राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर बड़ा हमला, महाराष्ट्र और कर्नाटक के वोटर लिस्ट में धांधली को दिखाया, वोट चोरी का लगाया आरोप
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गहरा संकट मंडरा रहा है। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में वोटर लिस्ट में भारी गड़बड़ी की गई है और सुनियोजित तरीके से वोट चोरी को अंजाम दिया गया।
कर्नाटक की वोटर लिस्ट में संदिग्ध गड़बड़ी
राहुल गांधी ने बेंगलुरु की महादेवपुरा विधानसभा सीट का हवाला देते हुए कहा कि वहां के कुल 6.5 लाख मतों में से लगभग 1 लाख वोटों की चोरी की गई है। उनकी टीम की रिसर्च के अनुसार, एक ही व्यक्ति का नाम कई अलग-अलग बूथों पर दर्ज था। कुछ स्थानों पर फर्जी पते दिए गए थे, और कहीं मकान संख्या ‘0’ दिखाया गया था। उन्होंने दावा किया कि एक ही पते पर 50-50 मतदाता दर्ज थे, जिनमें कई बार एक ही नाम के साथ अलग-अलग फोटो मौजूद थीं। यहां तक कि एक वोटर के पिता का नाम “dfojgaidf” जैसा अवैध डेटा भी था। राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा को इस धांधली का सीधा फायदा हुआ। उन्होंने बताया कि बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर लगभग 32 हजार था, जबकि महादेवपुरा में यह अंतर 1 लाख से ज्यादा रहा। उनके अनुसार, यह अंतर संदेह पैदा करता है कि यहीं पर सबसे ज्यादा गड़बड़ी हुई है।
महाराष्ट्र में वोटर वृद्धि पर सवाल
महाराष्ट्र के संदर्भ में राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद कुछ ही महीनों में एक करोड़ नए मतदाता सूची में जोड़े गए, जो सामान्य प्रक्रिया के मुकाबले बेहद असामान्य है। कांग्रेस ने इस पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा, लेकिन उन्हें कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिला। उन्होंने दावा किया कि वहां करीब 40 लाख वोटर्स “रहस्यमयी” हैं, जिनके बारे में कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं मिलती। राहुल गांधी का कहना है कि इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में वोटर्स का जुड़ना चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है।
वोटर लिस्ट में तकनीकी खामियां
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट में तकनीकी स्तर पर भी बड़ी खामियां हैं। कई मतदाताओं की तस्वीरें स्पष्ट नहीं हैं या बिल्कुल गायब हैं। कुछ मतदाताओं के नाम एक ही पते पर दर्ज हैं, और वहीं कई मकानों में 40 से ज्यादा वोटर्स सूचीबद्ध पाए गए। उन्होंने यह भी बताया कि 70 वर्षीय शकुन रानी ने एक ही महीने में दो बार वोटर आईडी कार्ड बनवाने के लिए फॉर्म भरा, जिसमें अलग-अलग फोटो थीं। इससे यह आशंका और बढ़ जाती है कि किसी व्यक्ति की पहचान को बार-बार उपयोग किया गया।
चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का पालन नहीं कर रहा है और पारदर्शिता से बचने के लिए वोटर लिस्ट की स्कैनिंग या कॉपी करने की अनुमति नहीं देता। उनका कहना है कि यदि डेटा सार्वजनिक होता, तो ऐसी धांधलियों को पहले ही उजागर किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि आयोग बार-बार कांग्रेस द्वारा मांगे गए डेटा को देने से इनकार करता रहा, जिससे उन्हें इस घोटाले का पता लगाने में छह महीने का समय लगा। उन्होंने चुनाव आयोग से पूछा कि वह मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट क्यों नहीं देता और शाम पांच बजे के बाद वोटिंग टर्नआउट अचानक कैसे बढ़ जाती है?
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस ने इससे पहले भी नवंबर 2024 में ऐसे ही आरोप लगाए थे, जिनका विस्तार से जवाब दिसंबर 2024 में दे दिया गया था। आयोग ने यह भी कहा कि चुनाव पूरी पारदर्शिता और कानून के अनुसार हजारों अधिकारियों की निगरानी में कराए गए। आयोग ने राहुल गांधी को लिखा कि यदि उन्हें कोई और शिकायत है, तो वे व्यक्तिगत रूप से मिल सकते हैं या लिखित में अपनी आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। साथ ही आयोग ने बैठक के लिए तारीख तय करने का सुझाव भी दिया।
बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन और विपक्ष की प्रतिक्रिया
वोटर लिस्ट की समीक्षा प्रक्रिया के तहत बिहार में भी बड़े स्तर पर बदलाव किए गए। 1 अगस्त को जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 7.89 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ हो गई है। यानी करीब 65 लाख नाम हटा दिए गए हैं। इनमें से 22 लाख मतदाता मृत पाए गए, 36 लाख अन्य स्थानों पर स्थानांतरित हो चुके हैं और 7 लाख नए स्थानों पर स्थायी निवासी बन चुके हैं। यह संशोधन 24 जून 2025 से 25 जुलाई 2025 तक चलाया गया, जिसमें 99.8% कवरेज हासिल की गई। इस प्रक्रिया को लेकर राहुल गांधी और पूरा विपक्ष चुनाव आयोग पर लगातार सवाल उठा रहा है। संसद के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि वोटर लिस्ट की सफाई के नाम पर धांधली हो रही है, जिससे भाजपा को फायदा पहुंच रहा है। राहुल गांधी के आरोप भारतीय लोकतंत्र की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। यदि ये आरोप सही साबित होते हैं, तो यह चुनावी प्रक्रिया की साख को गहरा आघात पहुंचाएगा। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चुनाव आयोग इन आरोपों की जांच किस तरह करता है और क्या जवाब देता है। विपक्ष की मांग है कि मतदाता सूची को सार्वजनिक और पारदर्शी बनाया जाए ताकि आम नागरिकों का लोकतंत्र में विश्वास बना रहे।


