शुभांशु शुक्ला एक्सियम मिशन-4 के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन रवाना, कैप्सूल में भरी उडान

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज 25 जून को एक्सियम मिशन-4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुए। इस ऐतिहासिक मिशन की लॉन्चिंग नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के माध्यम से हुई। शुभांशु इस मिशन के पायलट हैं और उनके साथ तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी गए हैं।
पहली बार निजी मिशन में भारतीय एस्ट्रोनॉट
यह मिशन एक्सियम स्पेस और नासा के सहयोग से किया गया एक प्राइवेट स्पेस मिशन है। शुभांशु ऐसे पहले भारतीय हैं जो किसी निजी मिशन में ISS तक जा रहे हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत स्पेस मिशन के तहत अंतरिक्ष गए थे। इस तरह शुभांशु भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री और पहले निजी अंतरिक्ष यात्री बने हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा की है।
लखनऊ से अंतरिक्ष तक का सफर
शुभांशु शुक्ला का जन्म 1986 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से पढ़ाई की और 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए। उनके पास फाइटर जेट उड़ाने का लंबा अनुभव है। अंतरिक्ष मिशन के लिए उन्हें रूस और अमेरिका में विशेष प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए भी चुना गया है जो 2027 में प्रस्तावित है।
14 दिनों की अंतरिक्ष यात्रा और 12 महत्वपूर्ण प्रयोग
शुभांशु अंतरिक्ष स्टेशन पर कुल 14 दिन बिताएंगे। इस दौरान वे 12 प्रयोगों में हिस्सा लेंगे, जिनमें से 7 भारत के शैक्षणिक संस्थानों द्वारा विकसित हैं। ये प्रयोग मुख्यतः जैविक होंगे जैसे कि अंतरिक्ष में मानव स्वास्थ्य और जीवों पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन। साथ ही, नासा के साथ भी 5 संयुक्त प्रयोग किए जाएंगे जो भविष्य के दीर्घकालीन स्पेस मिशनों के लिए जरूरी डेटा जुटाएंगे।
मिशन पर भारत का निवेश और उम्मीदें
भारत सरकार ने इस मिशन पर करीब 548 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसमें शुभांशु और उनके बैकअप प्रशांत नायर की ट्रेनिंग, उपकरण, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की लागत शामिल है। इस अनुभव से गगनयान मिशन को महत्वपूर्ण मदद मिलेगी क्योंकि अंतरिक्ष में व्यवहार, उपकरण संचालन और इमरजेंसी प्रबंधन जैसे पहलुओं की टेस्टिंग इस मिशन में हो रही है।
अंतरिक्ष में भारतीय मिठाइयों की खास मौजूदगी
मिशन के दौरान शुभांशु अंतरिक्ष में भारतीय मिठाइयां भी ले गए हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बताया कि वह आम का रस, गाजर का हलवा और मूंग दाल का हलवा ISS पर अपने अंतरराष्ट्रीय साथियों के साथ साझा करेंगे। यह सांस्कृतिक जुड़ाव का एक अनूठा उदाहरण है।
स्पेस स्टेशन और एक्सियम मिशन की पृष्ठभूमि
ISS पृथ्वी की परिक्रमा करता एक विशाल स्पेस यान है जहां माइक्रोग्रैविटी में वैज्ञानिक अनुसंधान किए जाते हैं। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है और लगभग 28,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलता है। इसे 5 देशों की स्पेस एजेंसियों ने मिलकर बनाया है। एक्सियम स्पेस इसी स्टेशन की सहायता से भविष्य में अपना कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन भी बनाना चाहता है। शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष की ओर यह कदम केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं का प्रतीक भी है। यह मिशन आने वाले समय में भारत के स्पेस प्रोग्राम, खासकर गगनयान जैसे मानवीय मिशनों को दिशा देने वाला साबित होगा।

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