भाजपा विधायक कुमार शैलेंद्र ने अपनी पार्टी के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा- दलाली और आगे पीछे नहीं की इसलिए मंत्री नहीं बना

पटना। बिहार की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब बिहपुर विधानसभा से भाजपा विधायक ई. कुमार शैलेंद्र ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ नाराजगी जाहिर की। उन्होंने खुलकर कहा कि उन्हें मंत्री इसलिए नहीं बनाया गया क्योंकि वे किसी की दलाली नहीं करते और न ही किसी के पीछे-पीछे घूमते हैं। यह बयान तब आया जब हाल ही में बिहार में नीतीश कुमार की सरकार के कैबिनेट का विस्तार किया गया, जिसमें भाजपा के 7 नए मंत्री बनाए गए, लेकिन कुमार शैलेंद्र को जगह नहीं मिली।
मंत्री पद न मिलने पर छलका विधायक का दर्द
मंत्री पद की दौड़ से खुद को अलग बताते हुए विधायक शैलेंद्र ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्होंने कभी मंत्री बनने के लिए किसी के आगे-पीछे दौड़ नहीं लगाई और न ही किसी तरह की दलाली की। उन्होंने अपने बयान में कहा हम मंत्री पद के लिए नहीं भागते, हम किसी के पीछे नहीं घूमते, दलाली नहीं करते, इसलिए हमें मंत्री नहीं बनाया गया।” उनका यह बयान भाजपा के अंदर गहराते असंतोष को दिखा रहा है, क्योंकि पहले से ही कई विधायक मंत्री पद से वंचित रहने को लेकर नाराज बताए जा रहे हैं।
भाजपा नेतृत्व पर उठाए सवाल
ई. कुमार शैलेंद्र ने अपनी उपेक्षा को लेकर भाजपा नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि भागलपुर प्रमंडल को इस बार के कैबिनेट विस्तार में पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने इस बात पर भी असंतोष जताया कि उनकी जगह गोपाल मंडल को सचेतक पद दिया गया, जबकि उन्हें न सिर्फ मंत्री पद से दूर रखा गया, बल्कि सचेतक पद से भी हटा दिया गया। उन्होंने कहा “आखिर इसमें हमारी क्या गलती है?
विकास को बताया प्राथमिकता
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मंत्री बनना उनकी प्राथमिकता नहीं है, बल्कि उनका असली उद्देश्य क्षेत्र की जनता की सेवा करना है। उन्होंने कहा “अगर मंत्री बन भी जाते, तो सिर्फ रुतबा बढ़ता, लेकिन मेरी असली पहचान मेरे क्षेत्र के लोग हैं। मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि क्षेत्र का विकास होता रहे।”* उनके इस बयान से यह साफ जाहिर होता है कि वे अपनी राजनीतिक उपेक्षा को लेकर नाराज तो हैं, लेकिन वे जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को प्राथमिकता देते हैं।
भाजपा के अंदरूनी असंतोष को बढ़ा सकता है यह बयान
भाजपा में पहले से ही कई विधायक मंत्री पद से वंचित रहने को लेकर नाखुश बताए जा रहे हैं। ऐसे में ई. कुमार शैलेंद्र का यह बयान पार्टी के अंदरूनी असंतोष को और बढ़ा सकता है। पार्टी नेतृत्व को अब यह तय करना होगा कि वे अपने नाराज विधायकों को कैसे संतुष्ट करेंगे। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह असंतोष भाजपा के अंदर किसी बड़े राजनीतिक बदलाव का संकेत दे सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा नेतृत्व इस मुद्दे को कैसे सुलझाता है। क्या पार्टी नाराज विधायकों को मनाने के लिए कोई कदम उठाएगी या यह नाराजगी पार्टी के लिए भविष्य में कोई मुश्किल खड़ी करेगी? बिहार की राजनीति में यह बयान जरूर एक नई बहस को जन्म दे चुका है और आने वाले समय में इसके राजनीतिक निहितार्थ देखने को मिल सकते हैं।
