पटना में भवन निर्माण निदेशक के ठिकानों पर एसवीयू ने की छापेमारी, कई कागजात जब्त, आय से अधिक संपत्ति का मामला
पटना। बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग में तैनात निदेशक गजाधर मंडल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप सामने आए हैं। इन्हीं आरोपों के आधार पर विशेष निगरानी इकाई ने उनके विरुद्ध औपचारिक मामला दर्ज करते हुए छापेमारी की कार्रवाई शुरू की है। निगरानी इकाई के अनुसार, गजाधर मंडल ने अपनी सेवा अवधि के दौरान विभिन्न पदों पर रहते हुए वैध आय से कहीं अधिक संपत्ति अर्जित की है। यह संपत्ति उनके ज्ञात स्रोतों से मेल नहीं खाती, जिस कारण उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं।
कांड दर्ज होने के बाद शुरू हुई कार्रवाई
विशेष निगरानी इकाई ने गजाधर मंडल के खिलाफ कांड संख्या 27/2025 दर्ज किया है। यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के संशोधित प्रावधानों और भारतीय न्याय संहिता 2023 की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज किया गया है। निगरानी विभाग का कहना है कि प्रारंभिक जांच में ही गजाधर मंडल की संपत्ति और आय के बीच बड़ा अंतर सामने आया था, जिसके बाद विस्तृत जांच और तलाशी की जरूरत महसूस की गई।
पटना और भागलपुर में एक साथ छापेमारी
विशेष न्यायाधीश, निगरानी द्वारा जारी तलाशी वारंट के आधार पर निगरानी की टीमों ने एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की। पटना और भागलपुर में स्थित गजाधर मंडल के कार्यालय और आवासीय परिसरों को इस कार्रवाई में शामिल किया गया। पटना के राजवंशी नगर में स्थित भवन निर्माण विभाग के कार्यालय में भी टीम पहुंची, जहां उनके चेंबर की तलाशी ली गई। इस दौरान कई महत्वपूर्ण कागजात और दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जिन्हें जांच के लिए सुरक्षित रखा गया है।
कार्यालय में हुई पूछताछ
सूत्रों के अनुसार, निगरानी की टीम करीब साढ़े 11 बजे राजवंशी नगर स्थित कार्यालय पहुंची थी। उस समय गजाधर मंडल स्वयं कार्यालय में मौजूद थे। टीम ने लगभग एक घंटे तक उनसे पूछताछ की। पूछताछ के दौरान उनकी संपत्तियों, बैंक खातों, निवेश और अन्य वित्तीय लेन-देन से जुड़े सवाल पूछे गए। इसके बाद निगरानी की टीम गजाधर मंडल के साथ एजी कॉलोनी स्थित उनके आवास की ओर रवाना हो गई, जहां आगे की तलाशी ली गई।
आय और संपत्ति में बड़ा अंतर
निगरानी इकाई के मुताबिक, गजाधर मंडल ने अपनी सेवा अवधि में लगभग 2 करोड़ 82 लाख 61 हजार रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की है। यह राशि उनकी ज्ञात और वैध आय से काफी अधिक बताई जा रही है। जांच एजेंसी का कहना है कि यह अंतर सामान्य नहीं है और इसके पीछे अवैध आय, निवेश और संपत्ति खरीद के ठोस संकेत मिले हैं। इसी आधार पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया है।
कानूनी धाराएं और जांच का दायरा
यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1)(b), 13(2) और 12 के तहत दर्ज किया गया है। इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 61(2)(a) भी जोड़ी गई है। इन धाराओं के तहत सरकारी पद पर रहते हुए अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करना, पद का दुरुपयोग करना और भ्रष्टाचार से जुड़े कृत्य शामिल हैं। निगरानी इकाई ने स्पष्ट किया है कि जांच के दौरान यदि और भी साक्ष्य सामने आते हैं, तो धाराओं में वृद्धि भी की जा सकती है।
नियुक्ति और कार्यकाल की जानकारी
गजाधर मंडल वर्तमान में दरभंगा में भवन निर्माण विभाग के निदेशक पद पर तैनात हैं। इससे पहले वे विभिन्न स्थानों पर विभागीय जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। जानकारी के अनुसार, करीब छह महीने पहले ही उन्हें पटना के राजवंशी नगर स्थित गुणवत्ता अनुश्रवण कार्यालय के निदेशक पद पर नियुक्त किया गया था। उनकी हालिया नियुक्ति के बावजूद उनके खिलाफ यह कार्रवाई विभाग और प्रशासन के लिए चौंकाने वाली मानी जा रही है।
दस्तावेजों और बैंक खातों की जांच
छापेमारी के दौरान निगरानी की टीम ने दस्तावेजों के साथ-साथ बैंक खातों, निवेश से जुड़े कागजात और संपत्ति से संबंधित फाइलों की भी गहन जांच शुरू की है। अधिकारियों का कहना है कि जब्त दस्तावेजों का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा। इसके बाद यह स्पष्ट हो सकेगा कि संपत्ति कहां-कहां निवेश की गई है और किन स्रोतों से धन अर्जित किया गया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की सख्ती
इस कार्रवाई को बिहार सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त नीति के रूप में देखा जा रहा है। हाल के वर्षों में निगरानी इकाई द्वारा कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की गई है। सरकार का दावा है कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
आगे की प्रक्रिया और संभावित कार्रवाई
निगरानी इकाई ने संकेत दिया है कि यह जांच अभी प्रारंभिक चरण में है। दस्तावेजों की जांच और संपत्ति के मूल्यांकन के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो गजाधर मंडल के खिलाफ अभियोजन की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। फिलहाल, इस मामले पर पूरे प्रशासन और राजनीतिक हलकों की नजर बनी हुई है, क्योंकि यह मामला एक वरिष्ठ अधिकारी से जुड़ा हुआ है और इसके परिणाम दूरगामी हो सकते हैं।


