एआइएमआइएम ने आरजेडी को दिया जवाब, कहा- हमारी उदारता को कमजोरी न समझे, अब हम थर्ड फ्रंट पर लड़ेंगे

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर राजनीतिक हलचलें तेज हो चुकी हैं। हाल ही में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा महागठबंधन में शामिल होने के लिए आरजेडी को भेजे गए प्रस्ताव को आरजेडी ने सार्वजनिक रूप से खारिज कर दिया। इस प्रस्ताव में ओवैसी ने सेक्युलर वोटों को एकजुट करने की अपील करते हुए साझा रणनीति की बात की थी।
आरजेडी का सख्त जवाब
आरजेडी की ओर से सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने ओवैसी के प्रस्ताव को यह कहकर नकार दिया कि उनकी पार्टी का जनाधार बिहार में नहीं है, बल्कि वह केवल हैदराबाद तक सीमित है। मनोज झा ने कहा कि कभी-कभी चुनाव न लड़ना ही किसी को हराने में सबसे बड़ा योगदान हो सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर वास्तव में बीजेपी जैसी ताकतों से लड़ना है, तो बिहार की राजनीति में हस्तक्षेप से बचना होगा।
एआईएमआईएम का पलटवार: थर्ड फ्रंट की घोषणा
आरजेडी की प्रतिक्रिया के बाद एआईएमआईएम भी चुप नहीं रही। प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने पलटवार करते हुए कहा कि उनकी पार्टी की राजनीतिक उदारता को कमजोरी समझना एक बड़ी भूल होगी। उन्होंने साफ कर दिया कि अगर उनका प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया है तो वे बिहार में थर्ड फ्रंट बनाकर चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए अन्य दलों से बातचीत जारी है और सभी संभावनाओं के दरवाजे खुले हुए हैं।
कांग्रेस और जदयू की प्रतिक्रिया
इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने चुप्पी साधते हुए कहा कि यह मामला जिन दो दलों के बीच है, उन्हीं को इसका जवाब देना चाहिए। वहीं जेडीयू के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस पर तंज कसा कि ओवैसी को अपने पुराने बयानों पर कायम रहना चाहिए और उन्हें याद रखना चाहिए कि राजद ने उनके चार विधायकों को तोड़ लिया था। नीरज कुमार ने यह भी कहा कि लालू प्रसाद यादव की राजनीति में कोई गठबंधन बिना फायदे के नहीं होता।
बिहार चुनाव की सियासी तस्वीर हो रही साफ
बिहार में इस नए घटनाक्रम ने चुनावी समीकरणों को और अधिक जटिल बना दिया है। अब मुकाबला केवल महागठबंधन और एनडीए तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि एआईएमआईएम के थर्ड फ्रंट और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी राजनीतिक बिसात पर अपनी चालें चलने को तैयार हैं।
वोटों के बंटवारे का डर
विश्लेषकों का मानना है कि अगर एआईएमआईएम बिहार में अकेले या अन्य छोटे दलों के साथ थर्ड फ्रंट बनाकर चुनाव लड़ती है, तो इसका असर सीधा-सीधा महागठबंधन के वोट बैंक पर पड़ सकता है। खासकर सीमांचल और मुस्लिम बहुल इलाकों में यह नुकसानदायक साबित हो सकता है, जहां एआईएमआईएम की कुछ पकड़ मानी जाती है।
आगामी चुनाव में बहुकोणीय मुकाबले की संभावना
अब यह लगभग तय माना जा रहा है कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय नहीं, बल्कि चतुष्कोणीय होगा। एनडीए, महागठबंधन, एआईएमआईएम के नेतृत्व में संभावित थर्ड फ्रंट और जन सुराज—ये चार ध्रुव सियासी मैदान में उतरेंगे। इससे मतदाताओं के लिए विकल्प बढ़ जाएंगे लेकिन साथ ही संभावित गठबंधन सरकार की ज़रूरत भी बढ़ेगी।
अगला कदम महत्वपूर्ण होगा
अब सभी की नजरें एआईएमआईएम की अगली रणनीति और उनके थर्ड फ्रंट में शामिल होने वाले दलों पर टिकी हैं। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि बिहार की राजनीति किस दिशा में जा रही है और किस गठबंधन को कितना लाभ या नुकसान होगा। इतना तय है कि आने वाला चुनाव सिर्फ नीतियों का नहीं, बल्कि रणनीतिक धैर्य और सियासी संतुलन का भी इम्तिहान होगा।

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