जीविका दीदियों के लिए तैयार होगा ई-कॉमर्स प्लेटफार्म, ऑनलाइन मिलेंगे कपड़े, जल्द तैयार होगा पोर्टल
पटना। बिहार में महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक अहम पहल की जा रही है। जीविका दीदियों द्वारा तैयार किए गए कपड़े अब पारंपरिक बाजारों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि जल्द ही ई-कॉमर्स के जरिए देशभर के ग्राहकों तक पहुंचेंगे। इसके लिए जानकी जीविका महिला स्टिचिंग प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड को अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसे बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी गई है। यह कदम बिहार की महिलाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़ने की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है।
कंपनी का नया लोगो और वेबसाइट की तैयारी
इस पहल को औपचारिक रूप देने के लिए 12 दिसंबर को जानकी जीविका महिला स्टिचिंग प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड का नया लोगो लॉन्च किया गया है। इसके साथ ही कंपनी की अपनी वेबसाइट तैयार करने का काम भी अंतिम चरण में है। अधिकारियों के अनुसार, एक सप्ताह के भीतर वेबसाइट पूरी तरह तैयार हो जाएगी। योजना है कि फरवरी-मार्च तक कंपनी का सीधा जुड़ाव ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से हो जाए, ताकि जीविका दीदियों के उत्पाद ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध कराए जा सकें।
ई-कॉमर्स से जुड़ने की व्यापक योजना
ई-कॉमर्स से जुड़ने के बाद जीविका दीदियों द्वारा तैयार रेडिमेड और सेमी-स्टिच कपड़े देश के किसी भी कोने में बैठे ग्राहक तक आसानी से पहुंच सकेंगे। इससे न केवल बिक्री बढ़ेगी, बल्कि महिलाओं की आय में भी स्थायी बढ़ोतरी होगी। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से ब्रांड पहचान बनने की उम्मीद है, जिससे बिहार में बने उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
निफ्ट की छात्राओं को सौंपी गई जिम्मेदारी
जानकी जीविका महिला स्टिचिंग प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की कमान फैशन और डिजाइनिंग के क्षेत्र में प्रशिक्षित युवा पेशेवरों को सौंपी गई है। कंपनी की सीईओ नुपूर हैं, जो निफ्ट के 2015 बैच की छात्रा रही हैं। वहीं, हेड डिजाइनर के रूप में हर्षिता शर्मा की नियुक्ति की गई है, जो निफ्ट 2025 बैच की छात्रा हैं। हर्षिता ने बताया कि उनका कैंपस सेलेक्शन बेंगलुरु की एक प्रतिष्ठित कंपनी में हुआ था, लेकिन उन्होंने बिहार की महिलाओं के साथ काम करने और जीविका की इस पहल से जुड़ने को प्राथमिकता दी।
फैशन और सिलाई का आधुनिक प्रशिक्षण
जानकी जीविका कंपनी के तहत जीविका दीदियों को फैशन और सिलाई के आधुनिक मानकों के अनुसार प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए कोइलवर और पटना में विशेष प्रशिक्षण केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा राज्य के सभी 534 प्रखंडों में भी प्रशिक्षण केंद्र खोले गए हैं, ताकि अधिक से अधिक महिलाएं इस योजना का लाभ उठा सकें। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को फैब्रिक चयन, पैटर्न कटिंग, फिनिशिंग और क्वालिटी कंट्रोल जैसी बारीक जानकारियां दी जा रही हैं।
बड़ी संख्या में दीदियों को मिला प्रशिक्षण
पिछले दो महीनों में 30,000 से अधिक जीविका दीदियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। यह आंकड़ा बताता है कि योजना को जमीनी स्तर पर कितनी तेजी से लागू किया जा रहा है। प्रशिक्षण में महिलाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फैशन ट्रेंड से अवगत कराया जा रहा है, ताकि उनके उत्पाद बाजार की मांग के अनुरूप हों। इससे जीविका दीदियों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता भी बढ़ेगी।
निफ्ट के सहयोग से फैशन अपडेट
जीविका दीदियों को फैशन के नवीनतम रुझानों से जोड़े रखने के लिए निफ्ट के साथ विशेष सहयोग स्थापित किया गया है। निफ्ट के विशेषज्ञ समय-समय पर डिजाइन, रंग संयोजन और ट्रेंड से जुड़ी जानकारी साझा कर रहे हैं। इससे दीदियों द्वारा तैयार कपड़े सिर्फ स्थानीय पसंद तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार की जरूरतों को भी पूरा कर सकेंगे।
महिला स्वरोजगार को मिलेगा बड़ा सहारा
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़ने के बाद जीविका दीदियों के लिए स्वरोजगार के नए अवसर खुलेंगे। ऑनलाइन बिक्री से बिचौलियों की भूमिका कम होगी और महिलाओं को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिल सकेगा। यह पहल ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
बिहार के फैशन और हस्तशिल्प को नई पहचान
यह योजना सिर्फ रोजगार तक सीमित नहीं है, बल्कि बिहार की हस्तशिल्प और फैशन उद्योग को भी एक नई पहचान देने की क्षमता रखती है। जब बिहार में तैयार कपड़े बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दिखेंगे, तो राज्य की रचनात्मक क्षमता और मेहनत को व्यापक मंच मिलेगा। इससे बिहार को एक उभरते हुए फैशन हब के रूप में पहचान मिलने की संभावना है।
डिजिटल युग में महिलाओं की भागीदारी
इस पहल के जरिए जीविका दीदियां डिजिटल युग का हिस्सा बनेंगी। ऑनलाइन ऑर्डर, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और ग्राहक संतुष्टि जैसे पहलुओं की जानकारी भी धीरे-धीरे महिलाओं तक पहुंचेगी। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे खुद को केवल कारीगर नहीं, बल्कि उद्यमी के रूप में देखने लगेंगी।
भविष्य की दिशा और संभावनाएं
फरवरी-मार्च तक ई-कॉमर्स से जुड़ने की योजना के साथ यह पहल एक नए चरण में प्रवेश करेगी। आने वाले समय में उत्पादों की रेंज बढ़ाने, नए डिजाइन लाने और अंतरराष्ट्रीय बाजार की संभावनाओं को टटोलने की तैयारी भी की जा सकती है। कुल मिलाकर, जीविका दीदियों के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का निर्माण बिहार में महिला सशक्तिकरण, रोजगार और आर्थिक विकास की दिशा में एक मजबूत कदम साबित होने जा रहा है।


