मोतिहारी में गर्भवती महिला की मौत से सनसनी, दहेज हत्या आरोप, परिवार फरार

मोतिहारी। मोतिहारी के मेहसी थाना क्षेत्र स्थित चक फतेउल्लाह गांव में गुरुवार देर रात एक गर्भवती महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतका की पहचान 22 वर्षीय सहिना खातून के रूप में हुई है, जो सात महीने की गर्भवती थी। यह दुखद घटना पूरे गांव में सनसनी फैलाने वाली बन गई है। मामले में मृतका के मायके वालों ने ससुराल पक्ष पर दहेज के लिए हत्या का गंभीर आरोप लगाया है।
निकाह के कुछ महीनों बाद ही मौत
सहिना खातून का निकाह 16 नवंबर 2024 को चक फतेउल्लाह निवासी मोहम्मद इमाम उद्दीन के साथ हुआ था। विवाह को अभी महज़ आठ महीने ही बीते थे कि यह त्रासदी सामने आ गई। मृतका के पिता मोहम्मद मुस्लिम, जो मथुरापूर गांव, थाना तुरकालिया, जिला मोतिहारी के निवासी हैं, का कहना है कि उनकी बेटी को शादी के बाद से ही लगातार दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। सहिना की मौत से पूरा मायका परिवार गहरे सदमे में है।
ससुराल पक्ष पर गंभीर आरोप
सहिना के परिजनों ने आरोप लगाया है कि शादी के कुछ महीनों बाद से ही ससुराल वाले दहेज की मांग करने लगे थे। इस बात को लेकर सहिना मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित की जाती थी। उन्होंने कहा कि जब से सहिना गर्भवती हुई, तब से उसकी स्थिति और भी नाजुक हो गई थी। परिजनों का आरोप है कि गुरुवार की रात सहिना की हत्या कर दी गई और अब मामले को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की जा रही है।
घटना के बाद ससुराल पक्ष फरार
घटना की जानकारी मिलते ही मेहसी थाना अध्यक्ष शानू गौरव के नेतृत्व में पुलिस टीम मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने प्राथमिक कार्रवाई पूरी करने के बाद बताया कि ससुराल पक्ष के सभी सदस्य घटना के बाद से फरार हैं। इससे संदेह और भी गहरा हो गया है। थानाध्यक्ष ने यह भी कहा कि मृतका के परिजनों से लिखित शिकायत मिली है और मामले की गहनता से जांच की जा रही है।
ग्रामीणों में गहरा आक्रोश
इस घटना के बाद गांव में मातम का माहौल है। स्थानीय ग्रामीणों में ससुराल पक्ष को लेकर भारी गुस्सा है। लोग कह रहे हैं कि एक गर्भवती महिला की जान लेना न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि समाज की उस सड़ती सोच का प्रतिबिंब है जिसमें दहेज के लिए बेटी की हत्या को सामान्य समझा जाता है।
दहेज हत्या पर फिर से उठे सवाल
यह घटना फिर एक बार समाज के सामने दहेज प्रथा की वीभत्सता को उजागर करती है। एक शिक्षित और आधुनिक कहे जाने वाले समाज में आज भी बेटियों को दहेज के लिए मारा जाना बेहद शर्मनाक है। सहिना जैसे अनेक मामले देशभर में सामने आते हैं, लेकिन न्याय की प्रक्रिया लंबी और धीमी होने के कारण कई बार पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं मिल पाता। सहिना खातून की मौत एक दर्दनाक उदाहरण है कि दहेज प्रथा आज भी हमारे समाज में कितनी गहराई से जड़ें जमाए हुए है। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि कानून होने के बावजूद सामाजिक जागरूकता और न्यायिक सख्ती की अब भी बेहद आवश्यकता है। यदि समय रहते दोषियों को सज़ा न मिली तो ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाएंगी। समाज, प्रशासन और न्याय प्रणाली को मिलकर इस कुप्रथा को खत्म करने की दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे।
