बिहार सरकार ने केंद्र सरकार को लिखा पत्र, राज्य के लिए बकाया 880 करोड़ मनरेगा की राशि मांगी
पटना। बिहार सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत राज्य के श्रमिकों की मजदूरी के भुगतान के लिए 880 करोड़ रुपये की बकाया राशि केंद्र सरकार से मांगी है। राज्य के ग्रामीण विकास विभाग ने इस संबंध में केंद्र सरकार को एक आधिकारिक पत्र भेजा है, जिसमें यह अनुरोध किया गया है कि लंबित राशि जल्द से जल्द जारी की जाए ताकि श्रमिकों को समय पर भुगतान किया जा सके।
क्यों पड़ी राशि की जरूरत?
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार ने बिहार को 17 करोड़ मानव दिवस की स्वीकृति दी थी, लेकिन वास्तविक रूप से 21 करोड़ मानव दिवस का श्रम राज्य में पूरा कराया गया। इस वजह से लगभग 4 करोड़ मानव दिवस का मजदूरी भुगतान रुका हुआ है। केंद्र सरकार की नीति के अनुसार, मनरेगा के तहत मजदूरी भुगतान की पूरी राशि केंद्र सरकार ही देती है, जबकि सामग्री और प्रशासनिक खर्चों का कुछ भाग राज्य सरकार वहन करती है। इसी मजदूरी मद में 880 करोड़ रुपये की राशि लंबित है।
श्रमिकों को नहीं मिल रही मजदूरी
बिहार के 12 लाख से अधिक मनरेगा श्रमिकों का भुगतान फिलहाल रुका हुआ है। राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के अनुसार, दिसंबर 2024 के अंतिम सप्ताह से ही मजदूरी भुगतान ठप है। यदि केंद्र सरकार यह राशि जल्द जारी कर देती है, तो श्रमिकों को उनका मेहनताना तुरंत मिल जाएगा। बिहार में मनरेगा के तहत 245 रुपये प्रति दिन के हिसाब से मजदूरी दी जाती है। यह मजदूरी ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब श्रमिकों के लिए जीवन-यापन का मुख्य साधन है। मजदूरी भुगतान में देरी से न केवल श्रमिक आर्थिक संकट में हैं, बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
बिहार सरकार की मांग, स्वीकृति बढ़ाई जाए
राज्य सरकार ने केवल बकाया राशि की मांग ही नहीं की है, बल्कि मनरेगा कार्यदिवस की स्वीकृति बढ़ाने का भी आग्रह किया है। ग्रामीण विकास विभाग के अनुसार, बिहार में रोजगार की मांग अधिक है, इसलिए केंद्र सरकार को 25 करोड़ मानव दिवस की मंजूरी देनी चाहिए। इससे अधिक से अधिक मजदूरों को रोजगार मिलेगा और उनका जीवन सुगम बनेगा।
केंद्र सरकार से उम्मीद
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि बिहार सरकार को केंद्र सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद है। उन्होंने भरोसा जताया कि केंद्र सरकार जल्द ही 880 करोड़ रुपये जारी करेगी, ताकि मनरेगा श्रमिकों को उनकी मजदूरी मिल सके। केंद्र सरकार समय पर राशि जारी नहीं करती है, तो बिहार के 12 लाख मजदूरों को और इंतजार करना पड़ेगा। इससे न केवल ग्रामीण श्रमिकों की आर्थिक स्थिति खराब होगी, बल्कि मनरेगा कार्यों की गति भी धीमी पड़ सकती है। बिहार सरकार ने केंद्र से बकाया राशि की मांग कर दी है, अब फैसला केंद्र सरकार के हाथ में है। यदि केंद्र जल्द भुगतान कर देता है, तो लाखों श्रमिकों को राहत मिलेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी गति पकड़ेगी। अब सभी की नजरें केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।


