December 4, 2025

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बिना अनुमति महिला का फोटो और वीडियो लेना अपराध नहीं, आरोपी को दी बड़ी राहत

नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें महिला की बिना अनुमति वीडियो रिकॉर्डिंग के मामले में आरोपी को बड़ी राहत दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी महिला का वीडियो उस समय रिकॉर्ड किया जाता है जब वह किसी निजी गतिविधि में शामिल नहीं है, तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 354सी (वॉयरिज्म) के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। यह फैसला भविष्य में ऐसे मामलों की जांच और मुकदमेबाजी पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।
वॉयरिज्म क्या है? अदालत की स्पष्ट व्याख्या
वॉयरिज्म का अर्थ है किसी महिला को उसकी निजी अवस्था या गतिविधि में चुपके से देखना या उसकी रिकॉर्डिंग करना। यह तब लागू होता है जब महिला स्नान, वस्त्र परिवर्तन या किसी निजी कार्य में हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति फोटो लेना हर स्थिति में वॉयरिज्म नहीं माना जा सकता। महत्वपूर्ण यह है कि महिला की निजता का उल्लंघन हो रहा है या नहीं।
मामले की पृष्ठभूमि—संपत्ति विवाद से जुड़ा था पूरा मामला
यह मामला कोलकाता के सॉल्ट लेक क्षेत्र की एक संपत्ति विवाद से शुरू हुआ था। आरोपी तुहिन कुमार बिस्वास उस संपत्ति के सह–मालिक के बेटे हैं। वर्ष 2018 में उनके पिता ने अपने भाई के खिलाफ संपत्ति को लेकर सिविल मुकदमा दायर किया था। सिविल कोर्ट ने तब दोनों पक्षों को संपत्ति पर संयुक्त अधिकार रखने और किसी तीसरे पक्ष को अधिकार न देने का आदेश दिया था। मार्च 2020 में ममता अग्रवाल नाम की महिला उक्त संपत्ति देखने पहुंचीं, जिन्हें भावी किराएदार बताया गया। इसी समय आरोप लगे कि तुहिन कुमार ने महिला को धमकाया, रोका और उनकी सहमति के बिना उनका वीडियो रिकॉर्ड किया। अगस्त 2020 में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 354सी समेत कई धाराओं में एफआईआर दर्ज कर दी गई।
एफआईआर और चार्जशीट पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि एफआईआर पूरी तरह से संपत्ति विवाद का परिणाम है और इसका वॉयरिज्म से प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। अदालत ने कहा कि शिकायत में कहीं भी यह नहीं बताया गया कि महिला किसी निजी गतिविधि में थीं या उनकी निजता भंग की गई थी। केवल संपत्ति में आने-जाने की रिकॉर्डिंग को निजी गतिविधि नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि जिस प्रकार से पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की, वह गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा आरोपी को डिस्चार्ज न किए जाने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि ऐसे मामलों में न्यायिक सतर्कता आवश्यक है।
ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट का निर्णय क्यों गलत माना गया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी मामले में प्राथमिक तथ्यों से ही अपराध सिद्ध नहीं होता, तो आरोपी को अनावश्यक रूप से मुकदमे में घसीटना आपराधिक न्याय प्रणाली पर अनावश्यक बोझ डालता है। कोर्ट ने माना कि हाईकोर्ट ने एफआईआर में वॉयरिज्म का कोई आधार न मिलने के बावजूद केस को जारी रखा, जो सही नहीं था। अदालत ने कहा कि इस तरह के विवाद, खासकर जब वे पारिवारिक या संपत्ति मामलों से जुड़े हों, उन्हें सिविल अदालत में सुलझाना चाहिए, न कि उन्हें आपराधिक मामले का रूप देना चाहिए।
शिकायतकर्ता के दावों की सुप्रीम कोर्ट द्वारा समीक्षा
सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि शिकायतकर्ता को किराएदार के रूप में दिखाया गया था, जबकि रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह केवल संपत्ति देखने आई थीं। कोर्ट ने माना कि आरोपों का मकसद संपत्ति विवाद में दबाव बनाना था। इसके पीछे पारिवारिक तनाव भी एक कारण था।
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को दी राहत
इन सभी तथ्यों और कानून की परिभाषाओं की जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी तुहिन कुमार बिस्वास के खिलाफ मामला बंद कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में वॉयरिज्म का कोई तत्व नहीं बनता और आरोपी को आपराधिक प्रक्रिया से मुक्त किया जाना चाहिए।
अदालत का संदेश—सतर्कता और कानून का सही उपयोग जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस को चार्जशीट दाखिल करते समय और ट्रायल कोर्ट को आरोप तय करते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। अगर किसी मामले में मजबूत आधार न हो, तो आरोपी को मुकदमे का सामना करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। अदालत ने चेतावनी दी कि गलत धाराओं में मामले दर्ज किए जाने से न्याय व्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल आरोपी के लिए राहत लेकर आया, बल्कि यह स्पष्ट करता है कि वॉयरिज्म की धारा का इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए। निजता का उल्लंघन होना आवश्यक है, केवल फोटो या वीडियो बना लेना अपने-आप में अपराध नहीं होता। यह फैसला कानून के सही और संतुलित उपयोग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है और भविष्य में ऐसे मामलों के लिए मिसाल बनेगा।

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