लोकसभा में राहुल गांधी ने उठाया वोटर लिस्ट मामला, कहा- पूरे देश में वोटर लिस्ट की गड़बड़ी, सदन में व्यापक चर्चा हो

नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दूसरे भाग की कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर गरमागरम बहस देखने को मिली। इस दौरान लोकसभा में कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पूरे देश में मतदाता सूची (वोटर लिस्ट) में गड़बड़ियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इस विषय पर पूरे विपक्ष की एक राय है और सदन में इस पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।
राहुल गांधी का लोकसभा में बयान
राहुल गांधी ने लोकसभा में बोलते हुए कहा कि देश के हर राज्य में विपक्षी दल मतदाता सूची को लेकर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से इस विषय पर चर्चा कराने की मांग की। उनका कहना था कि जब पूरे विपक्ष को इस पर आपत्ति है और जनता में भी संदेह है, तो इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। राहुल गांधी ने कहा, हम सरकार की इस बात को स्वीकार करते हैं कि मतदाता सूची बनाना सरकार का काम नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि पूरे देश में इस सूची को लेकर सवाल उठ रहे हैं। महाराष्ट्र समेत हर राज्य में विपक्ष ने एक स्वर में इस पर आपत्ति जताई है।”
राज्यसभा में कपिल सिब्बल का बयान
लोकसभा के साथ ही राज्यसभा में भी इस मुद्दे पर बहस हुई। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग सरकार के नियंत्रण में रहेगा और उसी के पक्ष में काम करता रहेगा, तो इससे लोकतंत्र की नींव कमजोर हो जाएगी। कपिल सिब्बल ने कहा, अगर चुनाव आयोग सरकार के लिए पैरवी करता रहेगा, तो चुनावों के नतीजे क्या होंगे, यह सबके सामने है। यदि यही व्यवस्था बनी रही, तो इसे लोकतंत्र नहीं कहा जा सकता, बल्कि यह सिर्फ दिखावा होगा। हमें कई वर्षों से इस पर शक रहा है। जमीन पर क्या हो रहा है, यह सभी जानते हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है।
विपक्ष की मांग और सरकार का पक्ष
विपक्ष ने मांग की है कि सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और सदन में व्यापक चर्चा करानी चाहिए। विपक्ष का मानना है कि अगर मतदाता सूची में गड़बड़ियां हैं, तो इससे चुनावी प्रक्रिया पर असर पड़ेगा और देश के लोकतंत्र पर सवाल उठेंगे। हालांकि, सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया कि मतदाता सूची चुनाव आयोग द्वारा तैयार की जाती है, न कि सरकार द्वारा। सरकार ने विपक्ष की चिंताओं को सुना लेकिन अभी तक इस विषय पर किसी चर्चा के लिए हामी नहीं भरी है।
मतदाता सूची की पारदर्शिता क्यों जरूरी है
मतदाता सूची लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। यदि इसमें गड़बड़ी होती है, तो यह चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर सकती है। विपक्ष का आरोप है कि कई स्थानों पर मतदाता सूची से कुछ नाम हटा दिए गए हैं, जबकि कुछ स्थानों पर डुप्लिकेट एंट्री या अनियमितताएं देखने को मिली हैं। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह मतदाता सूची को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए। इसीलिए विपक्ष इस मुद्दे को गंभीरता से उठा रहा है और चाहता है कि इस पर संसद में बहस हो ताकि कोई समाधान निकाला जा सके।
मतदाता सूची में कुछ खामियां हैं: टीएमसी
इससे पहले, तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने कहा कि मतदाता सूची में कुछ खामियां हैं और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि मुर्शिदाबाद और बर्दवान संसदीय क्षेत्रों और हरियाणा में एक ही ईपीआईसी (चुनावी फोटो पहचान पत्र) संख्या वाले मतदाता मौजूद हैं। टीएमसी ने कहा कि तृणमूल का एक प्रतिनिधिमंडल मतदाता सूची पर चिंताओं को उठाने के लिए नवनियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त से मिल रहा है। उन्होंने मतदाता सूचियों में व्यापक संशोधन की भी मांग की, खास तौर पर अगले साल पश्चिम बंगाल और असम में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले।
चुनाव आयोग को देश को जवाब देना चाहिए: सौगत रॉय
सौगत रॉय ने दावा किया, ‘कुछ गंभीर खामियां हैं। महाराष्ट्र के मामले में यह बात कही गई है, जहां मतदाता सूचियों में गड़बड़ी की गई थी। हरियाणा में भी इस बात की ओर ध्यान दिलाया गया। अब वे पश्चिम बंगाल और असम में भी घुसने की कोशिश कर रहे हैं, जहां अगले साल चुनाव होने हैं।’ तृणमूल नेता ने कहा, ‘पूरी मतदाता सूचियों में व्यापक संशोधन किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग को देश को जवाब देना चाहिए कि सूचियों में कुछ गलतियां क्यों हुईं।’ राहुल गांधी और विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए इस मुद्दे ने मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। जहां विपक्ष ने इसके पारदर्शी न होने पर सवाल उठाए हैं, वहीं सरकार इसे चुनाव आयोग का मामला बताकर पल्ला झाड़ रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या संसद में इस मुद्दे पर कोई ठोस चर्चा होती है या फिर यह भी अन्य राजनीतिक मुद्दों की तरह महज बहस तक ही सीमित रह जाएगा।
