दानापुर में फल विक्रेताओं और ऑटो ड्राइवरों में जमकर मारपीट, कई गाड़ी के शीशे तोड़े, ठेले हटाने पर हुआ विवाद
पटना। दानापुर बस पड़ाव पर सोमवार की सुबह उस समय तनावपूर्ण माहौल बन गया जब फल विक्रेताओं और ऑटो चालकों के बीच विवाद हिंसक झड़प में बदल गया। देखते ही देखते स्थिति हाथ से बाहर हो गई और दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हुई। घटना के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल हो गया और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
ठेले हटाने के नोटिस के बाद बना तनाव
जानकारी के अनुसार, छावनी परिषद ने हाल ही में फल विक्रेताओं को नोटिस जारी कर बस पड़ाव क्षेत्र से अपने ठेले हटाने का आदेश दिया था। यह निर्देश अतिक्रमण हटाने की कवायद के तहत दिया गया था। लेकिन सोमवार को कुछ फल विक्रेता फिर भी ऑटो स्टैंड के पास ठेले लगाकर फल बेच रहे थे। इसी दौरान एक ऑटो चालक ने इनके पास गाड़ी खड़ी कर दी, जिससे बहस शुरू हो गई। फल विक्रेताओं का तर्क था कि जब उनके ठेले लगाने पर रोक है, तो ऑटो चालक भी वहां गाड़ी नहीं खड़ा कर सकते। मामूली सी कहासुनी कुछ ही मिनटों में विवाद में बदल गई और फिर हिंसा के रूप में फूट पड़ी।
सैकड़ों फल विक्रेताओं का हमला, ऑटो के शीशे तोड़े
विवाद बढ़ने पर करीब सौ की संख्या में फल विक्रेता तलवार, रॉड और लाठियों से लैस होकर ऑटो स्टैंड की ओर बढ़ आए। अचानक हुए इस हमले ने चालकों और वहां मौजूद यात्रियों को दहशत में डाल दिया। फल विक्रेताओं ने कई ऑटो के शीशे तोड़ दिए और विरोध करने वाले चालकों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। घायलों में कई ऑटो चालक शामिल हैं, जिनमें सुमेश कुमार ने बताया कि फल विक्रेता अचानक धावा बोलते हुए आए और बिना किसी चेतावनी के हमला कर दिया। उन्होंने दावा किया कि हमलावरों की संख्या सौ से अधिक थी और वे पूरी तैयारी के साथ आए थे।
ऑटो चालकों का विरोध और हड़ताल
हमले के बाद आक्रोशित ऑटो चालकों ने अपनी सेवाएं तुरंत बंद कर दीं और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विरोध शुरू कर दिया। बस पड़ाव के आसपास के क्षेत्रों—सदर बाजार, मार्शल बाजार और अस्पताल मोड़—की दुकानों को भी उन्होंने बंद करा दिया। ऑटो संचालन पूरी तरह ठप होने से हजारों यात्रियों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा। स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चों और ऑफिस कर्मचारियों को भी आने-जाने में परेशानियां झेलनी पड़ीं।
पुलिस की देर से एंट्री पर नाराजगी
घटना की सूचना मिलने के काफी देर बाद पुलिस मौके पर पहुंची, जिससे चालकों में नाराजगी और बढ़ गई। उनका कहना था कि यदि पुलिस समय पर पहुंच जाती, तो घटना इतनी गंभीर रूप नहीं लेती। चालकों ने यह भी आरोप लगाया कि हमलावर एक विशेष समुदाय से जुड़े थे तथा पुलिस उनकी कार्रवाई पर ढिलाई बरत रही है। पुलिस अधिकारियों और बस पड़ाव एजेंटों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। उन्होंने चालकों को सेवा बहाल करने की अपील भी की, लेकिन चालक अपनी सुरक्षा को देखते हुए पीछे हटने को तैयार नहीं दिखे।
सुरक्षा व्यवस्था कड़ी, मामला अब भी अधर में
दानापुर थानाध्यक्ष ने बताया कि पुलिस ने घटना का संज्ञान लिया है और बस पड़ाव क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है। फिलहाल किसी भी पक्ष की ओर से लिखित आवेदन नहीं आया है, इसलिए औपचारिक शिकायत दर्ज होने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पुलिस स्थिति पर नजर बनाए हुए है और दोनों पक्षों से बातचीत कर विवाद सुलझाने की कोशिश की जा रही है।
यातायात व्यवस्था पर भारी असर, लोग परेशान
ऑटो सेवा बंद होने से दानापुर और आसपास के इलाकों में यातायात व्यवस्था पर भी बड़ा असर पड़ा। कई लोग बस पड़ाव पर बिना वाहन के घंटों फंसे रहे। प्राइवेट वाहनों में भी भीड़ बढ़ गई और किराये तक में बढ़ोतरी की शिकायतें सामने आईं।
विवाद का समाधान जरूरी
घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि अतिक्रमण हटाने और सार्वजनिक स्थलों पर व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासनिक कदम क्यों समय पर और प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पाते। यदि छावनी परिषद और स्थानीय प्रशासन पहले ही व्यवस्था सुनिश्चित करता, तो फल विक्रेताओं और ऑटो चालकों के बीच यह टकराव नहीं होता।


