लालू का नीतीश और मोदी पर हमला, कहा- चुनाव में अब वे झूठे वादों की करेंगे होम डिलीवरी, कसा तंज़

पटना। बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनाव 2025 की दस्तक के साथ ही राजनीतिक बयानबाजी और पोस्टर वॉर तेज हो गया है। इस बार चुनावी मैदान में सिर्फ रैलियां और घोषणाएं ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया भी हथियार बना हुआ है। इसी क्रम में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर अपनी चिरपरिचित व्यंग्यात्मक शैली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा हमला बोला है।
सोशल मीडिया पर तंजभरी तस्वीर साझा
लालू यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक तस्वीर साझा की जिसमें नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी डिलीवरी बॉय की ड्रेस में नजर आ रहे हैं। तस्वीर में एक के बैग पर “अच्छे दिन” और दूसरे के डिब्बे पर “विशेष राज्य का दर्जा” लिखा गया है। तस्वीर के ऊपर कैप्शन में कहा गया है कि “झूठे वादों की फ्री डिलीवरी की बिहार की गलियों में डिलीवरी बॉय देखे गए हैं, 10 साल से डिलीवरी पेंडिंग है, लेकिन दोनों कह रहे हैं ऑर्डर तो कॉन्फ़िडेंट है!”
वादों की पेंडिंग डिलीवरी पर सवाल
लालू यादव का यह तंज 2014 से अब तक किए गए उन वादों की ओर संकेत करता है, जिन पर अब तक अमल नहीं हुआ है। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “अच्छे दिन” का नारा हो या बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग, बेरोजगारी, शिक्षा सुधार, कृषि और औद्योगिक विकास जैसे वादे शामिल हैं। लालू यादव ने इन सभी को “ऑर्डर पेंडिंग” बताते हुए सरकार पर सिर्फ प्रचार और जुमलों की राजनीति करने का आरोप लगाया।
नीतीश कुमार का बार-बार पाला बदलना भी निशाने पर
लालू यादव के व्यंग्य का निशाना सिर्फ केंद्र सरकार ही नहीं, बल्कि नीतीश कुमार की राजनीति का ढुलमुल रवैया भी रहा। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से नीतीश के एनडीए से बार-बार बाहर आने और फिर लौटने को “राजनीतिक भ्रम” करार दिया। इस पोस्ट में बिहार के मौजूदा नेतृत्व की नीतियों को नाकाफी बताते हुए राजद की ओर से लोगों को यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि एनडीए सरकार अपने वादों को पूरा करने में विफल रही है।
राजनीतिक रणनीति के तहत सोशल मीडिया का इस्तेमाल
लालू यादव की यह पोस्ट केवल मजाक के तौर पर नहीं बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। चुनावी दौर में सोशल मीडिया अब महज संवाद का जरिया नहीं, बल्कि मतदाताओं को प्रभावित करने का सशक्त माध्यम बन चुका है। युवाओं और डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपभोक्ताओं को साधने के लिए राजनीतिक दल अब परंपरागत प्रचार के साथ-साथ डिजिटल व्यंग्य और मीम्स का सहारा ले रहे हैं।
समर्थकों और विरोधियों की प्रतिक्रिया
राजद समर्थकों ने इस पोस्ट को “सटीक” और “माहौल बनाने वाला” बताया है, वहीं एनडीए समर्थकों ने इसे “बचकाना” और “पुराने ढर्रे की राजनीति” कहा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लालू यादव का यह तंज ऐसे समय पर आया है जब एनडीए खुद को एकजुट दिखाने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में जदयू कार्यालय में प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार की एक साथ तस्वीरें भी लगाई गई हैं, जिससे एनडीए के भीतर एकता का संदेश देने की कोशिश की गई थी।
चुनावी माहौल का संकेत
लालू यादव की पोस्ट इस ओर भी इशारा करती है कि बिहार में चुनावी बिसात बिछ चुकी है और सभी दल अपने-अपने तरीकों से जनता तक पहुंचने की तैयारी में लग चुके हैं। अब चुनावी राजनीति सिर्फ मंचों तक सीमित नहीं रही, बल्कि सोशल मीडिया पर सक्रियता भी मतदाताओं को प्रभावित करने का जरिया बन चुकी है। लालू यादव का यह व्यंग्यात्मक हमला सिर्फ एक तंज नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने अपने अंदाज में नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की कथित नाकामियों को उजागर करने की कोशिश की है। यह बताने की कोशिश है कि जनता को अब तक जो वादे किए गए, वे आज भी अधूरे हैं। आने वाले समय में यह साफ होगा कि यह डिजिटल रणनीति कितना असर डालती है, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि बिहार में चुनावी माहौल पूरी तरह गर्म हो चुका है।

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