मुजफ्फरपुर में बेकरी फैक्ट्री के संचालक में की आत्महत्या, घर के किचन में मिली लाश, सुसाइड नोट बरामद

मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक बेकरी फैक्ट्री संचालक ने आत्महत्या कर ली। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए असहनीय पीड़ा बन गई, बल्कि समाज के लिए भी यह सोचने का विषय है कि मानसिक तनाव और अवसाद किस हद तक इंसान को तोड़ सकता है।
घर के किचन में मिला शव
घटना रविवार देर रात की है, जब मुजफ्फरपुर के तिलक मैदान रोड स्थित एजाजी मार्केट के पास रहने वाले कुर्बान अली ने अपने घर के किचन में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। कुर्बान इस्लामपुर में एक बेकरी फैक्ट्री के संचालक थे। घटना के वक्त घर के सभी सदस्य अपने-अपने कार्यों में व्यस्त थे। इसी बीच उन्होंने एकांत का लाभ उठाकर आत्मघाती कदम उठा लिया।
पत्नी की चीख से मचा हड़कंप
कुछ देर बाद जब उनकी पत्नी किचन में पहुंचीं तो कुर्बान को फंदे से झूलता हुआ देखकर दहाड़ मारकर रोने लगीं। उनकी चीख सुनकर आसपास के लोग एकत्रित हो गए। आनन-फानन में पुलिस को सूचना दी गई। हालांकि पुलिस के पहुंचने से पहले ही परिजनों ने शव को फंदे से उतार कर बैडरूम में रख दिया था।
सुसाइड नोट से खुला मानसिक कष्ट का राज
नगर थाना पुलिस जब मौके पर पहुंची तो उन्होंने कुर्बान अली के कमरे की तलाशी ली। इस दौरान एक सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें उन्होंने अपनी आत्महत्या की वजह बताई थी। पत्र में लिखा था— “मैं, कुर्बान अली अपनी परेशानी और तनाव भरी जिंदगी से ऊब चुका हूं। मुझे बहुत तकलीफ है। मैं अपनी मर्जी से आत्महत्या कर रहा हूं।” यह सुसाइड नोट इस ओर संकेत करता है कि वे लंबे समय से गहरे मानसिक तनाव से गुजर रहे थे।
एफएसएल टीम ने किया साक्ष्य संग्रह
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा और घटनास्थल पर एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) की टीम को बुलाया गया। टीम ने मौके से कई साक्ष्य एकत्र किए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मामला आत्महत्या का ही है या फिर इसके पीछे कोई अन्य कारण छुपा है।
मौत पर उठ रहे सवाल
पुलिस की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, कुर्बान की गर्दन के चारों ओर गहरे काले निशान थे और उनकी हाथ की मुट्ठी खुली हुई पाई गई। आमतौर पर फांसी के मामलों में गर्दन पर ‘यू’ या ‘वी’ आकार का निशान बनता है, लेकिन यहां यह स्पष्ट नहीं था। इस तथ्य ने आत्महत्या की थ्योरी पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि पुलिस फिलहाल इसे आत्महत्या का मामला मान रही है, लेकिन गहराई से जांच जारी है।
परिवार में मातम, बच्चे अनभिज्ञ
कुर्बान अली के तीन बच्चे हैं— दो बेटियां और एक बेटा। पत्नी गृहिणी हैं और पूरी तरह से घरेलू जिम्मेदारियों में लगी रहती थीं। परिजनों और पड़ोसियों के अनुसार, कुर्बान पिछले कुछ समय से काफी परेशान रहते थे, लेकिन उन्होंने कभी खुलकर कुछ नहीं बताया। यह घटना एक बार फिर यह बताती है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में कितनी उदासीनता है। एक व्यक्ति जो बाहर से सामान्य जीवन जीता दिखाई देता है, भीतर से कितना टूटा हुआ हो सकता है—यह हमें नहीं दिखता। ऐसे मामलों में पारिवारिक संवाद, सामाजिक सहयोग और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान अत्यंत आवश्यक है। कुर्बान अली की आत्महत्या केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी है।
