December 23, 2025

लोकसभा में भारी हंगामा के बीच वीबी-जीआरएम-जी बिल पास, विपक्ष का जोरदार प्रदर्शन, कई सांसदों ने फाड़े कागज

नई दिल्ली। लोकसभा में गुरुवार को विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी-जीआरएम-जी बिल को लेकर जोरदार राजनीतिक टकराव देखने को मिला। सदन में लंबी चर्चा, विपक्ष का विरोध, नारेबाजी और वेल में पहुंचकर प्रदर्शन के बीच आखिरकार यह बिल ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम ने संसद की कार्यवाही को देर रात तक खींच दिया और सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच गहरे मतभेद को उजागर किया।
बिल पर लंबी चर्चा और सदन का माहौल
वीबी-जीआरएम-जी बिल पर लोकसभा में लगभग 14 घंटे तक चर्चा चली। यह चर्चा देर रात करीब 1 बजकर 35 मिनट तक चली, जिसमें कुल 98 सांसदों ने अपने विचार रखे। चर्चा के दौरान सरकार ने इस बिल को ग्रामीण रोजगार और आजीविका के लिए एक नई और सशक्त व्यवस्था के रूप में पेश किया, जबकि विपक्ष ने इसे मनरेगा जैसे पुराने और स्थापित कानून को कमजोर करने की कोशिश बताया। चर्चा के दौरान सदन का माहौल कई बार बेहद तनावपूर्ण हो गया। विपक्षी सांसदों ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह बिल बिना व्यापक सहमति और गहन जांच के लाया जा रहा है। उनका कहना था कि यह कानून 20 साल पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेगा, इसलिए इसे जल्दबाजी में पारित नहीं किया जाना चाहिए।
विपक्ष का जोरदार विरोध और प्रदर्शन
बिल पर चर्चा से पहले ही विपक्ष ने इसके खिलाफ संसद परिसर में मार्च निकाला। इस मार्च में 50 से अधिक सांसद शामिल हुए और सरकार से वीबी-जीआरएम-जी बिल वापस लेने की मांग की गई। विपक्षी नेताओं का कहना था कि यह बिल ग्रामीण मजदूरों और गरीबों के हितों को कमजोर कर सकता है। लोकसभा के भीतर भी विपक्ष का विरोध लगातार जारी रहा। बिल पर जवाब के दौरान विपक्षी सांसद वेल में पहुंच गए, नारेबाजी की और कागज फेंककर अपना आक्रोश जाहिर किया। कई सांसदों ने बिल से जुड़े कागजात फाड़कर विरोध दर्ज कराया। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कई बार बाधित हुई, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने बिल को आगे बढ़ाया।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का जवाब
बिल पर सरकार की ओर से कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जवाब दिया। उन्होंने विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि मनरेगा का नाम शुरू में महात्मा गांधी के नाम पर नहीं रखा गया था। पहले यह केवल नरेगा था। वर्ष 2009 के चुनावों के समय इसे महात्मा गांधी के नाम से जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी योजना को वोट बैंक की राजनीति से नहीं, बल्कि देश और ग्रामीण जनता के हित में देखती है। शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि वीबी-जीआरएम-जी बिल का उद्देश्य ग्रामीण रोजगार व्यवस्था को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और परिणामोन्मुख बनाना है। सरकार का दावा है कि यह नया मिशन रोजगार के साथ-साथ आजीविका के स्थायी साधन विकसित करने पर भी जोर देगा।
स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की मांग
विपक्ष ने बार-बार मांग की कि इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए, ताकि इसके हर पहलू पर विस्तार से विचार किया जा सके। विपक्षी सांसदों का कहना था कि इतना महत्वपूर्ण कानून बिना संसदीय समिति की जांच के पास करना लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ है। हालांकि सरकार ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया और बिल को सीधे ध्वनिमत से पारित करा लिया।
सत्तापक्ष का समर्थन और तर्क
सत्तापक्ष की ओर से कई सांसदों ने बिल का समर्थन किया। भाजपा सांसद किरण चौधरी ने बिल के समर्थन में कहा कि इसका उद्देश्य लंबे समय से चली आ रही बिखरी हुई व्यवस्था और नीतिगत गतिरोध को समाप्त करना है। उनके अनुसार यह नया कानून पुराने और बिखरे हुए नियमों को खत्म कर एक स्पष्ट ढांचा प्रदान करता है, जिसमें लाइसेंसिंग, सुरक्षा स्वीकृति, जवाबदेही और मुआवजे जैसे पहलू शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और जन सुरक्षा के क्षेत्र में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक मजबूत नींव रखी थी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ा रहे हैं। सत्तापक्ष का कहना है कि विपक्ष निजीकरण को लेकर बेवजह हंगामा कर रहा है, जबकि सरकार देशहित में फैसले ले रही है।
राज्यसभा में भी गूंजा विरोध
लोकसभा में बिल पारित होने के बाद भी विवाद खत्म नहीं हुआ। राज्यसभा में SHANTI बिल को लेकर चर्चा जारी रही, जहां कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सरकार पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विकास और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र के हाथ में रहना चाहिए। यदि इसे निजी क्षेत्र के हवाले किया गया तो यह देश के प्रमुख वैज्ञानिकों की सोच और परंपरा की अनदेखी होगी। जयराम रमेश ने डॉ. होमी भाभा और डॉ. विक्रम साराभाई का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के परमाणु और ऊर्जा कार्यक्रम की नींव सार्वजनिक क्षेत्र और स्वदेशी सोच पर आधारित रही है। उन्होंने थोरियम भंडार के बेहतर उपयोग की बात भी कही और विदेशी निजी कंपनियों पर निर्भरता को लेकर चिंता जताई।
कार्यवाही का स्थगन
लोकसभा में वीबी-जीआरएम-जी बिल के पारित होने के बाद स्पीकर ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया कि आने वाले दिनों में भी इस बिल और इससे जुड़े मुद्दों पर राजनीतिक बहस जारी रहने वाली है।

You may have missed