बिहटा बाबा बिहटेश्वरनाथ मंदिर मे मात्र एक लोटा जलाभिषेक से पूरी होती है मन्नत, महाशिवरात्रि पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
बिहटा, (मोनू कुमार मिश्रा)। देश के चार प्रख्यात चर्तुमुखी शिवलिंग में से एक है बिहटा के बाबा बिटेश्वर नाथ ।लोगो का मानना है जहाँ मात्र एक लोटा जलाभिषेक से मन की सारी मुरादे पूरी होती है।महाशिवरात्रि के अवसर पर सुबह से जलाभिषेक और आयोजित विशेष पूजा में भाड़ी संख्या में महिला पुरुष भक्तों की जुटान होती हैं। दूर-दूर से हजारो भक्तो का आगमन होता है।बाबा का मंदिर काफी पौराणिक होने के कारण उनकी भवन भी काफी जर्जर होने के कारण मंदिर का नवनिर्माण कार्य करोड़ो रुपये की लागत से प्रारंभ की गयी है। चारो तरफ मंदिर का नवनिर्माण का कार्य ज़ोरशोर से प्रराम्भ है। महाशिवरात्रि पर बिहटा बाबा बिहटेश्वर नाथ मंदिर मे हज़ारों की संख्या मे भक्तो की भीड़ की आगमन को लेकर उनकी सुविधा को देखते हुये विशेष तैयारी की गयी है। वही बाबा पर जलाभिषेक करने वाले भक्तो के लिय मुफ्त मे चाय – नींबू चीनी की शर्बत की व्यवस्था की भी व्यवस्था की गयी है। वही मंदिर कमिटी के सदस्यों ने बतलाया की बाबा की महता काफी दूर दराज तक है। भक्तो का मानना है की बाबा पर मात्र एक लोटा जलाभिषेक से मन की सारी मनोकामना पूर्ण होती है। भक्तो की अपार भीड़ उमड़ने के कारण मंदिर के गर्भ मे सुबह चार बजे पुजा करने के बाद भक्तो के सुविधा के लिय पट खोल दिया जाता है। विगत सैंकड़ो साल पुर्व महाभारत काल में पाण्डव की आज्ञातवास में सोन तटवर्ती क्षेत्र होने के कारण महाराजा वानभट् के द्वारा इस शिवलिंग की स्थापना होने का जिक्र है।कलांतर में सोन नदी की कटाव होने के कारण यह मंदिर भू- गर्भ में चला गया था। पुनः इसकी स्थापना क्षेत्र के बिहटा के बिष्णुपुरा गांव निवासी सह सह बाबा भोले की पुजारी गरीबा राय को यह स्वप्न हुआ की वर्षो पुर्व स्थापित शिवलिंग भू- गर्भ में पड़ा हूँ।हमें निकाल मंदिर की स्थापना करो।गरीबा राय के द्वारा भूमि की खुदाई करने पर शिव लिंग आवरित हुआ व बाबा बिटेश्वर की मंदिर की स्थापना की गयी व महंथ भगवन गिरी को को मंदिर का कार्यभार सौपा गया।विगत चौबिस वर्षो पुर्व महंथ की मृत्यु होने के बाद प्रबंधन की जिमेवारी बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के जीमें चली गयी।फ़िलहाल न्यास बोर्ड के अध्यक्ष के निर्देश पर मंदिर का भव्य निर्माण का कार्य जारी है।सावन का चैत माह में बिहटा से 20 किलो मीटर की दुरी पर स्थित हल्दी छपरा के संग से भक्त काँवर में जल भर पैदल चल बाबा पर जलाभिषेक करते हैं। आज भी दूर- दूर से लोग यहाँ पहुँच अपने बच्चे – बच्ची की मुंडन कराटे है। यहाँ घी का अखण्ड दीप जलाते है।वही तीसरी मान्यता के अनुसार लगभग 18 वी। शताब्दी में अंग्रेज सर्वेक्षक फ्रांसिस बुकानन ने अपनी पुस्तक में लिखा की सोन नदी के नजदीक एक झोपड़ी नुमा जगह में भगवान शिव का चतुर्मुखी लिंग स्थापित है।एक हिन्दू सैनिक ब्राह्मण इसका पूजा अर्चना करता है। बिहटा बिटेश्वर नाथ मंदिर प्राचीन ऐतिहासिक होने के चलते पटना , नालंदा, जहानाबाद, औरंगाबाद, अरवल, गया, आरा, छपरा,नवादा, वैशैली सहित आसपास के कई जिलों से श्रद्धालु बाबा पे आकर जलाभिषेक करते है। बिहटा थाना प्रभारी राज कुमार पाण्डेय ने बताया कि सावन में मंदिर की सुरक्षा के लिय विशेष चाक-चौबंद प्रबंध किया गया है। परिसर में पुलिस के महिला व पुरुष जवान तैनात रहेंगें। भिर में उच्चकों व पैकेटमारों पे विशेष नजर रहेगी।


