November 18, 2025

सम्राट चौधरी ने नीतीश से मुख्यमंत्री आवास में की मुलाकात, मंत्रिमंडल विभागों के बंटवारे पर हुई चर्चा

पटना। बिहार में हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। बुधवार को हुए कैबिनेट विस्तार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 7 नए विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। इसके ठीक एक दिन बाद, गुरुवार को बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करने मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि इसमें मंत्रियों के विभागों के बंटवारे को लेकर चर्चा हुई। कैबिनेट विस्तार के बाद अब विभागों के नए सिरे से बंटवारे की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कई पुराने मंत्रियों के विभागों में बदलाव किया जा सकता है, जबकि कुछ नए मंत्रियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं। ऐसी भी अटकलें हैं कि कुछ मंत्रियों से उनके वर्तमान विभाग छीने जा सकते हैं और नए चेहरों को अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच हुई इस बैठक में इन सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। उम्मीद जताई जा रही है कि गुरुवार को ही विभागों के बंटवारे की आधिकारिक घोषणा कर दी जाएगी और नए मंत्री अपने-अपने पदभार संभाल लेंगे। इस कैबिनेट विस्तार में भाजपा कोटे से जिन 7 विधायकों को मंत्री बनाया गया है, उनमें कई नए चेहरे शामिल हैं। भाजपा नेतृत्व ने इस विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है, जिससे पार्टी को आगामी चुनावों में राजनीतिक फायदा मिल सके। वहीं, जदयू और भाजपा के बीच सीटों के अनुपात के आधार पर ही मंत्रियों का चयन किया गया है। कैबिनेट विस्तार और विभागों के बंटवारे को लेकर भाजपा और जदयू के बीच राजनीतिक समन्वय पर भी नजर रखी जा रही है। भाजपा चाहती है कि उसे राज्य सरकार में पर्याप्त भागीदारी मिले, जबकि नीतीश कुमार अपनी पार्टी जदयू के संतुलन को बनाए रखना चाहते हैं। यही कारण है कि दोनों दलों के शीर्ष नेता आपसी सहमति से विभागों का बंटवारा कर रहे हैं। कुछ पुराने मंत्रियों के विभाग बदले जा सकते हैं, जबकि कुछ को पूरी तरह से मंत्रिमंडल से बाहर किया जा सकता है। यह बदलाव नीतीश सरकार के आगामी रणनीतिक फैसलों और भाजपा-जदयू गठबंधन के भीतर संतुलन साधने के लिए किया जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बिहार में इस नए कैबिनेट विस्तार से सत्तारूढ़ गठबंधन अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। जदयू और भाजपा दोनों दलों को आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बनानी होगी, क्योंकि बिहार की राजनीति में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विभागों का बंटवारा किस तरह करते हैं और किन नेताओं को कौन-कौन से विभाग मिलते हैं। साथ ही, यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और जदयू के बीच राजनीतिक समन्वय कितना मजबूत रहता है। मंत्रियों के विभागों का बंटवारा होते ही बिहार सरकार अपने नए स्वरूप में काम करना शुरू कर देगी, जिससे आगामी चुनावों के लिए सरकार की दिशा और नीयत स्पष्ट होगी।

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