वोटर अधिकार यात्रा में 30 को शामिल होंगे अखिलेश यादव, राहुल और तेजस्वी का देंगे साथ, इंडिया की दिखेगी एकता
पटना। बिहार की राजनीति इस समय महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा का कारण खासा गर्म है। इस यात्रा का नेतृत्व कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कर रहे हैं। दोनों नेताओं ने मिलकर यह यात्रा 16 अगस्त को सासाराम से शुरू की थी, जो राज्यभर में लगभग 1300 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इसका समापन 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में एक विशाल रैली के साथ होगा। इस बीच खबर आई है कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इस यात्रा में शामिल होंगे। उनकी एंट्री से इस अभियान की ताकत और रणनीतिक महत्व दोनों और बढ़ जाएंगे। इस यात्रा का मुख्य मकसद लोगों को मतदान के अधिकार के महत्व के प्रति जागरूक करना और कथित “वोट चोरी” के खिलाफ आवाज उठाना है। विपक्षी गठबंधन “इंडिया” के नेता लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं कि चुनावों में धांधली और प्रशासनिक पक्षपात होता है, जिससे लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव इस यात्रा के जरिए जनता को जोड़ने और सत्ता के खिलाफ एक मजबूत जनमत तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। अखिलेश यादव 30 अगस्त को पटना आने वाले हैं। जानकारी के अनुसार वे सारण जिले के एकमा में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ मंच साझा करेंगे। इसके बाद वे 1 सितंबर तक इस यात्रा का हिस्सा बने रह सकते हैं और पटना की मेगा रैली में भी मौजूद रहेंगे। इस तरह तीनों नेता—राहुल, तेजस्वी और अखिलेश—एक साथ मंच पर दिखेंगे। यह तिकड़ी न केवल बिहार बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी विपक्षी एकता का प्रतीक बनने की कोशिश करेगी। अखिलेश यादव के शामिल होने से इस यात्रा को कई मायनों में मजबूती मिलेगी। अखिलेश पहले से ही यूपी की राजनीति में बीजेपी और चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगाते रहे हैं। उनका यह अनुभव अब बिहार में भी विपक्ष की रणनीति को धार देगा। अखिलेश यादव लगातार पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) समीकरण को जोड़ने की कोशिश करते रहे हैं। बिहार में यह वर्ग निर्णायक भूमिका निभाता है। उनकी मौजूदगी से महागठबंधन को इस वोट बैंक में मजबूती मिल सकती है। बिहार की इस यात्रा में जब राहुल, तेजस्वी और अखिलेश साथ दिखेंगे तो यह “इंडिया” गठबंधन की एकजुटता का बड़ा संदेश होगा। इससे कार्यकर्ताओं और समर्थकों में जोश बढ़ेगा और सत्ता पक्ष पर दबाव भी बनेगा। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार के लिए यह यात्रा और अखिलेश की मौजूदगी एक कड़ी चुनौती पेश करेगी। तीन बड़े नेताओं की एकजुटता राज्य में विपक्ष को धार देगी और 2025 विधानसभा चुनाव के साथ-साथ 2024 के बाद की राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डाल सकती है।“वोटर अधिकार यात्रा” सिर्फ एक राजनीतिक अभियान नहीं बल्कि विपक्ष की ओर से लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा का दावा है। इसमें अखिलेश यादव का शामिल होना इस यात्रा को और व्यापक बनाएगा। राहुल गांधी की राष्ट्रीय पहचान, तेजस्वी यादव का स्थानीय कद और अखिलेश यादव का सामाजिक समीकरण—तीनों का संगम महागठबंधन को नई ऊर्जा दे सकता है। 1 सितंबर की पटना रैली इस यात्रा का शिखर होगी, जहां विपक्ष अपनी एकता का सबसे बड़ा प्रदर्शन करेगा। कुल मिलाकर, 30 अगस्त से 1 सितंबर तक अखिलेश यादव की बिहार मौजूदगी न सिर्फ सियासी हलचल बढ़ाएगी बल्कि नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ एकजुट विपक्ष का सशक्त संदेश भी देगी।


