November 17, 2025

दिलीप जायसवाल को दी गई वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा, पप्पू यादव की सुरक्षा में की गई कटौती

पटना। बिहार की राजनीति इन दिनों सुरक्षा कवच की समीक्षा को लेकर चर्चा में है। बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल की सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाते हुए उन्हें वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है। इसके विपरीत पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव की सुरक्षा में कटौती की गई है और उनकी पूर्व में मिली वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा को घटाकर वाई श्रेणी कर दिया गया है। गृह विभाग ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी करते हुए राज्य पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश भेजा है।
सुरक्षा समीक्षा की पृष्ठभूमि
राजनीतिक हस्तियों की सुरक्षा को लेकर समय-समय पर राज्य सुरक्षा समिति समीक्षा करती है। इसी कड़ी में 19 सितंबर 2025 को हुई बैठक में कई नेताओं की सुरक्षा का मूल्यांकन किया गया। बैठक में पुलिस, खुफिया और अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट को आधार बनाया गया। इसमें पाया गया कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को आपराधिक खतरों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए समिति ने उन्हें वाई प्लस सुरक्षा देने की अनुशंसा की। इसके विपरीत समीक्षा में पाया गया कि सांसद पप्पू यादव की मौजूदा स्थिति और खतरे का आकलन पहले जैसी गंभीरता का नहीं है। इस वजह से उनकी सुरक्षा श्रेणी को घटाने का निर्णय लिया गया।
दिलीप जायसवाल को बढ़ी हुई सुरक्षा
वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा का मतलब है कि अब दिलीप जायसवाल की हर गतिविधि पर विशेष सुरक्षा घेरे की मौजूदगी होगी। इस सुरक्षा ढांचे में केंद्रीय या राज्य पुलिस बल के लगभग 10-11 कमांडो शामिल होते हैं। साथ ही उनके घर और कार्यक्रमों में सुरक्षा का घेरा और सख्त किया जाएगा। राजनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण नेता होने के अलावा इस समय जायसवाल भाजपा की राज्य इकाई की कमान संभाल रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहते हुए उन्हें लोकतांत्रिक गतिविधियों और पार्टी से जुड़े आयोजनों में लगातार दौरे करने पड़ते हैं। इन सब परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए माना गया कि उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा मिलनी ही चाहिए।
पप्पू यादव की सुरक्षा में कमी
पूर्णिया से सांसद और जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव लंबे समय से सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखर रहते आए हैं। उन्हें पहले वाई प्लस सुरक्षा प्रदान की गई थी, जिसके तहत उनकी सुरक्षा में करीब 10 सुरक्षाकर्मी रहते थे। अब इसे घटाकर वाई श्रेणी का सुरक्षा कवच दिया गया है। वाई श्रेणी की सुरक्षा में आमतौर पर 4-5 सुरक्षाकर्मी ही तैनात रहते हैं। यह सुरक्षा स्तर वाई प्लस की तुलना में कम है, लेकिन फिर भी सामान्य परिस्थितियों में यह पर्याप्त मानी जाती है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि फिलहाल पप्पू यादव को उतने बड़े खतरे की संभावना नहीं है जितनी पहले सामने आई थी।
सुरक्षा निर्णयों पर राजनीति
नेताओं की सुरक्षा में बढ़ोतरी या कटौती अक्सर राजनीतिक माहौल में चर्चा का विषय बन जाती है। दिलीप जायसवाल को वाई प्लस सुरक्षा दिए जाने को भाजपा समर्थक एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं, वहीं विपक्ष इसको राजनीतिक लाभ से भी जोड़कर देख सकता है। दूसरी ओर, पप्पू यादव की सुरक्षा में हुई कटौती को लेकर यह सवाल उठ सकता है कि क्या यह केवल आकलन पर आधारित फैसला है या इसके पीछे राजनीतिक कारण भी हैं।
राज्य में सुरक्षा समीक्षा की महत्वता
बिहार जैसे राज्य में, जहां नेता अक्सर जनसंपर्क और बड़े आयोजनों में हिस्सा लेते हैं, सुरक्षा का सवाल बहुत अहम हो जाता है। अपराध और राजनीतिक हिंसा की घटनाओं का इतिहास भी बताता है कि नेताओं को सुरक्षा का विशेष इंतजाम देना जरूरी है। राज्य सुरक्षा समिति द्वारा की जाने वाली यह समीक्षा इसी उद्देश्य से होती है ताकि वास्तविक खतरे में पड़े नेताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और अनावश्यक सुरक्षा कवच का बोझ कम किया जा सके। दिलीप जायसवाल को वाई प्लस सुरक्षा दिए जाने और पप्पू यादव की सुरक्षा कटौती के फैसले ने बिहार की राजनीति को नई बहस दी है। एक तरफ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को सुरक्षा कवच में बढ़ोतरी मिली है, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी सांसद को घटाई सुरक्षा पर संतोष करना होगा। यह फैसला सुरक्षा समिति की रिपोर्ट पर आधारित है, लेकिन राजनीति के मैदान में इसे अलग-अलग नजरिए से देखा जाएगा। आने वाले समय में यह देखा जाना बाकी है कि क्या यह निर्णय राजनीतिक टकराव की वजह बनेगा या सामान्य प्रक्रिया के तौर पर स्वीकार कर लिया जाएगा।

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