November 17, 2025

विशेष भूमि सर्वेक्षण में 31 मार्च तक स्व-घोषणा प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य, विभाग का निर्देश जारी

पटना। बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने राज्य में भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। इस निर्देश के अनुसार, सभी भूमि मालिकों को 31 मार्च तक स्व-घोषणा प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य किया गया है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य राज्य में भूमि रिकॉर्ड को अद्यतन करना और भविष्य में किसी भी प्रकार की कानूनी जटिलताओं से बचाव करना है।
स्व-घोषणा प्रमाण पत्र क्यों है आवश्यक?
स्व-घोषणा प्रमाण पत्र भूमि मालिकों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो यह प्रमाणित करता है कि उनके पास जो भूमि है, वह वैध रूप से उनकी ही है। यह दस्तावेज न केवल भूमि स्वामित्व को स्पष्ट करता है, बल्कि भविष्य में भूमि खरीद-बिक्री, नामांतरण और रजिस्ट्री जैसी प्रक्रियाओं को भी सरल बनाता है। अगर कोई भूमि मालिक यह प्रमाण पत्र निर्धारित समय सीमा के भीतर जमा नहीं करता है, तो भविष्य में उसे भूमि रिकॉर्ड अपडेट कराने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इससे सरकारी दस्तावेजों में जमीन का सही विवरण दर्ज नहीं हो पाएगा और कानूनी अड़चनें उत्पन्न हो सकती हैं।
सरकार का उद्देश्य और लाभ
राज्य सरकार द्वारा इस सर्वेक्षण को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य बिहार में भूमि का सही रिकॉर्ड तैयार करना है। इससे सरकारी दस्तावेजों में जमीन की सटीक जानकारी दर्ज की जा सकेगी, जिससे जमीन संबंधी विवादों को कम किया जा सकेगा। इसके अलावा, भूमि स्वामित्व से संबंधित धोखाधड़ी और अवैध कब्जों को रोकने में भी इस प्रक्रिया से मदद मिलेगी। जब सभी भूमि मालिक अपनी-अपनी संपत्तियों का सत्यापन करवा लेंगे, तो भूमि संबंधी सरकारी नीतियों को लागू करना और भी आसान हो जाएगा।
आवेदन प्रक्रिया – ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए दो तरीके उपलब्ध कराए हैं। जो लोग ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते, वे अपने नजदीकी सर्वे कार्यालय जाकर स्व-घोषणा प्रमाण पत्र जमा कर सकते हैं। विभाग ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर दस्तावेज अपलोड करने की सुविधा भी दी है, जिससे लोग घर बैठे ही यह प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। इससे उन लोगों को विशेष लाभ मिलेगा जो शहरों या दूसरे राज्यों में रह रहे हैं और सर्वे कार्यालय तक नहीं जा सकते।
समय सीमा का पालन जरूरी
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि 31 मार्च की समय सीमा का सख्ती से पालन किया जाएगा। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि अंतिम तिथि को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। इसलिए, सभी भूमि मालिकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी प्रकार की जटिलता से बचने के लिए समय रहते अपने दस्तावेज जमा कर दें।
देरी होने पर क्या हो सकते हैं दुष्परिणाम?
अगर कोई भूमि मालिक 31 मार्च तक अपना स्व-घोषणा प्रमाण पत्र जमा नहीं करता है, तो उसकी जमीन का रिकॉर्ड अधूरा रह सकता है। इसका प्रभाव भविष्य में विभिन्न कानूनी प्रक्रियाओं पर पड़ सकता है।
सभी भूमि मालिकों को सतर्क रहने की जरूरत
इस प्रक्रिया को लेकर सरकार की मंशा स्पष्ट है कि सभी भूमि मालिक अपने रिकॉर्ड को समय पर अपडेट करवा लें। यह न केवल उनकी व्यक्तिगत संपत्ति के लिए आवश्यक है, बल्कि इससे राज्य में भूमि प्रबंधन प्रणाली को भी मजबूत किया जा सकेगा। जो लोग अभी तक इस प्रक्रिया से अनजान हैं, उन्हें जल्द से जल्द अपने नजदीकी सर्वे कार्यालय या विभाग की वेबसाइट से जानकारी लेकर आवश्यक दस्तावेज जमा कर देने चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की परेशानी से बचा जा सके।

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