दे ने बिहार की राजनीति में एक नया टकराव पैदा कर दिया है। एक तरफ सरकार भूमि सुधार को अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करना चाहती है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष और कुछ सांसद इसे दिखावटी कार्रवाई बता रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आरोपों की जांच होती है, क्या संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई होती है और क्या इससे आम लोगों को राहत मिलती है। विजय सिन्हा पर पप्पू यादव का हमला बिहार की राजनीति में सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि भूमि सुधार और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक बड़ी बहस की शुरुआत है। यह मामला दिखाता है कि जमीन से जुड़े सवाल आज भी बिहार की राजनीति और प्रशासन में कितने संवेदनशील और महत्वपूर्ण हैं। अब निगाहें सरकार की प्रतिक्रिया और आगे होने वाली कार्रवाई पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि यह विवाद सिर्फ राजनीतिक शोर बनकर रह जाता है या वास्तव में किसी बदलाव की वजह बनता है।

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