December 7, 2025

आईआरसीटीसी घोटाले में 5 अगस्त को फैसला: आदेश सुरक्षित, अदालत पर टिकी निगाहें

नई दिल्ली/पटना। आईआरसीटीसी होटल घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को इस चर्चित मामले में फैसला सुनाने की बजाय अगली तारीख घोषित कर दी है। अब 5 अगस्त को कोर्ट में अगली सुनवाई होगी। अदालत ने इससे पहले 29 मई को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। अब सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं।
क्या है आईआरसीटीसी घोटाला
यह मामला 2005-06 के दौर से जुड़ा है, जब लालू प्रसाद यादव देश के रेल मंत्री थे। उस समय रेलवे के तहत आने वाले पुरी और रांची के बीएनआर होटल को आईआरसीटीसी को ट्रांसफर किया गया था। इन होटलों के रख-रखाव और मरम्मत के लिए इन्हें निजी कंपनियों को लीज पर देने का निर्णय लिया गया।
टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप
सीबीआई के अनुसार, होटल लीज पर देने की प्रक्रिया में भारी अनियमितता की गई। टेंडर मेसर्स सुजाता होटल्स नामक कंपनी को दिया गया, जो विनय कोचर और विजय कोचर की थी। इस प्रक्रिया में हेराफेरी कर कोचर बंधुओं को फायदा पहुंचाया गया। सीबीआई के आरोप के मुताबिक, इसके बदले में लालू यादव के परिवार को तीन एकड़ जमीन पटना में मिली।
जमीन का लेन-देन और नया विवाद
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कोचर बंधुओं ने यह जमीन सरला गुप्ता की कंपनी को बेची थी। बाद में इस कंपनी की कमान लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव की कंपनी के पास आ गई। इसी जमीन पर बिहार का सबसे बड़ा मॉल बनने की योजना थी।
सीबीआई की कार्रवाई और छापेमारी
17 जुलाई 2017 को सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव समेत पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर के बाद विनय कोचर समेत अन्य आरोपियों के 12 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। इस दौरान कई दस्तावेज और अहम सबूत जब्त किए गए थे। इस केस में लालू प्रसाद यादव को साल 2019 में जमानत मिल चुकी है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें और राबड़ी देवी को जमानत दी थी।
फैसले पर टिकी निगाहें
अब सभी की नजरें 5 अगस्त को आने वाले फैसले पर टिकी हैं। अगर अदालत सीबीआई के सबूतों और गवाहों को पर्याप्त मानती है तो आरोपियों को दोषी ठहराया जा सकता है। इस स्थिति में दोषियों को अधिकतम सात साल तक की सजा हो सकती है। वहीं, अगर सबूत कमजोर पाए जाते हैं तो आरोपियों को राहत भी मिल सकती है।
तेजस्वी यादव पर भी नजर
इस मामले में तेजस्वी यादव की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। चूंकि जमीन उनके परिवार की कंपनी के पास गई थी, ऐसे में उनकी भूमिका पर भी अदालत नजर रखेगी। राजनीतिक दृष्टि से यह मामला तेजस्वी यादव के लिए भी काफी अहम माना जा रहा है।
राजनीतिक समीकरणों पर असर
यह घोटाला केवल अदालत के फैसले तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर बिहार की राजनीति पर भी पड़ सकता है। लालू यादव पहले से ही चारा घोटाले के कारण सजा भुगत चुके हैं और अब आईआरसीटीसी मामले में फैसला उनके परिवार के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
जनता और राजनीतिक दलों की नजर
जनता के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों की नजर इस पर टिकी है कि कोर्ट इस बार क्या निर्णय सुनाती है। अगर फैसला लालू परिवार के खिलाफ जाता है तो विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का बड़ा मुद्दा मिल सकता है। वहीं, अगर अदालत आरोपियों को बरी कर देती है तो यह आरजेडी और लालू परिवार के लिए बड़ी राहत होगी।
फैसले के बाद अगला कदम
अगर अदालत किसी को दोषी ठहराती है तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हाईकोर्ट या निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी जा सकती है। ऐसे में फैसला जो भी हो, यह मामला जल्द खत्म होने वाला नहीं है और आने वाले समय में बिहार की राजनीति में इसकी गूंज सुनाई देती रहेगी।

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