September 17, 2025

छात्र नेता सुजीत पासवान के नेतृत्व में BHU डेलीगेशन दिल्ली पहुँचा, छात्रों की आवाज़ को संसद तक पहुँचाया

नई दिल्ली। काशी हिंदू विश्ववि‌द्यालय (BHU) के छात्र नेता सुजीत पासवान, जो बिहार के सीमांचल क्षेत्र के किशनगंज जिला से आते हैं, ने विश्ववि‌द्यालय में चल रहे विभिन्न छात्रहित से जुड़े मुद्दों को लेकर एक अहम पहल की है। सुजीत पासवान के नेतृत्व में BHU के छात्र प्रतिनिधियों की एक टीम दिल्ली पहुँची और देश के कई सांसदों से मुलाकात कर समस्याओं से अवगत कराया। सुजीत पासवान, जो सीमांचल जैसे पिछड़े और उपेक्षित क्षेत्र से आते हैं, लगातार छात्र अधिकारों की आवाज़ बनकर उभरे हैं। दिल्ली यात्रा के दौरान उन्होंने सांसदों को विश्ववि‌द्यालय में छात्रों के सामने आ रही समस्याएं जैसे काशी हिंदू विश्ववि‌द्यालय के सर सुन्दरलाल अस्पताल और ट्रामा सेंटर के चल रहें अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार, छात्रावास की कमी, लैब्स और स्टुडियों, डिजिटल रिसोर्सेज, छात्रों के सुविधाओं का अभाव, नयी शिक्षा नीति में छात्रों की भागीदारी, और आरक्षण नीति के सही क्रियान्वयन के बारे में विस्तार से बताया। BHU डेलीगेशन की टीम ने जंतर-मंतर पर धरना देने की भी योजना बनाई थी, ताकि छात्रों की आवाज़ को सार्वजनिक रूप से उठाया जा सके। लेकिन दिल्ली प्रशासन से अनुमति न मिलने के कारण यह प्रदर्शन स्थगित करना पड़ा। सुजीत पासवान ने कहा, हम छात्रों की समस्याओं को संसद के दरवाजे तक ले गए हैं। हम कोई राजनीतिक स्वार्थ नहीं बल्कि छात्र हित की बात कर रहे हैं। अगर हमारी बातें नहीं सुनी गई, तो हम देशभर के विश्ववि‌द्यालयों के छात्रों को जोड़कर एक बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे। सुजीत पासवान, जो स्वयं सीमांचल के सबसे पिछड़े जिलों में गिने जाने वाले किशनगंज से आते हैं, आज BHU में न सिर्फ छात्रों के प्रतिनिधि हैं, बल्कि वह बिहार के युवा नेतृत्व का प्रतीक बनते जा रहे हैं। जाति, वर्ग और क्षेत्रीय असमानता से लड़ते हुए उन्होंने यह दिखा दिया कि एक सामान्य पृष्ठभूमि से भी राष्ट्रीय विमर्श में भागीदारी संभव है। BHU के कई छात्रों और शिक्षकों का मानना है कि सुजीत की सोच पारंपरिक छात्र राजनीति से अलग है। वे नारेबाजी या टकराव की राजनीति नहीं करते, बल्कि तथ्य, संवाद और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि उनके नेतृत्व में छात्रों की आवाज़ संसद भवन तक पहुँची।बिहार में लंबे समय से युवा नेतृत्व की कमी की चर्चा होती रही है। ऐसे में सुजीत पासवान जैसे शिक्षित, दूरदर्शी और जमीनी नेता की उपस्थिति राज्य की राजनीति में नई ऊर्जा का संकेत है। सीमांचल, दलित, पिछड़े और ग्रामीण समुदायों की आवाज़ बनते सुजीत में लोग राजनीतिक संभावनाओं को देखने लगे हैं। मैं छात्र नेता हूँ, लेकिन मेरा सपना है कि हर गरीब और पिछड़े घर के बच्चे को वही शिक्षा, वही मंच और वही सम्मान मिले जो देश के बड़े शहरों में जन्मे युवाओं को मिलता है। उनकी यह सोच ही उन्हें छात्र नेता से सामाजिक नेता और संभावित जनप्रतिनिधि के रूप में स्थापित करती है। अब यह देखना होगा कि BHU के छात्र प्रतिनिधियों की इस मुहिम का क्या असर होता है और क्या सरकार तथा विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की मांगों पर गंभीरता से विचार करता है या नहीं।

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