December 10, 2025

बिहार के न्यायालयों में 760 नए लोक अभियोजक के पदों होगी बहाली, गृह विभाग ने जारी की अधिसूचना

पटना। बिहार में न्यायिक प्रक्रिया को गति देने और अदालतों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के निपटान की दिशा में राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। गृह विभाग ने अधिसूचना जारी कर 760 नए लोक अभियोजक पदों की मंजूरी दी है। इस फैसले से राज्य में अभियोजन पदों की कुल संख्या 1440 से बढ़कर 2200 हो गई है। न्यायिक तंत्र को मजबूत करने के इस पहल का सीधा उद्देश्य 18 लाख से अधिक लंबित मामलों की सुनवाई को तेज करना है।
न्याय व्यवस्था में सुधार की पहल
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि हर न्यायालय में कम से कम एक लोक अभियोजक की मौजूदगी अनिवार्य की जाए। इसी दिशा में बिहार सरकार ने अभियोजन इकाई का पुनर्गठन किया है। नए पद सृजित होने के बाद अब राज्य में अभियोजन शक्ति में डेढ़ गुना से अधिक वृद्धि हो गई है। इसका बड़ा असर अपराध मामलों की सुनवाई पर पड़ेगा और अपराधियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया तेज होगी।
नए पदों का ब्योरा
राज्य स्तर पर अभियोजन निदेशालय के लिए 12 पद
जिला अभियोजन निदेशालयों में 190 पद
न्यायालयों में अभियोजन संचालन हेतु 424 पद (70 सहायक अभियोजक और 354 अभियोजन पदाधिकारी)
इन पदों की नियुक्ति से न्यायालयों में मामलों की मॉनिटरिंग और निष्पादन की क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।
पदों का नया नामकरण और भूमिका
पुनर्गठन के साथ ही अभियोजन इकाई के पदों के नामकरण में भी बदलाव किया गया है।
जिला अभियोजन पदाधिकारी को अब मुख्य अभियोजक कहा जाएगा।
अनुमंडल अभियोजन पदाधिकारी या अपर लोक अभियोजक को अपर मुख्य अभियोजक का दर्जा दिया गया है। सहायक अभियोजक अथवा अभियोजन पदाधिकारी को जूनियर पदाधिकारी का दर्जा मिलेगा।
इन पदों की जिम्मेदारी है कि वे अपराधों से संबंधित मामलों में अदालत को मजबूत साक्ष्य उपलब्ध कराएं और पीड़ितों को न्याय दिलाने में सक्रिय भूमिका निभाएं।
अभियोजन की भूमिका
लोक अभियोजक अपराधियों के खिलाफ सबूत और साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। वे पुलिस द्वारा दाखिल आरोप पत्र, फॉरेंसिक रिपोर्ट और गवाहों के बयान की जांच करते हैं। अदालत में गवाही पेश करने के साथ-साथ अभियोजन अधिकारी पुलिस को आवश्यक मामलों पर कानूनी सलाह भी देते हैं। इस व्यवस्था से पुलिस और न्यायालय दोनों को सहायता मिलती है और मुकदमों का निपटारा तेजी से संभव हो पाता है।
नए कानून का संदर्भ
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) लागू होने के बाद मामलों के ट्रायल और निष्पादन में और तेज़ी आने की उम्मीद है। इस कानून के तहत अदालतों को अधिक व्यवस्थित और समयबद्ध प्रक्रिया अपनाने की सुविधा मिलेगी। अभियोजन पदों की संख्या बढ़ने से बीएनएसएस लागू करने में भी सहूलियत होगी।
पहली बार नई तैनाती
गृह विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि पहली बार राज्य की कई विशेष इकाइयों में वरिष्ठ अभियोजकों की तैनाती होगी। इनमें पुलिस मुख्यालय, सीआईडी, एटीएस, बीपीएससी, आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू), सुधार सेवाएं निरीक्षणालय, खान एवं भूतत्व विभाग और हाजीपुर स्थित बिहार सुधारात्मक प्रशासनिक संस्थान शामिल हैं। यहां दर्ज मामलों की मॉनिटरिंग और निष्पादन अब तेज गति से होगा।
लंबित मामलों की बड़ी चुनौती
बिहार में फिलहाल लगभग 18 लाख से अधिक मामले अदालतों में लंबित हैं। मामलों की इस भीषण संख्या ने न्याय वितरण प्रणाली पर दबाव बढ़ा दिया है। अभियोजन पदों की कमी अक्सर मामलों में देरी का कारण बनती रही है। अब नए पदों के सृजन से इस समस्या से काफी हद तक राहत मिलने की उम्मीद है।
सरकार की मंशा
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने कहा कि नए पदों के सृजन से न्यायिक प्रक्रिया तेज होगी और अपराधियों को शीघ्र सजा दिलाने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा। इसका सीधा असर लोगों के विश्वास पर पड़ेगा और न्याय व्यवस्था के प्रति भरोसा और मजबूत होगा।
अपराध और न्याय प्रणाली पर असर
नई व्यवस्था से अपराधियों के खिलाफ सख्त संदेश जाएगा। तेज सुनवाई और शीघ्र सजा मिलने से अपराधियों में भय पैदा होगा। इससे अपराध दर नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी। वहीं, पीड़ितों और उनके परिवारों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा और वे जल्द न्याय प्राप्त कर सकेंगे। बिहार सरकार का यह फैसला राज्य की न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था को नई दिशा देने वाला है। 760 नए लोक अभियोजकों की नियुक्ति के बाद हर न्यायालय में एक अभियोजक सुनिश्चित किया जा सकेगा। यह कदम न केवल लंबित मामलों को गति देगा बल्कि पीड़ितों को समयबद्ध न्याय भी दिलाएगा। इससे बिहार की न्याय प्रणाली पहले से ज्यादा मजबूत और प्रभावी बनेगी और आम जनता का भरोसा न्यायालय पर और बढ़ेगा।

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