November 12, 2025

गोपालगंज में जदयू औऱ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हिंसक झड़प, खूब हुई मारपीट, युवक गंभीर रूप से घायल

गोपालगंज। बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे अपने निर्णायक दौर में पहुंच रहा है, राजनीतिक दलों के बीच तनाव और टकराव की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। मंगलवार को गोपालगंज जिले के कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र से एक हिंसक घटना सामने आई, जहां जदयू और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच जोरदार भिड़ंत हो गई। दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच झंडा फाड़ने और रास्ता विवाद को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि मारपीट की नौबत आ गई। इस घटना में एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
चुनावी माहौल में बढ़ा तनाव
घटना गोपालपुर इलाके की बताई जा रही है। यहां जदयू उम्मीदवार अमरेंद्र कुमार उर्फ पप्पू पांडेय और कांग्रेस उम्मीदवार हरिनारायण कुशवाहा के समर्थकों के बीच मंगलवार को झड़प हुई। बताया जा रहा है कि दोनों दलों के बीच पहले से चुनावी प्रचार के दौरान तनातनी का माहौल था, जो इस दिन हिंसक रूप में बदल गया। जैसे ही यह खबर फैली, इलाके में अफरा-तफरी मच गई और लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, झड़प उस समय शुरू हुई जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक समूह अपने झंडे और पोस्टर लगा रहा था। इसी दौरान जदयू कार्यकर्ताओं का काफिला वहां से गुजरा। रास्ता मांगने को लेकर दोनों पक्षों में बहस शुरू हुई, जो धीरे-धीरे हिंसक रूप धारण कर गई।
झंडा फाड़ने और मारपीट का आरोप
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आरोप है कि जदयू समर्थकों ने उनके झंडे और बैनर फाड़ दिए। इस बात को लेकर दोनों पक्षों में कहासुनी बढ़ी और देखते ही देखते मामला हाथापाई में बदल गया। कांग्रेस उम्मीदवार हरिनारायण कुशवाहा के समर्थक अनूप कुशवाहा ने बताया कि वह अपने साथियों के साथ प्रचार कार्य में लगे थे। उन्होंने कहा, “जदयू कार्यकर्ता रास्ता मांग रहे थे, हमने रास्ता दिया, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने एक महिला को आगे बढ़ाया, जो हमारे झंडे तोड़ने लगी। विरोध करने पर तीन-चार लोग आए और मुझ पर हमला कर दिया।” अनूप कुशवाहा के अनुसार, जब वह भागने लगे तो ऊंचाई से फिसलकर गिर गए, जिसके बाद हमलावरों ने उन्हें पकड़कर चाकू से वार किया। हमले में उनके सिर पर गहरी चोट आई है और फिलहाल उनका इलाज गोपालगंज सदर अस्पताल में चल रहा है।
दोनों दलों ने थाने में दी शिकायत
हिंसा की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में लिया। दोनों पक्षों की ओर से कुचायकोट थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। कांग्रेस की ओर से जहां जदयू कार्यकर्ताओं पर झंडा फाड़ने और जानलेवा हमला करने का आरोप लगाया गया है, वहीं जदयू की ओर से भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर उकसाने और झूठा प्रचार फैलाने का आरोप लगाया गया है। थाना प्रभारी ने बताया कि दोनों शिकायतों की जांच की जा रही है। घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए गए हैं और आसपास के लोगों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
घायल कार्यकर्ता की स्थिति और इलाज
घायल अनूप कुशवाहा को पहले स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया, जहां से उन्हें गंभीर स्थिति में सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, उनके सिर और कंधे पर गहरी चोट आई है, लेकिन स्थिति फिलहाल स्थिर है। परिवार के सदस्यों ने बताया कि अनूप को काफी खून बह गया था, जिससे वह कुछ देर तक बेहोश रहे।
इलाके में तनाव और पुलिस की निगरानी
हिंसक झड़प के बाद इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन सतर्कता बरती जा रही है। इलाके के प्रमुख स्थानों पर गश्त बढ़ा दी गई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि दोनों दलों के कार्यकर्ता पिछले कई दिनों से एक-दूसरे पर बयानबाजी कर रहे थे। लोगों को पहले से आशंका थी कि कभी भी विवाद बढ़ सकता है।
चुनावी माहौल में बढ़ती हिंसा
बिहार चुनाव के दौरान यह कोई पहली घटना नहीं है जब कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई हो। कुछ दिन पहले पटना के मोकामा में जनसुराज पार्टी के समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या ने भी राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया था। अब गोपालगंज में हुई इस घटना ने चुनावी माहौल को और संवेदनशील बना दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी रैलियों और प्रचार अभियानों के दौरान कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा और उकसावे की राजनीति ऐसी घटनाओं को जन्म दे रही है। इन झगड़ों से जहां जनता में भय का माहौल बनता है, वहीं चुनाव की निष्पक्षता पर भी सवाल उठते हैं।
प्रशासन की सख्त चेतावनी
जिला प्रशासन ने दोनों ही राजनीतिक दलों को सख्त चेतावनी दी है कि किसी भी प्रकार की हिंसा या आचार संहिता के उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने बताया कि “कानून से ऊपर कोई नहीं है। अगर किसी ने हिंसा भड़काने की कोशिश की तो चाहे वह किसी भी पार्टी से जुड़ा हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा।” गोपालगंज की यह घटना बिहार के चुनावी माहौल में बढ़ते तनाव और राजनीतिक असहिष्णुता की एक और मिसाल है। दोनों दलों के समर्थकों के बीच हुई यह झड़प यह दर्शाती है कि चुनाव प्रचार के बीच नेताओं की आपसी प्रतिद्वंद्विता अब कार्यकर्ताओं के बीच हिंसा का रूप ले रही है। प्रशासन की सख्ती के बावजूद ऐसे मामलों में कमी नहीं आ रही है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए चिंता का विषय है। अब देखना यह होगा कि पुलिस जांच के बाद दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है और क्या चुनाव आयोग इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस कदम उठाता है या नहीं।

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