21 को मिलेगा राजद को नया प्रदेश अध्यक्ष, मंगनीलाल मंडल के नाम पर लगा सकती है मुहर, लालू करेंगे घोषणा
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर सभी राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं। एक ओर जहां एनडीए लगातार जिलों में जनसंपर्क और जनसभा जैसे कार्यक्रमों से अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं महागठबंधन और विशेषकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सांगठनिक ढांचे को नया रूप देने में जुटा हुआ है। इसी कड़ी में राजद को जल्द ही नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने वाला है।
सांगठनिक चुनाव प्रक्रिया में तेजी
राजद में सांगठनिक चुनाव तीन चरणों में चल रहा है। पहले चरण में प्राथमिक इकाई और पंचायत इकाई का चुनाव हो चुका है। दूसरे चरण में प्रखंड कमिटियों का चुनाव जारी है और तीसरे चरण में जिला कमिटी का चुनाव होना है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इन सभी प्रक्रियाओं के पूर्ण होने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की बारी है। 14 जून से इसकी प्रक्रिया शुरू होगी और 21 जून को प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा की संभावना है। 19 जून को नामांकन की प्रक्रिया पूरी होगी।
मंगनीलाल मंडल सबसे प्रबल दावेदार
प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर जिन नामों की चर्चा हो रही है, उनमें सबसे प्रमुख नाम मंगनीलाल मंडल का है। वे मधुबनी के रहने वाले हैं और अति पिछड़ा वर्ग (धानुक) से आते हैं। मंगनीलाल मंडल पूर्व में जदयू में सक्रिय थे और हाल ही में राजद में वापसी की है। वे लालू-राबड़ी सरकार में मंत्री, राज्यसभा और विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। 2019 में वे जदयू में चले गए थे लेकिन अब एक बार फिर राजद में लौट आए हैं। उनके सामाजिक आधार और अनुभव को देखते हुए माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अति पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक को मजबूत करना चाहती है।
अन्य संभावित नाम
हालांकि मंगनीलाल मंडल सबसे आगे माने जा रहे हैं, लेकिन आलोक मेहता, कुमार सरबजीत और शिवचंद्र राम के नामों पर भी विचार किया जा रहा है। पार्टी की रणनीति में सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए किसी पिछड़ा या अति पिछड़ा वर्ग के नेता को यह जिम्मेदारी देने की संभावना है।
जातिगत समीकरण और ईबीसी का प्रभाव
बिहार में हाल ही में हुए जातिगत जनगणना के अनुसार, राज्य की कुल आबादी में 36 प्रतिशत लोग अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं। इन वोटरों को साधने के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं। राजद भी इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ऐसा चेहरा सामने लाना चाहता है जो ईबीसी समाज में स्वीकार्य हो और संगठनात्मक रूप से भी मजबूत हो।
जगदानंद सिंह की विदाई तय
वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की पार्टी से दूरी और नाराजगी अब किसी से छिपी नहीं है। उपचुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन और विशेषकर अपने बेटे की हार के बाद उन्होंने पार्टी कार्यालय आना छोड़ दिया है। 25 नवंबर 2023 के बाद से वे सक्रिय रूप से किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए हैं। हालांकि उन्होंने एम्स दिल्ली में भर्ती लालू यादव से मुलाकात जरूर की थी, लेकिन यह व्यक्तिगत मुलाकात मानी गई।
इतिहास में प्रदेश अध्यक्षों की भूमिका
राजद के गठन के बाद से पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका हमेशा अहम रही है। अब देखना यह है कि अगला चेहरा कौन होता है और वह आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को कितनी मजबूती दिला पाता है। राजद के नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्सुकता बनी हुई है। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव इस पर अंतिम निर्णय लेंगे। अगर मंगनीलाल मंडल को यह जिम्मेदारी मिलती है, तो यह संदेश जाएगा कि पार्टी अति पिछड़ा वर्ग के साथ अपनी पुरानी पकड़ को फिर से मजबूत करना चाहती है। वहीं यह बदलाव राजद के सांगठनिक ढांचे को नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है।


