December 10, 2025

किशनगंज में अतिक्रमण हटाने गए टीम पर ग्रामीणों का हमला, लोगों ने की पत्थरबाजी, तेज धार हथियार से किया हमला

किशनगंज। बिहार में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई इन दिनों प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है। कई जिलों में बुलडोजर ऐक्शन का लगातार विरोध हो रहा है, और इस विरोध ने कई जगह हिंसक रूप भी ले लिया है। इसी कड़ी में ताजा घटना किशनगंज जिले से सामने आई है, जहां अतिक्रमण हटाने गई नगर परिषद की टीम पर स्थानीय लोगों ने हमला कर दिया। यह घटना सदर थाना क्षेत्र के खगड़ा स्थित कालू चौक मेला ग्राउंड की है, जहां प्रशासन अवैध कब्जों को हटाने पहुंचा था।
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान तनाव
नगर परिषद की टीम जब बुलडोजर और अन्य उपकरणों के साथ मेला ग्राउंड पहुंची, तो शुरू में स्थिति सामान्य दिखाई दी। लेकिन जैसे ही टीम ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की, विरोध करने वालों की भीड़ जमा होने लगी। देखते ही देखते भीड़ आक्रोशित हो गई और पथराव शुरू कर दिया। इस अचानक हुए हमले ने टीम को संभलने का मौका तक नहीं दिया।
हमले में टीम के सदस्य घायल
भीड़ की उग्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नगर परिषद के अमीन कमलेश कुमार पर चाकू जैसे धारदार हथियार से हमला कर दिया गया। उनकी पीठ पर गहरा घाव आया है। इसके अलावा जेसीबी चालक कृपा कुमार और ट्रैक्टर चालक नदीम भी चोटिल हो गए। तीनों घायलों को तुरंत प्राथमिक उपचार के बाद सदर अस्पताल भेजा गया। हमले में मशीनरी को भी नुकसान पहुंचा। पथराव और मारपीट के दौरान जेसीबी का शीशा टूट गया और वाहन क्षतिग्रस्त हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार स्थिति इतनी भयावह हो गई कि जेसीबी चालक किसी तरह वाहन को पीछे मोड़कर मौके से जान बचाकर भाग पाया।
हमले का कारण और स्थानीय लोगों का आरोप
घटना के बाद स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई निष्पक्ष नहीं की जा रही है। कुछ लोगों का कहना था कि नगर परिषद केवल चुनिंदा घरों पर कार्रवाई कर रही है, जबकि उसी सरकारी जमीन पर मौजूद अन्य अवैध निर्माणों को बिना वजह छोड़ दिया गया है। इसी कथित पक्षपात को लेकर भीड़ आक्रोशित हो उठी और हमला कर दिया गया। भीड़ का यह तर्क प्रशासन की ओर से पूरी तरह खारिज किया गया है, लेकिन स्थानीय स्तर पर इस मुद्दे ने असंतोष की चिंगारी को भड़का दिया। कई लोगों का मानना है कि कार्रवाई से पहले उन्हें समय दिया जाना चाहिए था और निष्पक्ष सर्वे होना चाहिए था।
नगर परिषद की प्रतिक्रिया
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी प्रवीण कुमार ने इस घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि टीम अपना कर्तव्य निभा रही थी और सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई पूरी तरह नियमों के तहत की जा रही थी। उन्होंने घायल अमीन और मशीन चालकों की स्थिति की जानकारी दी और बताया कि अमीन की हालत चिंताजनक नहीं है, लेकिन चोट गंभीर है। उन्होंने यह भी बताया कि घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध है, जिसके आधार पर हमलावरों की पहचान की जा रही है और उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
जैसे ही घटना की सूचना जिला मुख्यालय तक पहुंची, एसपी सागर कुमार ने तुरंत सदर थाना की पुलिस और अतिरिक्त बल को मौके पर भेजा। पुलिस टीम ने भीड़ को नियंत्रित किया और नगर परिषद के कर्मचारियों तथा मशीनों को सुरक्षित बाहर निकाला। पुलिस ने कहा कि अभी तक कोई लिखित आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन शिकायत मिलते ही आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में बढ़ती चुनौतियाँ
बिहार में हाल के दिनों में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कई बार विवाद और हिंसा का कारण बनी है। प्रशासनिक टीमों को कई जगह विरोध, पथराव और हमलों का सामना करना पड़ रहा है। किशनगंज की यह घटना भी यह दर्शाती है कि अवैध कब्जों को हटाने की कोशिशों के बीच स्थानीय असंतोष तेजी से भड़क सकता है। ऐसी घटनाओं से स्पष्ट है कि अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन को अधिक समन्वित और संवेदनशील रणनीति अपनानी होगी। स्थानीय लोगों से संवाद, निष्पक्ष सर्वे, और पर्याप्त समय देकर चेतावनी जारी करना ऐसी किसी भी कार्रवाई को विवाद से बचाने में मदद कर सकता है।
घटना से मिला संदेश
किशनगंज की यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि कानून और व्यवस्था के कार्यान्वयन में प्रशासन को न केवल कठोरता की आवश्यकता होती है, बल्कि जनता के बीच विश्वास कायम रखना भी बेहद जरूरी है। अतिक्रमण हटाना आवश्यक है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता और संवाद उतने ही अहम हैं।

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