November 18, 2025

छपरा में भाइयों से तंग आकर जवान ने की आत्महत्या, सर्विस राइफल से खुद को मारी गोली

छपरा। बिहार के छपरा के मकेर प्रखंड के जगदीशपुर गांव के रहने वाले जवान जितेंद्र सिंह ने ड्यूटी के दौरान अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। वह गोरखपुर एयरपोर्ट पर रनवे की सुरक्षा में डिफेंस सिक्योरिटी कॉर्प्स के रूप में तैनात थे। बुधवार देर रात हुई इस घटना का पता उस समय चला, जब उनका रिलीवर ड्यूटी पर पहुंचा और देखा कि जितेंद्र खून से लथपथ जमीन पर पड़े हैं।
सुसाइड नोट से मिली जानकारी
जवान के शव के पास से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें उन्होंने लिखा था कि वह अपने भाइयों से परेशान हैं। नोट में उल्लेख था कि भाइयों द्वारा किए गए फर्जी केस ने उनका जीना मुश्किल कर दिया है और इस मानसिक दबाव के चलते अब वह जीवन समाप्त कर रहे हैं। इस नोट ने आत्महत्या के पीछे पारिवारिक विवाद और तनाव की ओर इशारा किया।
घटना का समय और परिस्थितियां
सीओ कैंट योगेंद्र सिंह ने बताया कि घटना के समय जितेंद्र अपने दो अन्य साथियों के साथ रनवे के पास ड्यूटी पर थे। सभी स्टॉप रूम में थे और वहां कूलर की आवाज इतनी तेज थी कि गोली चलने की आवाज किसी को सुनाई नहीं दी। जब रिलीवर मौके पर पहुंचा, तब जाकर घटना का खुलासा हुआ। गोली उनके पेट के बाईं ओर लगी थी।
जितेंद्र का पारिवारिक जीवन
जितेंद्र चार भाइयों में तीसरे नंबर के थे। उन्होंने भारतीय सेना से रिटायरमेंट के बाद एयरपोर्ट पर डीएससी में नौकरी शुरू की थी। वह पत्नी, दो बेटियों और एक बेटे के साथ गोरखपुर स्थित एयरफोर्स की विजय विहार कॉलोनी में रहते थे। कुछ दिन पहले सावन की पूजा के लिए वह परिवार के साथ गांव गए थे। 3 अगस्त को ड्यूटी पर लौट आए, लेकिन पत्नी और बच्चे गांव में ही रह गए थे।
सहकर्मियों की प्रतिक्रिया
जितेंद्र के साथ ड्यूटी कर रहे सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि वह बेहद शांत, अनुशासित और मिलनसार स्वभाव के थे। पारिवारिक परेशानी के बावजूद उन्होंने कभी अपने चेहरे पर तनाव नहीं दिखाया। सहकर्मियों के अनुसार, वह हमेशा अपने काम में गंभीर रहते थे और किसी को भी अपने मानसिक बोझ का अंदाजा नहीं होने देते थे।
पोस्टमॉर्टम और परिजनों का दर्द
घटना की जानकारी मिलने के बाद गुरुवार शाम लगभग 6:10 बजे जितेंद्र का परिवार एयरपोर्ट पहुंचा। वहां उन्होंने अधिकारियों और सहकर्मियों से पूरी घटना की जानकारी ली। इसके बाद पुलिस की मौजूदगी में शव को एम्स हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां करीब चार घंटे तक पोस्टमॉर्टम चला। पोस्टमॉर्टम के बाद शव को चाचा और अन्य परिजनों के हवाले किया गया, जिन्हें एयरफोर्स हॉस्पिटल ले जाया गया।
गांव में शोक का माहौल
जितेंद्र की असामयिक मौत की खबर से उनका गांव सदमे में है। ग्रामीणों ने बताया कि वह कुछ दिन पहले छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटे थे और संभव है कि वे मानसिक या पारिवारिक तनाव में थे। उनकी आत्महत्या ने न केवल परिवार को, बल्कि पूरे गांव को गहरे शोक में डाल दिया है।
पुलिस की जांच
पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने के साथ-साथ आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, ताकि घटना के समय और परिस्थितियों की पुष्टि की जा सके। फिलहाल जांच सुसाइड नोट और पारिवारिक विवाद के इर्द-गिर्द केंद्रित है। यह घटना यह दर्शाती है कि मानसिक और पारिवारिक तनाव किस तरह एक मजबूत और अनुशासित व्यक्ति को भी भीतर से तोड़ सकता है, और समय पर भावनात्मक सहारा न मिलने पर परिस्थितियां जानलेवा बन सकती हैं।

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