बिहार विधानसभा: रुझानों में एनडीए 200 के पार, 10वीं बार सीएम बनेंगे नीतीश, बीजेपी की मुख्यालय के जश्न में शामिल होंगे पीएम
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की मतगणना के दौरान राजनीतिक माहौल लगातार गर्म होता जा रहा है। रुझानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस बार राज्य की सत्ता एक बार फिर एनडीए गठबंधन के हाथों में जा रही है। 243 सीटों के रुझानों में एनडीए 199 से अधिक सीटों पर आगे चल रहा है, जबकि महागठबंधन 38 सीटों तक सीमित दिखाई दे रहा है। यह तस्वीर 2020 की तुलना में पूरी तरह बदली हुई है, जहां महागठबंधन ने कड़ी टक्कर दी थी। इस बार समीकरण उलट गए हैं और एनडीए को लगभग 65 सीटों का अतिरिक्त फायदा मिलता दिख रहा है।
एनडीए की भारी बढ़त
रुझानों के अनुसार एनडीए गठबंधन इस बार लगभग क्लीन स्वीप की स्थिति में पहुंच चुका है। इसमें जदयू का प्रदर्शन उल्लेखनीय है, जो पिछली बार की तुलना में दोगुने से भी अधिक सीटों पर आगे है। 2020 में जदयू मात्र 43 सीटों पर सिमट गई थी, लेकिन इस बार वह 75 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। एनडीए के इस प्रदर्शन ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर स्थिरता का संदेश दिया है।
बीजेपी बनी सबसे बड़ी पार्टी
एनडीए के भीतर सबसे मजबूत प्रदर्शन भारतीय जनता पार्टी का दिखाई दे रहा है। 91 सीटों पर बढ़त के साथ बीजेपी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनती नजर आ रही है। यह परिणाम पार्टी के संगठन, अभियान और नेतृत्व की मजबूती को दर्शाता है। बीजेपी का यह प्रदर्शन भविष्य के राजनीतिक समीकरणों के लिए भी महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
महागठबंधन की स्थिति कमजोर
महागठबंधन के लिए यह चुनाव निराशाजनक साबित हो रहा है। राजद, जो 2020 में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, इस बार मात्र 29 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। कांग्रेस की स्थिति और भी कमजोर है, जो 61 सीटों पर लड़कर केवल 4 सीटों पर आगे चल रही है। वाम दलों का प्रभाव भी कम होता दिखाई दे रहा है। यह परिणाम महागठबंधन की चुनावी रणनीति और प्रचार अभियान पर सवाल खड़े कर रहा है।
नई पार्टियों का प्रदर्शन
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जिसने पूरे 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, किसी भी सीट पर बढ़त बनाती नहीं दिख रही है। यह शुरुआती संकेत पार्टी के लिए भारी निराशाजनक हैं, क्योंकि वह खुद को एक नए विकल्प के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रही थी। इसी तरह मुकेश सहनी की पार्टी भी अभी तक कोई बढ़त नहीं बना सकी है, जिससे उनके राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
प्रमुख चेहरों का रिपोर्ट कार्ड
चुनावी रुझानों में प्रमुख नेताओं की स्थिति भी काफी चर्चित रही। राघोपुर से तेजस्वी यादव लगातार पीछे चल रहे हैं। उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव भी महुआ से पिछड़ते नजर आ रहे हैं। दोनों नेताओं के लिए यह स्थिति राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है। इसके विपरीत भाजपा के सम्राट चौधरी तारापुर से मजबूत बढ़त बनाए हुए हैं। पवन सिंह की पत्नी काराकाट से पीछे चल रही हैं, जिससे वहां के चुनावी समीकरणों पर भी असर पड़ा है।
अन्य सीटों का रुझान
निर्दलीय उम्मीदवार और अन्य दल लगभग 5 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। यह संख्या भले ही बहुत कम हो, लेकिन कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय होने के कारण इन उम्मीदवारों ने चुनावी लड़ाई को रोचक बना दिया है। राज्य में दो चरणों में हुए चुनावों में 67.10 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था, जो 2020 के मुकाबले लगभग 10 प्रतिशत अधिक है। यह बढ़ा हुआ मतदान चुनावी रुझानों का एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है।
बीजेपी मुख्यालय में जश्न
एनडीए की भारी बढ़त को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय में जश्न की तैयारी शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम 6 बजे दिल्ली स्थित बीजेपी कार्यालय पहुंचेंगे और यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वे कार्यकर्ताओं के बीच अपनी प्रतिक्रिया भी देंगे। यह संकेत है कि पार्टी को अपने प्रदर्शन पर पूरा विश्वास है।
नीतीश कुमार की संभावित वापसी
जदयू के बेहतर प्रदर्शन और एनडीए की भारी बढ़त से अब यह साफ हो गया है कि नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। यह उनका दसवां कार्यकाल होगा, जो उन्हें भारत के सबसे लंबे समय तक पद पर बने रहने वाले नेताओं में शामिल कर देगा। उनकी वापसी राज्य में सुशासन और स्थिरता के संदेश को आगे बढ़ाती है।


