बीजेपी के पूर्व सांसद रामविलास वेदांती का निधन, राम मंदिर आंदोलन के थे प्रमुख स्तंभ, कल होगी जल समाधि
अयोध्या। अयोध्या से एक दुखद खबर सामने आई है। राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती का सोमवार को निधन हो गया। उनके निधन से न केवल अयोध्या बल्कि पूरे देश के राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे डॉ. वेदांती का इलाज मध्य प्रदेश के रीवा स्थित संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
रीवा में चल रहा था इलाज
डॉ. रामविलास वेदांती पिछले कुछ दिनों से मध्य प्रदेश के रीवा में प्रवास पर थे। बताया जा रहा है कि वे वहां राम कथा के आयोजन में शामिल होने गए थे। इसी दौरान उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। रविवार को उन्हें यूरिन पास न होने की गंभीर समस्या हुई, जिसके बाद उन्हें रीवा के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी स्थिति पर नजर बनाए हुए थी, लेकिन उनकी हालत लगातार नाजुक बनी रही।
एयरलिफ्ट की कोशिश और मौसम की बाधा
डॉ. वेदांती की बिगड़ती सेहत की जानकारी जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को मिली, तो उन्होंने तत्काल उन्हें एयरलिफ्ट कर भोपाल ले जाने की व्यवस्था कराई। योजना थी कि उन्हें बेहतर इलाज के लिए बड़े अस्पताल में शिफ्ट किया जाए। हालांकि, खराब मौसम और विजिबिलिटी कम होने के कारण विमान भोपाल में उतर नहीं सका। इस वजह से डॉ. वेदांती को वापस रीवा में ही अस्पताल में भर्ती रखना पड़ा।
हार्ट अटैक से बिगड़ी स्थिति
सोमवार की दरम्यानी रात डॉ. रामविलास वेदांती को पहला हार्ट अटैक आया, जिससे उनकी हालत और गंभीर हो गई। सोमवार की सुबह जब दोबारा हार्ट अटैक की खबर आई, तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्पताल प्रबंधन से सीधे संपर्क कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। उन्हें बेहतर इलाज के लिए गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल ले जाने की तैयारी शुरू कर दी गई थी।
मेदांता ले जाने की तैयारी और अंतिम क्षण
डॉ. वेदांती को एयरलिफ्ट कर मेदांता अस्पताल ले जाने की योजना बनाई जा रही थी। मेदांता के वरिष्ठ चिकित्सकों से भी बातचीत हुई और यह तय हुआ कि मरीज को पूरी तरह स्थिर करने के बाद ही स्थानांतरण किया जाएगा। लेकिन खराब मौसम और उनकी लगातार बिगड़ती हालत के कारण डॉक्टरों ने तत्काल एयरलिफ्ट की अनुमति नहीं दी। इसी बीच सोमवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे डॉ. रामविलास वेदांती ने अंतिम सांस ली।
अयोध्या लाया जाएगा पार्थिव शरीर
डॉ. रामविलास वेदांती के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को अयोध्या लाने की तैयारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार, मंगलवार को सरयू नदी में उनका जल समाधि संस्कार किया जाएगा। अयोध्या में उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में संतों, श्रद्धालुओं, राजनीतिक नेताओं और अनुयायियों के पहुंचने की संभावना है।
राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका
डॉ. रामविलास वेदांती राम जन्मभूमि आंदोलन के उन प्रमुख चेहरों में शामिल थे, जिन्होंने इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। वे लंबे समय तक अयोध्या स्थित वशिष्ठ आश्रम से जुड़े रहे और संत समाज में उनका विशेष स्थान था। राजनीति और धर्म के संगम के रूप में उनकी पहचान रही। राम मंदिर आंदोलन के दौरान उनका योगदान आज भी श्रद्धा और सम्मान के साथ याद किया जाता है।
राजनीतिक और सामाजिक जीवन
डॉ. वेदांती भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे और सांसद के रूप में भी उन्होंने अपनी जिम्मेदारियां निभाईं। उनका जीवन धर्म, समाज और राष्ट्र की सेवा को समर्पित रहा। वे अपने स्पष्ट विचारों, सरल जीवनशैली और सनातन संस्कृति के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते थे। उनके प्रवचन और विचारधारा ने कई लोगों को प्रभावित किया।
मुख्यमंत्री योगी की श्रद्धांजलि
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ. रामविलास वेदांती के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख स्तंभ और अयोध्या धाम स्थित वशिष्ठ आश्रम के पूज्य संत डॉ. रामविलास वेदांती का गोलोकगमन आध्यात्मिक जगत और सनातन संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका जाना एक युग के अंत के समान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म, समाज और राष्ट्र के लिए उनका त्यागमय जीवन सभी के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।
संत समाज और अनुयायियों में शोक
डॉ. वेदांती के निधन की खबर मिलते ही संत समाज, भाजपा कार्यकर्ताओं और उनके अनुयायियों में गहरा शोक फैल गया। अयोध्या सहित देश के कई हिस्सों में उनके चाहने वालों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को याद किया। लोग मानते हैं कि उनका जाना केवल एक व्यक्ति का जाना नहीं, बल्कि एक विचारधारा और संघर्षशील युग का अवसान है।
एक युग का अंत
डॉ. रामविलास वेदांती का जीवन रामभक्ति, राष्ट्रभक्ति और सामाजिक सेवा का प्रतीक रहा। उनके निधन से जो खालीपन पैदा हुआ है, उसे भर पाना आसान नहीं होगा। अयोध्या की धरती, राम मंदिर आंदोलन और संत समाज उन्हें हमेशा श्रद्धा के साथ याद करता रहेगा। उनका जीवन और संघर्ष आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।


