पटना में सभी राशनकार्ड वालों को 31 तक ई-केवाईसी करना अनिवार्य, नहीं कराने पर बंद होगी सेवाएं
पटना। जिले के सभी राशन कार्डधारकों के लिए प्रशासन ने एक अहम सूचना जारी की है। जिला प्रशासन और खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के निर्देश के अनुसार अब सभी लाभार्थियों को 30 दिसंबर तक अपना ई-केवाईसी कराना अनिवार्य होगा। यदि तय समय सीमा के भीतर ई-केवाईसी नहीं कराया गया, तो राशन से जुड़ी सरकारी सुविधाएं बंद की जा सकती हैं। इस निर्णय का उद्देश्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाना और अपात्र लोगों को मिलने वाले लाभ को रोकना है। सरकार के इस निर्देश के बाद प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां तेज कर दी गई हैं। अनुमंडल पदाधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सभी राशन कार्डधारक और उनके परिवार के सदस्य तय समय सीमा के भीतर ई-केवाईसी अवश्य पूरा कर लें, ताकि आगे किसी तरह की परेशानी न हो।
ई-केवाईसी क्यों हुआ जरूरी
ई-केवाईसी की प्रक्रिया राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत आने वाले सभी लाभार्थियों के लिए अनिवार्य की गई है। सरकार का मानना है कि समय के साथ कई राशन कार्डों में गलत जानकारी, फर्जी नाम, मृत व्यक्तियों के नाम या स्थानांतरित हो चुके लोगों के नाम दर्ज रह जाते हैं। इससे सरकारी अनाज का दुरुपयोग होता है और वास्तविक जरूरतमंदों तक पूरा लाभ नहीं पहुंच पाता। ई-केवाईसी के माध्यम से लाभार्थियों की पहचान आधार से जोड़कर सत्यापित की जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि राशन कार्ड पर दर्ज हर सदस्य वास्तविक है और वही व्यक्ति सरकारी योजना का लाभ ले रहा है, जिसके लिए यह सुविधा बनाई गई है।
किन योजनाओं के लाभार्थियों को कराना होगा ई-केवाईसी
यह ई-केवाईसी अभियान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना और अन्त्योदय अन्न योजना के तहत आने वाले सभी लाभार्थियों पर लागू होगा। इन योजनाओं के अंतर्गत गरीब और जरूरतमंद परिवारों को सस्ते दर पर या मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया जाता है। पटना जिले में हजारों परिवार इन योजनाओं के अंतर्गत आते हैं। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि चाहे परिवार छोटा हो या बड़ा, राशन कार्ड में दर्ज प्रत्येक सदस्य का ई-केवाईसी कराना जरूरी है। यदि किसी एक सदस्य का भी ई-केवाईसी अधूरा रहता है, तो पूरे कार्ड की सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
ई-केवाईसी कराने की समय सीमा और प्रक्रिया
प्रशासन द्वारा जारी सूचना के अनुसार ई-केवाईसी की प्रक्रिया 17 दिसंबर 2025 से शुरू होकर 30 दिसंबर 2025 तक चलेगी। इस दौरान सभी लाभार्थियों को अपने-अपने जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं यानी राशन दुकानदार के पास जाकर ई-केवाईसी करानी होगी। ई-केवाईसी की सुविधा ई-पीओएस मशीन के माध्यम से दी जाएगी। लाभार्थी को अपने आधार कार्ड के साथ राशन दुकान पर जाना होगा, जहां बायोमेट्रिक सत्यापन के जरिए उसकी पहचान की पुष्टि की जाएगी। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह पूरी प्रक्रिया मुफ्त है और इसके लिए किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा।
जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं की भूमिका
इस अभियान को सफल बनाने में राशन दुकानदारों की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है। विभाग की ओर से जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। सबसे पहले, सभी राशन दुकानों पर ई-केवाईसी से संबंधित सूचना को प्रमुख स्थान पर सूचनापट्ट पर लगाना अनिवार्य किया गया है, ताकि हर लाभार्थी को इसकी जानकारी मिल सके। दूसरे, खाद्यान्न वितरण के दौरान जिन लाभार्थियों या परिवार के सदस्यों का ई-केवाईसी नहीं हुआ है, उन्हें उसी समय ई-पीओएस मशीन के जरिए तुरंत ई-केवाईसी की सुविधा दी जाएगी। तीसरे, सभी वितरण दिवसों पर राशन दुकानों को अनिवार्य रूप से खुला रखना होगा, ताकि कोई भी लाभार्थी ई-केवाईसी से वंचित न रह जाए।
ई-केवाईसी नहीं कराने पर क्या होगा
प्रशासन ने साफ चेतावनी दी है कि यदि तय समय सीमा के भीतर ई-केवाईसी नहीं कराया गया, तो संबंधित राशन कार्ड की सेवाएं बंद की जा सकती हैं। इसका मतलब यह है कि ऐसे कार्डधारकों को आगे चलकर राशन मिलना बंद हो सकता है। सरकार का कहना है कि यह कदम सख्ती के लिए नहीं, बल्कि व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए उठाया गया है। फिर भी, यदि कोई लाभार्थी लापरवाही करता है या जानबूझकर ई-केवाईसी नहीं कराता है, तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
लाभार्थियों से प्रशासन की अपील
जिला प्रशासन ने सभी राशन कार्डधारकों से अपील की है कि वे आखिरी तारीख का इंतजार न करें। समय रहते अपने नजदीकी राशन दुकान पर जाकर ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूरी कर लें। इससे न केवल उनकी राशन सुविधा सुरक्षित रहेगी, बल्कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली भी अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनेगी। प्रशासन का मानना है कि इस अभियान के पूरा होने के बाद फर्जी और अपात्र राशन कार्डों की पहचान हो सकेगी और वास्तविक जरूरतमंदों को समय पर और सही मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा सकेगा। पटना जिले में यह अभियान सरकार की पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।


