November 18, 2025

किशनगंज में गाय की तस्करी का भंडाफोड़, ट्रक से 70 गौवंश बरामद, 3 तस्कर गिरफ्तार

किशनगंज। बिहार के सीमावर्ती जिले किशनगंज में एक बार फिर से गौ तस्करी का बड़ा मामला सामने आया है। सदर थाना क्षेत्र के खगड़ा मझिया पुल पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को गुप्त सूचना मिली थी कि देर रात एक ट्रक के जरिए बड़ी संख्या में गौवंशों की अवैध तस्करी की जा रही है। सूचना के आधार पर कार्यकर्ताओं ने ट्रक को रोकने का प्रयास किया। जब ट्रक की तलाशी ली गई तो उसमें लगभग 70 गौवंश क्रूरतापूर्वक ठूंसे हुए पाए गए। सभी गौवंशों के चारों पांव बांध दिए गए थे और उन्हें अमानवीय स्थिति में लादकर ले जाया जा रहा था। सूचना मिलते ही किशनगंज नगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और ट्रक को जब्त कर थाने ले गई। जब गौवंशों को नीचे उतारा गया तो पाया गया कि उनमें से 7 से 8 की मौत हो चुकी है, जबकि बाकी की हालत बेहद खराब थी। जीवित जानवरों का इलाज पशु चिकित्सकों की देखरेख में कराया जा रहा है, वहीं मृत गौवंशों का पोस्टमॉर्टम करवाया जा रहा है। पुलिस ने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन तस्करों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें अख्तर अंसारी और मुजफ्फर अंसारी पश्चिम बंगाल के रायगंज जिले के निवासी बताए जा रहे हैं, जबकि एक अन्य आरोपी फारबिसगंज का रहने वाला है। चौथा आरोपी मौके से फरार हो गया, जिसकी तलाश जारी है। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि ट्रक फारबिसगंज से चला था और गौवंशों को पश्चिम बंगाल में तस्करी के उद्देश्य से ले जाया जा रहा था। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह इलाका लंबे समय से गौ तस्करों के लिए सुरक्षित मार्ग बना हुआ है। संगठन ने थाना अध्यक्ष से मांग की है कि खगड़ा मझिया रोड पर स्थायी पुलिस चौकी स्थापित की जाए, ताकि इस मार्ग से होने वाली तस्करी पर पूरी तरह अंकुश लगाया जा सके। जिला संयोजक सुनील तिवारी ने कहा कि गौवंशों के साथ इस तरह की क्रूरता किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। स्थानीय प्रशासन ने भी आश्वासन दिया है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। यह घटना केवल एक आपराधिक मामला ही नहीं, बल्कि सीमा से सटे क्षेत्रों में गौ तस्करी के बढ़ते नेटवर्क की ओर भी इशारा करती है। बिहार और पश्चिम बंगाल की सीमावर्ती पट्टियां लंबे समय से पशु तस्करों के लिए आसान रास्ता मानी जाती रही हैं। ऐसे में पुलिस और प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक संगठनों की सक्रिय भूमिका बेहद अहम हो जाती है। यदि नियमित गश्त, चौकसी और सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए तो इस अवैध धंधे पर रोक लगाई जा सकती है। इस पूरी घटना ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि तस्करों की न केवल निगरानी करनी होगी, बल्कि कानून को कठोरता से लागू कर ऐसी प्रवृत्ति को जड़ से खत्म करना होगा। गौवंशों की सुरक्षा और पशु क्रूरता पर रोक समाज और प्रशासन दोनों की साझा जिम्मेदारी है।

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