December 24, 2025

औरंगाबाद में कोहरे के कारण ट्रैक्टर खेत में पलटा, ड्राइवर समेत दो की दर्दनाक मौत

औरंगाबाद। बिहार के कई जिलों में इन दिनों घना कोहरा जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। रात और सुबह के समय दृश्यता बेहद कम हो जा रही है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा लगातार बढ़ रहा है। औरंगाबाद जिले में ऐसा ही एक दर्दनाक हादसा सामने आया है, जहां कोहरे और सड़क किनारे चल रहे निर्माण कार्य की वजह से ट्रैक्टर खेत में पलट गया। इस हादसे में चालक समेत दो युवकों की मौके पर ही मौत हो गई, जिससे पूरे इलाके में शोक और आक्रोश का माहौल बन गया है।
रिसियप थाना क्षेत्र में देर रात हादसा
यह हादसा औरंगाबाद जिले के रिसियप थाना क्षेत्र अंतर्गत जम्होर–सुंदरगंज पथ पर रविवार देर रात हुआ। जानकारी के अनुसार, एक ट्रैक्टर ग्राम मौआर खैरा की ओर से सुंदरगंज की तरफ जा रहा था। रात का समय होने और घने कोहरे की वजह से सड़क पर आगे का दृश्य साफ नहीं दिख रहा था। जैसे ही ट्रैक्टर गमहारी ब्रह्म स्थान के पास पहुंचा, वहां सड़क किनारे चल रहे निर्माण कार्य के कारण गड्ढे बने हुए थे।
कोहरे और गड्ढों ने बढ़ाया खतरा
ग्रामीणों के अनुसार, अचानक भारी ओस और कोहरे के कारण चालक को सड़क की स्थिति का अंदाजा नहीं हो सका। ट्रैक्टर का पहिया सड़क किनारे बने गड्ढे में चला गया, जिससे वाहन अनियंत्रित हो गया। संतुलन बिगड़ते ही ट्रैक्टर सड़क से फिसलकर बगल के खेत में पलट गया। ट्रैक्टर के पलटते ही उसमें सवार दोनों युवक उसके नीचे दब गए।
मृतकों की पहचान और पृष्ठभूमि
इस दर्दनाक हादसे में जिन दो युवकों की जान गई, उनकी पहचान मुख्तरपुर सरिया निवासी अनिल कुमार चंद्रवंशी और ग्राम मिसिर करमा बाबूलाल बिगहा निवासी पंजा राम के 25 वर्षीय पुत्र शिवा कुमार के रूप में हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि अनिल कुमार कई वर्षों से सुंदरगंज निवासी इसरार अंसारी के घर पर रहकर मजदूरी करता था। वह मेहनत-मजदूरी के जरिए अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था।
सीमेंट और गिट्टी पहुंचाने गए थे युवक
परिजनों का आरोप है कि रविवार की शाम इसरार अंसारी ने अनिल कुमार को अपने ट्रैक्टर के साथ सीमेंट और गिट्टी पहुंचाने के लिए भेजा था। दोनों युवक ट्रैक्टर से निर्माण सामग्री सुरक्षित स्थान पर उतारकर लौट रहे थे। वापसी के दौरान गमहारी ब्रह्म स्थान के पास यह हादसा हो गया। खेत में पलटे ट्रैक्टर के नीचे दबने से दोनों युवकों की मौके पर ही मौत हो गई।
घटना के बाद गांव में मातम
हादसे की खबर मिलते ही मृतकों के गांवों में मातम पसर गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीणों का कहना है कि दोनों युवक घर के कमाऊ सदस्य थे और अचानक उनकी मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। एक ही इलाके में दो युवकों की मौत से पूरे क्षेत्र में गम और गुस्से का माहौल बन गया है।
पुलिस की कार्रवाई और ग्रामीणों का विरोध
घटना की सूचना मिलते ही रिसियप थाना अध्यक्ष संजीत कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजने की प्रक्रिया शुरू करनी चाही, लेकिन ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक बड़े अधिकारी मौके पर नहीं आते और पीड़ित परिवारों को मुआवजे का भरोसा नहीं दिया जाता, तब तक वे शव नहीं उठाने देंगे।
मुआवजे की मांग पर अड़े परिजन
मृतकों के परिजन और ग्रामीण प्रशासन से उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि हादसा सड़क किनारे निर्माण कार्य में लापरवाही और सुरक्षा इंतजामों की कमी की वजह से हुआ है। यदि सड़क पर चेतावनी संकेत, बैरिकेडिंग या रोशनी की व्यवस्था होती, तो शायद यह हादसा टल सकता था। ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए प्रशासन ठोस कदम उठाए।
प्रशासन के लिए बनी चुनौती
हादसे के बाद इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है। पुलिस और प्रशासन के सामने चुनौती है कि वे स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से संभालें और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने का भरोसा दें। अधिकारियों द्वारा समझाने-बुझाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सके और कानूनी प्रक्रिया पूरी हो।
कोहरे में सावधानी की जरूरत
यह हादसा एक बार फिर यह याद दिलाता है कि कोहरे के मौसम में सड़क पर सफर करना कितना जोखिम भरा हो सकता है। खासकर रात के समय भारी वाहन चलाते वक्त अतिरिक्त सावधानी जरूरी है। साथ ही, सड़क निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन न होना आम लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। औरंगाबाद में हुआ यह हादसा सिर्फ दो परिवारों की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह प्रशासन और समाज दोनों के लिए चेतावनी भी है। कोहरे के मौसम में यातायात व्यवस्था, सड़क सुरक्षा और निर्माण स्थलों पर पर्याप्त इंतजाम बेहद जरूरी हैं। पीड़ित परिवारों को मुआवजा और न्याय मिलना जरूरी है, ताकि उनका दर्द कुछ हद तक कम हो सके। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है, ताकि किसी और घर का चिराग इस तरह बुझ न जाए।

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